Saturday, October 12, 2024
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फ्री कश्मीर का बैनर लहराई थी महक मिर्जा, मुंबई पुलिस ने कहा – ‘बंद हो केस, दुर्भावनापूर्ण उद्देश्य नहीं था’

मुंबई पुलिस ने कहा कि उसे महक मिर्जा के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण उद्देश्य के कोई सबूत नहीं मिले, ऐसे में उन्हें बरी कर दिया जाए। इससे पहले संजय राउत ने 'फ्री कश्मीर' का मतलब समझाया था - कश्मीर में फ्री इंटरनेट, फ्री मोबाइल और...

मुंबई पुलिस ने अपनी चार्जशीट में 39 वर्षीय महक मिर्जा प्रभु के खिलाफ केस बंद करने की माँग की है, जिसने गेटवे ऑफ इंडिया पर ‘फ्री कश्मीर’ लिखा बैनर लहराया था। JNU में नकाबपोश वामपंथी छात्रों ने हॉस्टल में घुस-घुस कर ABVP के छात्रों की पिटाई की थी, लेकिन देश भर में इसका उलटा नैरेटिव ही फैलाया गया था। फिर उलटा भाजपा के विरोध में ही कई शहरों में वामपंथियों ने विरोध प्रदर्शन आयोजित किए।

मुंबई में आयोजित इसी विरोध प्रदर्शन में महक मिर्जा ने ‘फ्री कश्मीर’ लिखा बैनर लहराया था, जबकि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और पाकिस्तान ने उसके एक हिस्से पर जबरन कब्ज़ा कर के रखा हुआ है। एस्प्लेनेड अदालत में पेश की गई रिपोर्ट में मुंबई पुलिस ने कहा है कि महक मिर्जा के खिलाफ लगाए गए आरोप सही नहीं हैं। सोमवार को पुलिस ने 36 आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दायर की और कहा कि लगाए गए आरोप सही नहीं हैं।

इनमें से अधिकतर वकील, कार्यकर्ता, छात्र, कलाकार और शिक्षाविद हैं। 5-6 जनवरी, 2020 को आयोजित इस प्रदर्शन में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कानून CAA के साथ-साथ उस NRC के खिलाफ भी विरोध प्रदर्शन हुआ, जो अभी असम से बाहर कहीं लागू ही नहीं हुआ है। साथ ही जनगणना से पहले होने वाले नियमित NPR को लेकर भी भ्रम फैलाया गया। 36 में से 29 आरोपितों को 10,000 रुपए के मुचलके पर जमानत दे दी गई।

ये सभी अदालत में उपस्थित भी हुए थे। जनवरी 7, 2020 को महक मिर्जा के खिलाफ IPC की धारा 153B (भारत की प्रभुता और अखंडता की मर्यादा के विरुद्ध कुछ प्रकाशित करना) के तहत मामला दर्ज किया गया था। जाँच रिपोर्ट में मुंबई पुलिस ने कहा कि उसे आरोपित के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण उद्देश्य के कोई सबूत नहीं मिले, ऐसे में उन्हें बरी कर दिया जाए।

वकील मिहिर देसाई, लारा जेसानी, और सुजान अब्राहम, पत्रकार जतिन देसाई और कार्यकर्ता सुवर्णा साल्वे, सलीम साबुवाला और फिरोज मीठीबोरवाला का नाम भी इस चार्जशीट में शामिल है, जिन पर IPC की धारा 143 (गैरकानूनी तरीके से जमा होना) और महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम के तहत मामले दर्ज हैं। पुलिस का कहना है कि इन लोगों ने अनुमति के बिना गेटवे ऑफ इंडिया पर विरोध प्रदर्शन किया, जबकि आज़ाद मैदान में ऐसा किया जा सकता था।

मुंबई पुलिस ने माना कि इस विरोध प्रदर्शन में दिल्ली पुलिस, ABVP, CAA, और NPR के खिलाफ नारेबाजी की और पीएम मोदी व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ भी नारे लगाए। अगर महक मिर्जा प्रभु पर आरोप साबित हो जाते तो उसे 5 वर्षों तक की सजा दी जा सकती थी। हालाँकि, अब अदालत के हाथ में है कि वो पुलिस की इस रिपोर्ट को स्वीकार या अस्वीकार करे। ‘फ्री प्लाकार्ड’ मामले में सोशल मीडिया पर आम लोगों ने भी आक्रोश जताया था।

सामना के एग्जीक्यूटिव संपादक संजय राउत ने तब ‘फ्री कश्मीर’ बैनर का बचाव करते हुए कहा था कि जिन्होंने यह बैनर थामा था, उनका मकसद कश्मीर में फ्री इंटरनेट, फ्री मोबाइल सर्विसेज और अन्य प्रतिबंधों से है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फडणवीस ने भी इसके खिलाफ आवाज़ उठाते हुए कहा था कि उद्धव ठाकरे अपनी नाक के नीचे फ्री कश्मीर एंटी इंडियन कैंपेन को बर्दाश्त कर रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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