Saturday, May 3, 2025
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जिस नक्सली ने की पूर्व CM बाबूलाल मरांडी के बेटे की हत्या, झारखंड में CRPF ने उसे उतारा मौत के घाट: SP समेत 20 लोगों के मर्डर में था अरविंद यादव का हाथ, पुलिस ने रखा था ₹25 लाख का इनाम

बोकारो मुठभेड़ में पुलिस ने नक्सलियों का अहम नेता अरविंद यादव को भी मार गिराया है। इससे नक्सलियों को तगड़ा झटका लगा है। वो एसपी सुरेन्द्र बाबू और बीजेपी नेता बाबू लाल मरांडी के बेटे अनूप मरांडी की हत्या में शामिल था

बोकारो मुठभेड़ में अरविंद यादव की मौत के झारखंड में अंतिम सांस ले रहे नक्सली संगठन को बड़ा झटका लगा है। झारखंड में 25 लाख रुपए के साथ बिहार सरकार ने भी उस पर 5 लाख रुपए का इनाम घोषित किया था। बिहार और झारखंड के बॉर्डर वाले इलाकों में नक्सली संगठनों को मजबूत करने में पिछले 30 सालों में इसका अहम रोल था। झारखंड के बोकारो से लेकर जमुई, दुमका, डालटेनगंज, लखीसराय, बांका तक उसका राज था।

क्या था चिलखारी नरसंहार?

मुँगेर के एसपी केसी सुरेन्द्र बाबू, बीजेपी नेता बाबू लाल मरांडी के बेटे की हत्या समेत 85 मामले उस पर दर्ज थे। झारखंड के गिरिडीह में चिलखारी नरसंहार में अरविंद यादव शामिल था। बिहार झारखंड सीमा पर देवरी के चिलखरयोडीह में नक्सलियों का एक ग्रुप कार्यक्रम स्थल पर पहुँच कर मंच पर चढ़कर माइक से चेतावनी दी और अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। इस हत्याकांड में बाबू लाल मरांडी के बेटे अनूप मरांडी समेत 20 लोगों की मौके पर ही मौत हो गयी थी। मंच पर हर तरफ खून ही खून दिख रहा था। इस भयावह दृश्य को देख कर पुलिस वालों की भी रूह काँप गई थी।

झारखंड-बिहार-पश्चिम बंगाल में ठिकाना

बोलने में तेज तर्रार और पढ़ा-लिखा अरविंद यादव नए लोगों को संगठन से जोड़ता था। जमुई के सोनो प्रखंड के भेलवा मोहनपुर में 8 कमरों के घर में उसके माता-पिता और भाई-बहन आज भी रहते हैं। जानकारी के मुताबिक उसकी पत्नी मुँगेर में रहती है और बच्चे उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

अरविंद यादव का पश्चिम बंगाल के आसनसोल में भी घर है। इस घर में उसकी पत्नी पहले बच्चों के साथ रहती थी लेकिन अब मुँगेर चली गई है। अलग अलग ब्रांड की घड़ी पहनने का शौकीन अरविंद यादव को नक्सली संगठन का थिंक टैंक माना जाता है।

22 जनवरी को बाल-बाल बचा था अरविंद यादव

बताया जाता है कि अविनाश उर्फ अरविंद यादव की किस्मत ने 22 जनवरी 2025 को बचा लिया था। उस वक्त पुलिस मुठभेड़ बोकारो के ऊपर घाट इलाके में हुई थी। जानकारी के मुताबिक यहाँ से वो भेल्वाघाटी के रास्ते चकाई के बोगी बरमोरिया जंगल में भाग गया था। यहाँ से वह अपने घर मोहनपुर पहुँचा। पुलिस जब तक वहाँ तबिश देती उससे पहले वो बोकारो भाग गया। लेकिन 21 अप्रैल 2025 को सुरक्षाबलों को तब बड़ी सफलता मिली जब बोकारो के ललपनिया में पुलिस ने 8 नक्सलियों को मार गिराया। इसमें अरविंद यादव भी शामिल था।

खुद के मारे जाने की फैलाई थी अफवाह

करीब 4 साल पहले पुलिस मुठभेड़ में अरविंद यादव के मरने की खबर झारखंड से लेकर बंगाल तक फैल गयी थी। यहाँ तक कि उसके घर में श्राद्ध कर्म की तैयारी हो गयी थी। लेकिन पुलिस को इस खबर पर शक था। बाद में पता चला कि उसने जानबूझकर अपनी मौत की खबर उड़ाई थी ताकि पुलिस की नजर उस पर हट जाए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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