कर्नाटक के यादगीर जिले में सरकारी योजना MGNREGA में धाँधली का मामला सामने आया है। जहाँ कुछ पुरुषों ने साड़ी पहनकर महिला के रूप में मजदूरी कर तीन-तीन लाख रुपये भी कमा लिए। यहाँ से सब महिलाओं के नाम पर पुरुषों ने किया।
दरअसल, मामला सामने तब आया जब इस साल फरवरी में कथित तौर पर एक तस्वीर राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी सेवा (NMMS) में उपस्थिति के लिए अपलोड की गई, जिसमें कुछ पुरुष और महिला मजदूर नहर की खुदाई वाली जगह के पास खड़े दिखाई दे रहे थे। फोटो को जूम करके देखने पर सच्चाई सामने आई, जिसमें पुरुष ही महिला की साड़ी पहने और घूंघट ओढ़े हुए थे।
स्थानीय पंचायत ने मामले से किनारा किया
इस घटना से संबंधित अधिकारियों पर सवाल खड़े हुए हैं। मामले में जाँच के सख्त आदेश दिए गए हैं। वहीं, स्थानीय ग्राम पंचायत ने घोटाले के बारे में कोई भी जानकारी होने से इनकार कर दिया। किनारा करते हुए कहा कि घटना में कुछ आउटसोसर्स कर्मचारी शामिल थे।
मल्हार गाँव की पंचायत ने इस मामले से पल्ला झाड़ लिया। पंचायत विकास अधिकारी चेन्नाबसवा ने कहा, “मुझे इस घोटाले की कोई जानकारी नहीं थी। ये सब एक आउटसोर्स कर्मचारी ने किया। जब मुझे पता चला, तो उसे निलंबित कर दिया।” लेकिन सवाल ये है कि इतनी बड़ी गड़बड़ी कैसे छिपी रही? अब जाँच के सख्त आदेश दिए गए हैं, और लोग चाहते हैं कि दोषियों को सजा मिले। गाँव में अभी भी 2,500 मजदूर काम कर रहे हैं और पंचायत का दावा है कि अब सब कुछ ठीक चल रहा है।
मनरेगा क्या है?
महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण गारंटी अधिनियम (मनरेगा) ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी और गरीबी को दूर करने के लिए एक सामाजिक कल्याण योजना है। केंद्र ने इस योजना को शुरु किया है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार मिलकर वित्तपोषण और परियोजना पर काम करने की जिम्मेदारियाँ साझा करती हैँ। यह योजना हर पंजीकृत ग्रामीण परिवार को हर साल 100 दिन का रोजगार देने की गारंटी देती है। मजदूरी के लिए धन पूरी तरह से केंद्र सरकार ही प्रदान करती है जबकि सामग्री लागत का 75 प्रतिशत केंद्र और 25 प्रतिशत राज्य सरकार को जाता है।