Saturday, September 14, 2024
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‘कश्मीर समस्या का इजरायल जैसा समाधान’ वाले आनंद रंगनाथन का JNU में पुतला दहन प्लान: कश्मीरी हिंदू संगठन ने JNUSU को भेजा कानूनी नोटिस

जेएनयू कैंपस में प्रोफेसर रंगनाथन के लैब के बाहर प्रो. रंगनाथन का पुतला दहने करने का उद्देश्य उनकी प्रतिष्ठा को खराब करना है। ऐसा करना मेरे मुवक्किल (यूथ फॉर पनुन कश्मीर) के साथ-साथ प्रो. रंगनाथन की गरिमा और प्रतिष्ठा पर सीधा हमला है।

जेएनयू के प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक आनंद रंगनाथन ने कश्मीर समस्या को सुलझाने के लिए ‘इजरायल जैसे समाधान’ की बात कही थी, जिसके बाद से वो लगातार इस्लामिक कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं। एएनआई के पॉडकास्ट में आनंद रंगनाथन ने ये सलाह दी थी, जिसके बाद जेएनयू स्टूडेंट यूनियन ने ऐलान किया था कि वो 13 जून की शाम 6 बजे जेएनयू कैंपस में आनंद रंगनाथन का पुतला फूँकेगा और मार्च निकालेगा। इसके बाद कश्मीरी हिंदुओं के संगठन Youth4PanunKashmir ने JNUSU को कानूनी नोटिस भेजा है। यूथ 4 पनुन कश्मीर कश्मीरी हिंदू युवाओं का वैश्विक संगठन है, जो कश्मीर से विस्थापित हुए हिंदुओं की आवाज उठाता है।

यूथ 4 पनुन कश्मीर संगठन ने अपने वकील द्वारा भेजे कानूनी नोटिस में कहा है कि जेएनयू में स्टूडेंट यूनियन जो प्लानिंग कर रहा है, उसका उद्देश्य कश्मीरी समुदाय के खिलाफ हिंसा को भड़काना है। संगठन ने कहा है कि प्रोफेसर आनंद रंगनाथन की सलाह का गलत मतलब लोगों में फैलाया जा रहा है। नोटिस में कहा गया है कि प्रोफेसर आनंद रंगनाथन को सोशल मीडिया पर लगातार निशाना बनाया जा रहा है और उन्हें धमकी दी जा रही है।

संगठन के वकील मुकेश शर्मा द्वारा भेजे गए कानूनी नोटिस में लिखा है, “व्हाट्सएप ग्रुपों के माध्यम से एक सुनियोजित प्रयास किया गया है, जिसमें आपके संगठन (JNUSU) से जुड़े छात्र और बाहरी पक्ष शामिल हैं। जेएनयू कैंपस में प्रोफेसर रंगनाथन के लैब के बाहर प्रो. रंगनाथन का पुतला दहने करने का उद्देश्य उनकी प्रतिष्ठा को खराब करना है। ऐसा करना मेरे मुवक्किल (यूथ फॉर पनुन कश्मीर) के साथ-साथ प्रो. रंगनाथन की गरिमा और प्रतिष्ठा पर सीधा हमला है।”

कानूनी नोटिस में कहा गया है कि पुतला दहन कार्यक्रम से जुड़े पोस्टों में रंगनाथन की टिप्पणियों को गलत तरीके से पेश किया गया है। ऐसा करके प्रो रंगनाथन और मेरे मुवक्किल के खिलाफ दुश्मनीपूर्ण माहौल तैयार करने की कोशिश की जा रही है। इस तरह के विरोध प्रदर्शन बदनाम करने, उत्पीड़न और हिंसा को बढ़ावा देने के लिए चलाए जा रहे हैं, जो कानूनी रूप से गलत है। इसलिए यूथ 4 पनुन कश्मीर संगठन जेएनयूएसयू से आनंद रंगनाथन का पुतला जलाने या किसी अन्य तरह के विरोध प्रदर्शन से दूर रहने की अपील करता है।

