Saturday, April 27, 2024
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मायावती थीं UP की CM, भाई और भौजाई ने नोएडा के एक ही अपार्टमेंट में ले लिए 261 फ्लैट: ऑडिट रिपोर्ट से खुलासा, 46% की छूट मिली

ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया है कि आनंद कुमार को ब्लॉसम ग्रीन्स में 2,300 रुपए प्रति वर्ग फुट और उनकी पत्नी को 2,350 रुपए प्रति वर्ग फुट के हिसाब से फ्लैटों बेचा गया था। वहीं, वित्त वर्ष 2016-17 में घर के अन्य खरीदारों को फ्लैट 4,350.85 रुपए प्रति वर्ग फुट पर दिए गए थे।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती (Mayawati) के कार्यकाल में उनके परिजनों को अवैध तरीके से लाभ देने का मामला सामने आया है। मायावती के भाई आनंद कुमार और भाभी विचित्र लता को नोएडा के एक अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स में 46 प्रतिशत की छूट देकर 261 फ्लैट आवंटित किए गए थे।

इंडियन एक्सप्रेस ने इस डील से जुड़े दस्तावेजों की जाँच-पड़ताल कर इसका खुलासा किया है। अंग्रेजी समाचार पत्र ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इस अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स को रियल एस्टेट फर्म लॉजिक्स इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड (Logix Infratech Private Ltd) द्वारा विकसित किया गया था।

दस्तावेजों की पड़ताल में पाया गया है कि मायावती के भाई-भाई को आवंटित फ्लैटों में धोखाधड़ी और अंडरवैल्यूएशन का मामला सामने आया है। रिपोर्ट में कंपनी की स्थापना से लेकर इसके दिवालिया होने और मई 2023 के बाद के फोरेंसिक ऑडिट तक की पड़ताल में इस फर्जीवाड़े का पैटर्न सामने आया है।

मई 2007 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा की जीत हुई थी और मायावती मुख्यमंत्री बनी थीं। वहीं, लॉजिक्स इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की स्थापना मई 2010 में हुई थी। अपनी स्थापना के दो महीने के भीतर यानी जुलाई 2010 में कंपनी ने मायावती के भाई-भाभी से बिक्री का समझौता कर लिया।

कंपनी ने अपने नोएडा प्रोजेक्ट ‘ब्लॉसम ग्रीन्स’ में लगभग 2 लाख वर्ग फुट स्पेस क्रमशः 2,300 रुपए प्रतिवर्ग फुट और 2,350 रुपए प्रतिवर्ग फुट पर बेचने के लिए आनंद कुमार और उनकी पत्नी के साथ समझौते पर हस्ताक्षर कर लिया। इस प्रकार, आनंद कुमार ने 92.95 करोड़ रुपए की कुल खरीद की।

इन समझौतों के 3 महीने के भीतर यानी सितंबर 2010 में उत्तर प्रदेश सरकार के नोएडा प्राधिकरण ने लॉजिक्स इंफ्राटेक को ‘ब्लॉसम ग्रीन्स’ में 22 टावर विकसित करने के लिए 1,00,112.19 वर्ग मीटर यानी 24.74 एकड़ जमीन लीज पर दे दी।

इसके बाद सितंबर 2010 से 2022-23 तक यानी 13 वर्षों में लॉजिक्स ने ब्लॉसम ग्रीन्स में कुल 2,538 आवासीय फ्लैट में से 2,329 फ्लैट बेची गईं। कंपनी ने 8 टावरों के 944 फ्लैटों का पजेशन दिया है, जिनमें से 848 खरीदारों ने फ्लैट पजेशन हासिल भी कर लिया। बाकी 14 टावरों का सिविल स्ट्रक्चर पूरा हो चुका है, लेकिन फ्लैट्स अभी पजेशन नहीं दिया जाना बाकी है।

4 अप्रैल 2016 को आनंद कुमार को 28.24 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान के बाद 135 अपार्टमेंट और विचित्र लता को 28.19 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान करने के बाद 126 अपार्टमेंट आवंटित किए गए।

इस बीच 15 फरवरी 2020 को लॉजिक्स इंफ्राटेक को अहलूवालिया कॉन्ट्रैक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड से 7.72 करोड़ रुपए के बकाया की माँग करते हुए पहला नोटिस दिया। लॉजिक्स ने अहलूवालिया कॉन्ट्रैक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड को अपने ‘ब्लॉसम ग्रीन्स’ प्रोजेक्ट के लिए 259.80 करोड़ रुपए के सिविल और स्ट्रक्चरल कार्यों का ठेका दिया था।

हालाँकि, लॉजिक्स ने बकाए की रकम का भुगतान करने में अपनी असमर्थता जाहिर की। अक्टूबर 2020 में लॉजिक्स ने इसके लिए कोविड-19 की वजह से साल 2019 के अंत तक एनसीआर में निर्माण पर प्रतिबंध और श्रमिकों की अनुपलब्धता का हवाला दिया। इसके बाद नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने लॉजिक्स के खिलाफ दिवालियापन की कार्यवाही का आदेश दिया।

इस बीच आनंद कुमार और उनकी बीवी ने दिवालियापन की कार्यवाही के तहत 96.64 करोड़ रुपए की राशि का दावा किया है। इस दौरान पड़ताल में पता चला आनंद कुमार और उनकी पत्नी को जिस रेट पर फ्लैट दिए गए, वे कम कीमत पर दिए गए। इतनी ही नहीं, सौदों में भी धोखाधड़ी की गई।

ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया है कि आनंद कुमार को ब्लॉसम ग्रीन्स में 2,300 रुपए प्रति वर्ग फुट और उनकी पत्नी को 2,350 रुपए प्रति वर्ग फुट के हिसाब से फ्लैटों बेचा गया था। वहीं, वित्त वर्ष 2016-17 में घर के अन्य खरीदारों को फ्लैट 4,350.85 रुपए प्रति वर्ग फुट पर दिए गए थे।

ऑडिट रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आनंद कुमार के 28.24 करोड़ रुपए के भुगतान दिखाने वाले वाउचर को इन्वेस्टमेंट के बजाय ‘ग्राहकों से अग्रिम भुगतान’ के रूप में दिखाया गया है। यही हाल आनंद कुमार की पत्नी विचित्र लता के साथ भी हुई।

इसी तरह आनंद कुमार की पत्नी विचित्र लता के के साथ हुए सौदे को लेकर ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि विचित्र लता के 125 फ्लैट्स में से 24 दूसरों को आवंटित किए गए हैं और उसके भुगतान का 28.85 करोड़ रुपए लॉजिक्स द्वारा संबंधित पार्टियों को बिना स्पष्टीकरण के स्थानांतरित किया गया है। इसलिए, 28.85 रुपए के इस लेनदेन को धोखाधड़ी माना जाएगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, 1997 में स्थापित लॉजिक्स ग्रुप की कई कंपनियाँ हैं। साल 2021 की कैग (CAG) रिपोर्ट के अनुसार, लॉजिक्स समूह पर 2005 से 2018 तक नोएडा प्राधिकरण ने जितने भी व्यवसायिक भूमि आवंटित की गईं, उसका 22 प्रतिशत लॉजिक्स समूह को आवंटित किए गए। वहीं, 31 मार्च 2020 तक लॉजिक्स ग्रुप पर नोएडा प्राधिकरण का 5,839.96 करोड़ रुपए बकाया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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