बजट से पहले केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को न्यू पेंशन स्कीम (NPS) के तहत यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) का विकल्प पेश किया है। सरकार ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है। UPS सरकार की नई स्कीम है और यह 1 अप्रैल 2025 से लागू हो जाएगी। सरकार ने अगस्त 2024 में UPS को पेश किया था, जो सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद गारंटेड पेंशन प्रदान करेगी।
UPS स्कीम को ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) और NPS के फायदों को मिलाकर लाया गया है। इसमें OPS की तरह गारंटेड पेंशन का प्रावधान है। यूनिफाइड पेंशन स्कीम केंद्र सरकार के ऐसे कर्मचारियों पर लागू होगी, जो कि NPS के तहत आते हैं और UPS का विकल्प चुनते हैं। UPS में सरकार का अंशदान कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 18.5 प्रतिशत होगा।
इस योजना के कारण सरकारी खजाने पर पहले साल 6,250 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ेगा। इसका फायदा 23 लाख कर्मचारियों को मिलेगा। नोटिफिकेशन के अनुसार, पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) ये तय करेगा कि UPS चुनने वाले सेवानिवृत्त कर्मचारियों को NPS के तहत मिलने वाली राशि के मुकाबले कितनी अतिरिक्त राशि दी जाएगी।
क्या है यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS)
UPS के तहत सरकारी कर्मचारियों के 12 महीने की औसत बेसिक सैलरी का 50 प्रतिशत हिस्सा उनकी रिटायरमेंट के बाद उन्हें जीवन भर दिया जाएगा। इसके लिए कर्मचारियों को न्यूनतम 25 साल सेवा देनी होगी। इस पेंशन में समय-समय पर महंगाई भत्ता (DR) का लाभ भी जोड़ा जाएगा। UPS के तहत ग्रैच्युटी के अलावा रिटायरमेंट पर एकमुश्त राशि भी दी जाएगी।
ग्रैच्युटी हर 6 महीने के मूल वेतन और महंगाई भत्ता का 10वाँ हिस्सा होगा। इस स्कीम के तहत मिलने वाली ग्रैच्युटी की राशि ओल्ड पेंशन स्कीम यानी OPS से मिलने वाली राशि से कम हो सकती है। सेवानिवृत सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के बाद परिवार के किसी एक योग्य सदस्य को उस पेंशन का 60 प्रतिशत हिस्सा दिया जाएगा।
अगर कर्मचारी ने बिना किसी दंड के सिर्फ 10 साल या उससे अधिक समय तक सेवा दी है तो उसे कम-से-कम 10,000 रुपए का पेंशन दिया जाएगा। हालाँकि, इस्तीफा, बर्खास्तगी या सेवा से हटाने के मामलों में यह भुगतान लागू नहीं होगा। UPS चुनने वाले सरकारी कर्मचारी किसी अन्य पॉलिसी रियायत, पॉलिसी चेंज, वित्तीय लाभ के हकदार नहीं होंगे।
UPS चुनने वाले कर्मचारियों के रिटायरमेंट फंड में दो हिस्से होंगे। एक व्यक्तिगत फंड होगा और दूसरा पूल फंड। व्यक्तिगत फंड में कर्मचारी और सरकार का योगदान शामिल होगा, जो एक समान होगा। वहीं, दूसरे पुल फंड में सरकार का अतिरिक्त योगदान होगा। इसमें कर्मचारी का योगदान उनकी बेसिक सैलरी का 10 प्रतिशत होगा, जबकि सरकार का अंशदान 18.5 प्रतिशत रहेगा।

न्यू पेंशन स्कीम (NPS)
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार एनपीएस लेकर आई थी। इसे OPS की जगह लागू किया गया था। न्यू पेंशन स्कीम यानी NPS में सरकारी कर्मचारियों को अपनी बेसिक सैलरी का 10 प्रतिशत अंशदान करना होता है। इसके अलावा, इसमें सरकार 14 प्रतिशत का अंशदान करती है। साथ में इसमें महंगाई से सुरक्षा भी नहीं है। कर्मचारियों से अंशदान लेने के कारण इस योजना का बड़े पैमाने पर विरोध हुआ।
दरअसल, NPS में सरकारी कर्मचारी की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता का 10 प्रतिशत हिस्सा कटता है। इस राशि को पेंशन फंड में डाला जाता है, जिसका इस्तेमाल सेवानिवृत्ति के बाद कर्माचारी को पेंशन देने के लिए किया जाता है। NPS शेयर मार्केट से लिंक होता है। इसलिए यह पूरी तरह सुरक्षित नहीं माना जाता है। इसके साथ ही इसमें आयकर का भी प्रावधान किया गया है।
NPS में रिटायरमेंट पर पेंशन पाने के लिए एनपीएस फंड का 40 प्रतिशत निवेश करना होता है। इसके बाद रिटायरमेंट के बाद इस योजना के तहत पेंशन के रूप में निश्चित राशि की गारंटी नहीं होती है। इस योजना को अपनाने वाले सरकारी कर्मचारियों को छह महीने बाद मिलने वाले महंगाई भत्ता (DA) का प्रावधान नहीं है। NPS सरकारी और निजी क्षेत्र, दोनों तरह के कर्मचारियों के लिए उपलब्ध है।
ओल्ड पेेंशन स्कीम (OPS)
OPS एक पुरानी पेंशन योजना है। इसमें सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद उनकी आखिरी सैलरी का एक निश्चित प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता है। इस योजना में सरकारी कर्मचारियों को पेंशन में अंशदान नहीं करता होता है। यानी पेंशन का सारा खर्च सरकार उठाती था। साल 2004 में केंद्र सरकार ने इसे खत्म करके इसकी जगह NPS लाई थी।
OPS में रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती थी। इसमें जनरल प्रोविडेंट फंड यानी GPF का भी प्रावधान था। इसमें लाभार्थी कर्मचारियों को 20 लाख रुपए तक ग्रैच्युटी मिलती है। सेवानिवृत कर्मचारी की मृत्यु पर मृतक के परिजनों को पेंशन की राशि मिलती रहती थी। इस योजना में छह महीने बाद मिलने वाले DA का प्रावधान किया गया था।
हालाँकि, केंद्रीय और कुछ राज्यों के सरकारी कर्मचारी इसे लागू करने की माँग करते रहते हैं। इसको लेकर तमाम तरह के विरोध प्रदर्शन भी हुए। वोट बैंक की राजनीति को देखते हुए राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ की कॉन्ग्रेस सरकार और झारखंड की हेमंत सोरेने की सरकार ने पुरानी OPS को दोबारा लागू किया है। दरअसल, OPS की माँग करने वाले कर्मचारी अपने वेतन से अंशदान देने को तैयार नहीं हैं।