इस नोटिस में छात्र संगठन से रंगनाथन के खिलाफ सभी अपमानजनक बयान वापस लेने और सार्वजनिक रूप से माफी माँगने तथा कश्मीरी हिंदुओं और रंगनाथन के बारे में आगे से झूठे और भड़काऊ बयान देने से बचने को कहा गया है।

कानूनी नोटिस पोस्ट करते हुए, यूथ 4 पनुन कश्मीर समूह ने कहा कि कश्मीरी हिंदू नरसंहार के शिकार हैं। कश्मीरियों द्वारा पास साल 1991 के रिजोल्यूशन के मुताबिक, कश्मीरी हिंदुओं की घाटी में वापसी के मामले में कोई समझौता नहीं किया जा सकता। नोटिस के मुताबिक, ‘हम न तो डरेंगे और न ही किसी को हमारी मातृभूमि पनुन कश्मीर में वापसी की हमारी उचित माँग का समर्थन करने वाली आवाज को चुप कराने की अनुमति देंगे।’

बता दें कि रंगनाथन ने यह टिप्पणी एएनआई संपादक स्मिता प्रकाश द्वारा आयोजित पॉडकास्ट में की थी, जिसमें अभिजीत अय्यर-मित्रा, सुशांत सरीन और तहसीन पूनावाला भी शामिल थे। चर्चा के दौरान रंगनाथन ने कश्मीर की मौजूदा स्थिति पर अपना असंतोष व्यक्त करते हुए पिछली सरकार की नीतियों की आलोचना की थी। उन्होंने भारतीयों, खासकर कश्मीरी हिंदुओं को निराश करने के लिए हर पार्टी के नेतृत्व वाली सरकारों की आलोचना की थी।

रंगनाथन ने कहा था, “आपने 7 लाख कश्मीरी हिंदुओं का पुनर्वास नहीं किया है। पर्यटकों से आने वाला सारा पैसा आतंकवादियों के पास जा रहा है। यह आतंकवाद/उग्रवाद और आप इसे जो भी कहें, जारी रहेगा।” सभी विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं के पुनर्वास का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा, “आपको कश्मीर के लिए इज़रायल जैसा समाधान चाहिए। इज़राइल इसे हल करने में असमर्थ है, इसका कारण यह नहीं है कि इज़रायल इसे हल करने के लिए काम नहीं कर रहा है। इज़राइल ने अपने लोगों की ज़रूरतों को पूरा किया है, लेकिन हमने नहीं किया है।”

हालाँकि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया जाने लगा, जिसमें बताया गया कि रंगनाथन इजरायल की तरह कश्मीर में लड़ाई की वकालत कर रहे हैं। बाद में 11 जून को उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट डालकर सफाई भी दी थी, जिसमें उन्होंने लिखा कि ‘वो कश्मीर में हिंदुओं के पुनर्वास की माँग कर रहे थे, जैसे यहूदियों को इजरायल में फिर से बसाया गया। ये नरसंहार का आह्वान नहीं है, जैसा कि आरोप लगाया जा रहा है।’

उन्होंने लिखा, “इजरायल जैसे समाधान की माँग करना – पीड़ितों का पुनर्वास करना, बस्तियाँ बनाना, आतंकवाद से लड़ना, सीमाओं को सुरक्षित करना – नरसंहार की माँग नहीं है, बल्कि यह एक और नरसंहार को रोकने की माँग है। मैं इजराइल के साथ खड़ा हूँ। मैं कश्मीरी हिंदुओं के साथ खड़ा हूँ। और मैं हर एक शब्द के साथ खड़ा हूँ।”

जेएनयूएसयू को भेजे गए कानूनी नोटिस को लेकर रंगनाथन ने संगठन को धन्यवाद कहा और लिखा, “ये मेरे बारे में नहीं है और न ही इसके बारे में कि वो मुझे टारगेट कर रहे हैं और मार देंगे, बल्कि उन इस्लामिक कट्टरपंथियों के बारे में है, जो 7 लाख कश्मीरियों के पुनर्वास को नरसंहार बताने का काम साबित कर रहे हैं। वो आपको और 7 लाख कश्मीरी हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं।”

यह समाचार मूल रूप से अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित किया गया है। मूल लेख को पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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