Thursday, February 27, 2025
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टोल अच्छी सड़क के लिए लिया जाता है, खराब के लिए वसूलना सही नहीं: जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने NH-44 का हाल देख 80% कम किया चार्ज, आपराधिक पृष्ठभूमि वाले कर्मचारियों पर भी चेताया

ठेकेदारों द्वारा आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को वहाँ तैनात करने का संज्ञान लिया। अदालत ने निर्देश दिया जाता है कि टोल प्लाजा पर किसी भी ऐसे व्यक्ति को नियुक्त न किया जाए, जिसका आपराधिक इतिहास हो। संबंधित पुलिस एजेंसी द्वारा कर्मचारियों का सत्यापन करने के बाद ही टोल प्लाजा पर तैनात किया चाहिए। कोताही बरतने पर संबंधित एसएचओ/इंचार्ज व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे।

जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख हाई कोर्ट ने कहा है कि सड़कों की हालत खराब होने के बावजूद टोल टैक्स वसूलना अनुचित है। इसके साथ ही अदालत ने पंजाब (पठानकोट) से जम्मू (उधमपुर) तक जाने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग 44 (NH-44) पर पड़ने वाले दो टोल प्लाजा पर टोल टैक्स में 80% की कटौती करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि टोल का संग्रह उपयोगकर्ताओं को अच्छी लाभ देने के लिए किया जाता है।

मुख्य न्यायाधीश ताशी राबस्तान और न्यायमूर्ति एमए चौधरी की खंडपीठ ने कहा कि यदि निर्माण गतिविधियों के कारण राजमार्ग खराब स्थिति में है तो भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) या रियायतग्राही यात्रियों से टोल टैक्स नहीं वसूल सकते। अदालत ने कहा कि टोल उपयोगकर्ताओं के लिए सुचारू, सुरक्षित और अच्छी तरह से बनाए गए राजमार्गों के बदले में मुआवजे का एक रूप होना चाहिए।

हाई कोर्ट ने यह बात एक जनहित याचिका की सुनवाई करने के दौरान कही। याचिका में दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे परियोजना के तहत निर्माणाधीन पठानकोट से उधमपुर तक राजमार्ग पर स्थित लखनपुर, ठंडी खुई और बन्न टोल प्लाजा पर टोल टैक्स में छूट की माँग की गई थी। यह याचिका सुगंधा साहनी ने दायर की थी।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि एनएच-44 खंड का 60% से 70% हिस्सा दिसंबर 2021 से निर्माणाधीन है। इसके बावजूद राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों का निर्धारण एवं संग्रह) नियम 2008 के विपरीत टोल वसूला जा रहा है। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस पर यात्रा करने में तीन से चार घंटे से अधिक का समय लगता है और डायवर्जन एवं खराब सड़क के कारण ईंधन और वाहन के रखरखाव पर अतिरिक्त बोझ बढ़ता है।

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि अधिकारियों ने स्वयं स्वीकार किया है कि एनएच-44 पर निर्माण कार्य चल रहा है और यातायात की आवाजाही के लिए सर्विस रोड/डायवर्सन प्रदान किए गए हैं। इसका अर्थ है कि अधिकांश स्थानों पर चार लेन वाले राष्ट्रीय राजमार्ग को घटाकर सिंगल लेन कर दिया गया है। वहाँ गंभीर मोड़, सड़क में गड्ढे हैं। इससे यात्रियों के सामने बड़ी समस्या आती हैं।

कोर्ट ने कहा कि यात्रियों से अनुचित तरीके से शुल्क लिया जा रहा है, क्योंकि उन्हें गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढाँचा नहीं मिल रहा है, जिसके लिए वे भुगतान कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि सरकार या एनएचएआई से यह अपेक्षा की जाती है कि वे दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे के पूरी तरह चालू होने तक टोल संग्रह को निलंबित कर दें।

अदालत ने यह भी कहा कि टोल संग्रह को निलंबित करने के बजाय अधिकारियों ने लखनपुर टोल प्लाजा और बन्न टोल प्लाजा पर उसी दिन टोल शुल्क बढ़ा दिया, जिस दिन ठंडी खुई टोल प्लाजा बंद हुआ था। कोर्ट ने कहा कि इसे देखकर ऐसा लगता है कि जनता को परेशान किया जा रहा है। एक तो खराब सड़क और ऊपर से भारी वसूल टैक्स वसूला जा रहा है।

न्यायालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर दो टोल प्लाजा के बीच की दूरी और ठेकेदारों द्वारा आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को वहाँ तैनात करने का संज्ञान लिया। अदालत ने निर्देश दिया जाता है कि टोल प्लाजा पर किसी भी ऐसे व्यक्ति को नियुक्त न किया जाए, जिसका आपराधिक इतिहास हो। संबंधित पुलिस एजेंसी द्वारा कर्मचारियों का सत्यापन करने के बाद ही टोल प्लाजा पर तैनात किया चाहिए।

कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा कि इसमें किसी तरह की कोताही होने पर संबंधित एसएचओ/इंचार्ज व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने टोल टैक्स घटाने के भी निर्देश दिया।कोर्ट ने राजमार्ग के सुचारु रूप से चालू हो जाने तक 26 जनवरी से पहले निर्धारित टोल शुल्क का केवल 20% वसूलने का निर्देश दिया।

इसके साथ ही यह भी निर्देश दिया कि 60 किलोमीटर से पहले कोई टोल नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा है तो उसे हटाया जाए। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में ऐसे टोल प्लाजा की संख्या में वृद्धि नहीं होनी चाहिए, जिसका एकमात्र उद्देश्य आम जनता से पैसा कमाना हो।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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