Saturday, April 20, 2024
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बड़ा सवाल: 2017 में खारिज-2022 में गौर करेगा सुप्रीम कोर्ट, 1990 के कश्मीरी हिंदू नरसंहार की CBI/NIA जाँच को लेकर याचिका

"1989-98 के दौरान 700 से अधिक कश्मीरी पंडितों की हत्या की गई। इनमें से 200 से अधिक मामलों में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। लेकिन एक भी प्राथमिकी चार्जशीट या दोषसिद्धि के चरण तक नहीं पहुँची है।"

विवेक अग्निहोत्री की ‘द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files)’ ने न केवल 1990 के कश्मीरी हिंदू नरसंहार की घटनाओं को आवाज देने का काम किया है, बल्कि उनके लिए न्याय की मॉंग ने भी इस फिल्म की रिलीज के बाद जोर पकड़ लिया है। इसी कड़ी में कश्मीरी पंडितों के संगठन ‘रूट्स इन कश्मीर’ ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की है। इसमें शीर्ष अदालत से 90 के दशक के दौरान कश्मीर में हुई सामूहिक हत्याओं की जाँच केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) या राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) से कराने की निर्देश देने की गुहार लगाई गई है। यचिका में कहा गया है, “1989-98 के दौरान 700 से अधिक कश्मीरी पंडितों की हत्या की गई। इनमें से 200 से अधिक मामलों में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। लेकिन एक भी प्राथमिकी चार्जशीट या दोषसिद्धि के चरण तक नहीं पहुँची है।”

यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के 2017 के फैसले के खिलाफ दायर की गई है। उस समय शीर्ष अदालत ने काफी लंबा गैप होने का हवाला याचिका खारिज कर दी थी। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार 24 जुलाई 2017 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने याचिका खारिज की थी। उन्होंने कहा था, “27 साल हो चुके हैं। अब कोई सबूत नहीं मिलेगा। जो हुआ वह दिल दहला देने वाला है। लेकिन हम आदेश पारित नहीं कर सकते हैं।” इसके खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका भी 24 अक्टूबर 2017 को खारिज कर दी गई थी। अब एक बार फिर क्यूरेटिव पिटीशन के माध्यम से गुहार लगाई गई है।

क्यूरेटिव पिटीशन में 1989-90, 1997 और 1998 के दौरान कश्मीरी पंडितों की हत्या के लिए यासीन मलिक, फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, जावेद नालका और अन्य आतंकवादियों की जाँच और अभियोजन की माँग की गई है। याचिका में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने में विफल रही है। इसलिए वर्ष 1989-90, 1997 और 1998 में कश्मीरी पंडितों की हत्या और इससे संबंधित अन्य अपराधों के मामलों की जाँच सीबीआई या एनआईए जैसी स्वतंत्र जाँच एजेंसी को सौंप दी कर दी जाए।

इसके अलावा याचिका में यह भी कहा गया है कि कश्मीरी पंडितों की हत्या से संबंधित सभी प्राथमिकी व मामलों को जम्मू-कश्मीर राज्य से किसी अन्य राज्य में स्थानांतरित किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता संगठन का कहना है कि मामलों को देश की राधानी दिल्ली में हस्तांतरित करना बेहतर होगा। इससे गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। गवाह स्वतंत्र रूप से और निडर होकर जाँच एजेंसियों और न्यायालयों के सामने आ सकेंगे। याचिका में 25 जनवरी 1990 की सुबह वायुसेना के चार अधिकारियों की हत्या के मामले में यासीन मलिक के मुकदमे का ट्रायल पूरा करने की माँग भी की गई है, जो वर्तमान में सीबीआई कोर्ट के समक्ष लंबित है।

इसके अलावा संगठन ने 1989-90 और उसके बाद के वर्षों के दौरान कश्मीरी पंडितों की सामूहिक हत्याओं और नरसंहार की जाँच के लिए एक स्वतंत्र समिति या आयोग की नियुक्ति की माँग भी है। साथ ही कश्मीरी पंडितों की हत्याओं की प्राथमिकी के गैर-अभियोजन के कारणों की जाँच की भी गुहार लगाई गई है। इसमें कहा गया है कि जाँच अदालत की निगरानी में हो ताकि सैकड़ों एफआईआर बिना किसी और देरी के अपने तार्किक निष्कर्ष पर पहुँच सकें। क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करने का सर्टिफिकेट सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विकास सिंह द्वारा जारी किया गया था।

गौरतलब है कि 11 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हुई ‘द कश्मीर फाइल्स’ को मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, त्रिपुरा, गोवा, उत्तराखंड में टैक्स फ्री कर दिया गया है। फिल्म 1990 में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर आधारित है, जिसे डायरेक्टर विवेक रंजन अग्निहोत्री ने डायरेक्ट किया है। फिल्म की मुख्य भूमिकाओं में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती, पल्लवी जोशी हैं। प्रधानमंत्री मोदी से लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस फिल्म की सराहना की है। वहीं, बॉलीवुड हंगामा से बातचीत में विवेक अग्निहोत्री ने बताया कि उन्हें इस फिल्म को बनाने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। हाल-फिलहाल में दो लड़के उनके ऑफिस में घुस आए थे जब वे और उनकी पत्नी वहाँ मौजूद नहीं थे। केवल एक मैनेजर और मिडिल एज की एक महिला वहाँ मौजूद थी। उन्होंने दरवाजे पर जोर से धक्का मारकर मैनेजर को पुश किया, जिससे वो गिर गईं। लड़कों ने मेरे बारे में पूछा और वहाँ से भाग गए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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