लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को हाल ही में देश के सबसे बड़े सैन्य सम्मानों में से एक, ‘उत्तम युद्ध सेवा मेडल’ से नवाजा गया है। यह सम्मान उन्हें 4 जून 2025 को ‘डिफेंस इंवेस्टीचर सेरेमनी 2025 (फेज़-II)’ के दौरान दिया गया।
इसके अलावा, सोमवार (9 जून 2025) जनरल राजीव घई को भारतीय सेना में एक बेहद अहम पद, ‘डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (स्ट्रेटेजी)’ भी सौंपा गया है। यह पद सेना के ऑपरेशन और खुफिया जैसे महत्वपूर्ण कामों की देखरेख करता है। उनकी बेटी, शरण घई ने भी सोशल मीडिया पर अपने ‘कूल’ पिता की जमकर तारीफ की है।
‘उत्तम’ सेवा का सम्मान और नई जिम्मेदारी
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई इस समय ‘डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO)’ के पद पर भी कार्यरत हैं। राजीव घई को ‘उत्तम युद्ध सेवा मेडल’ से सम्मानित किया जाना उनकी असाधारण बहादुरी और युद्ध के समय दी गई बेहतरीन सेवाओं का प्रमाण है।
यह मेडल युद्ध या संघर्ष के दौरान असाधारण सेवा के लिए दिया जाने वाला एक उच्च सैन्य सम्मान है। यह ‘अति विशिष्ट सेवा मेडल’ का युद्धकालीन रूप है और इसे सशस्त्र बलों के सभी रैंकों, जिनमें सहायक, आरक्षित और नर्सिंग कर्मचारी शामिल हैं, को आउटस्टैंडिंग ऑपरेशनल लीडरशिप और विशिष्ट सेवा के लिए दिया जाता है।
बेटी को है अपने ‘कूल’ डैड पर गर्व
बेटी शरण घई ने अपने पिता की तारीफ में एक दिल छू लेने वाला संदेश पोस्ट किया है। शरण घई ने लिखा, “आप पर बहुत गर्व है, डैड। यह देखकर खुशी हुई कि आखिर सब लोग समझ रहे हैं कि आप कितने कूल हैं। हम तो यह सब जानते ही थे। लव यू, @RgGhai, अगले जो भी अद्भुत काम आप करेंगे, उन्हें देखने का इंतजार नहीं कर सकती।” यह संदेश उनके पिता के प्रति उनकी गहरी भावनाओं और गर्व को दर्शाता है।
ऑपरेशन सिंदूर: ‘राख से राख’ तक का जवाब
लेफ्टिनेंट जनरल घई ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में एक बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी। यह सैन्य अभियान 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में शुरू किया गया था, जिसमें 26 हिंदू पर्यटक मारे गए थे। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया और 100 से ज़्यादा आतंकवादियों को मार गिराया गया था।
इन हमलों के दौरान, पाकिस्तान के DGMO ने लेफ्टिनेंट जनरल घई को फोन किया और कथित तौर पर सीजफायर की गुहार लगाई थी। घई ने बाद में भारत के इस जवाब को ‘राख से राख‘ वाक्यांश का उपयोग करके समझाया था। जनरल घई ने बताया कि कैसे देश की एयर डिफेंस ने खतरों को बेअसर कर दिया।
पहले भी निभाई हैं महत्वपूर्ण भूमिकाएँ
इसी साल 2025 की शुरुआत में, लेफ्टिनेंट जनरल घई ने भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा स्थिति का आकलन करने के लिए मणिपुर का दौरा किया था। जनरल घई ने वहाँ बुनियादी ढाँचे और राज्य अधिकारियों के साथ समन्वय की समीक्षा की थी।
कुमाऊं रेजिमेंट के एक अनुभवी अधिकारी, श्री घई ने अक्टूबर 2024 में DGMO की भूमिका संभालने से पहले जम्मू और कश्मीर में चिनार कॉर्प्स का भी नेतृत्व किया था। उनका लंबा और शानदार करियर भारतीय सेना के प्रति उनके अटूट समर्पण और नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है।