उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का आधिकारिक तौर पर आज सोमवार (13 जनवरी 2025) को पौष पूर्णिमा के अवसर पर शुभारंभ हो गया। 144 साल लगने वाले इस महाकुंभ में देश-दुनिया भर से आए श्रद्धालु पवित्र गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम में डुबकी लगा रहे हैं। संन्यासियों ने पहला अमृत स्नान (पहले शाही स्नान या पेशवाई कहा जाता था) किया।
माना जा रहा है कि आज लगभग 1 करोड़ लोग स्नान करेंगे। वहीं 14 जनवरी को 7 करोड़ लोग स्नान करेंगे। पीएम मोदी और सीएम योगी ने इस अवसर पर अपनी शुभकामनाएँ दी हैं। इस स्नान के साथ ही महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं का ‘कल्पवास’ शुरू हो गया है। शैव, शाक्त, वैष्णव सहित विभिन्न संप्रदायों के साधु कुल छह अमृत स्नान करेंगे।
14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन दूसरा अमृत स्नान, 29 जनवरी मौनी अमावस्या के अवसर पर तीसरा अमृत स्नान, 3 फरवरी को बसंत पंचमी के अवसर पर चौथा अमृत स्नान, 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा के अवसर पर पाँचवाँ अमृत स्नान और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के अवसर पर छठा एवं अंतिम अमृत स्नान होगा। हालाँकि, कुछ रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि कुल तीन ही अमृत स्नान होंगे।
इनमें पहला मकर संक्रांति को, दूसरा मौनी अमावस्या और तीसरा बसंत पंचमी के दिन किया जाएगा। इसके अलावा माघी पूर्णिमा, पौष पूर्णिमा और महाशिवरात्रि के दिन भी कुंभ स्नान किया जाता है, जिसे अमृत स्नान नहीं माना जाता है। जो भी हो, 26 फरवरी यानी लगभग 45 दिन तक चलने वाले हिंदुओं के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन में लगभग 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।
श्रद्धालुओं के लिए मेला क्षेत्र में व्यवस्था
श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई समस्या ना हो, इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में मेला क्षेत्र में व्यापक प्रबंध किए गए हैं। राज्य सरकार ने महाकुंभ क्षेत्र को राज्य का 76वाँ जिला घोषित किया है। लगभग 4000 हेक्टेयर भूमि पर फैले मेला क्षेत्र को 25 सेक्टर में बाँटा गया है। स्नान करने केलिए कुल 41 घाट तैयार किए गए हैं। इनमें 10 पक्के घाट हैं, जबकि 31 घाट अस्थायी हैं।
गंगा, यमुना और सरस्वती के मिलन वाला संगम घाट प्रयागराज का सबसे प्रमुख घाट है। मेला क्षेत्र में प्रवेश के लिए वाले 8 जिलों के 7 प्रमुख मार्गों पर 102 चौकियाँ स्थापित की गई हैं। प्रशासन द्वारा मेला क्षेत्र में 10 लाख लोगों के रुकने की व्यवस्था की गई है। इनमें फ्री और पेड दोनों तरह की व्यवस्थाएँ शामिल हैं। इसके अलावा मेला क्षेत्र में 100 आश्रयस्थल हैं। इनमें से हर आश्रयस्थल में 250 बेड हैं।
इसके साथ ही 10 हजार से अधिक स्वयंसेवी संस्थाओं ने श्रद्धालुओं के लिए ठहरने और भोजन की व्यवस्था की है। संगम के आसपास कुल 3000 बेड के रैन बसेरे बनाए गए हैं। महाकुंभ जिले में कुल 204 गेस्ट हाउस, 90 धर्मशालाएँ हैं। इन सबमें ठहरने की व्यवस्था है। इसके अलावा स्टेशन के बाहर प्रयागराज नगर निगम ने रैन बसेरे बनाए हैं। उनमें ठहरने के साथ-साथ ठंड से बचाव की सारी व्यवस्थाएँ की गई हैं।
कड़ी सुरक्षा
कुंभ क्षेत्र में मेडिकल इमरजेंसी आदि के लिए भी पर्याप्त व्यवस्था की गई है। हर सेक्टर में एक सेंट्रल हॉस्पिटल के साथ-साथ 20 बेड का एक अस्पताल बनाया गया है। सभी घाटों पर 300 से अधिक गोताखोरों को तैनात किया गया है। कई वाटर एम्बुलेंस को भी तैनात किया गया है। इसके अलावा, महाकुंभ में NSG कमांडो और यूपी पुलिस के जवानों की निगरानी वाली 7 स्तरीय सुरक्षा बनाई गई है।
इसके अलावा, स्पॉटर और 15 हजार सिविल जवान संदिग्ध लोगों एवं गतिविधियों पर नजर रखेंगे। मेले में भीड़ प्रबंधन और निगरानी के लिए AI संचालित कैमरे, ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम लगाए गए हैं। संगम और उसके आसपास के जलमार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और निगरानी के लिए 113 ड्रोन तैनात किए गए हैं। बिजली के खंभों पर 50,000 से अधिक क्यूआर कोड लगाए गए हैं। इससे श्रद्धालुओं मेला क्षेत्र में अपना लोकेशन निर्धारित कर सकेंगे।
कुंभ में बॉलीवुड और राजस्व
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के अनुसार, इस बार महाकुंभ में 15 लाख विदेशी पर्यटक आएँगे। इसको देखते हुए भारतीय संस्कृति को यहाँ प्रमोशन की भी व्यवस्था की गई है। यहाँ विदेशी पर्यटकों को ध्यान में रखते हुए आयुर्वेद, योग और पंचकर्म जैसी सुविधाओं वाला एक टेंट सिटी स्थापित किया गया है। इसके अलावा भी कई तरह की व्यवस्थाएँ की गई हैं।
भारत की कला, संस्कृति और विरासत का उत्सव मनाने के लिए सेक्टर-7 में 10 एकड़ में ‘कलाग्राम’ नामक स्थल स्थापित किया गया है, जिसमें बॉलीवुड एवं कला जगत के बड़े-बड़े दिग्गज हिस्सा लेंगे। कैलाश खेर, मोहित चौहान, शंकर महादेवन, कविता कृष्णमूर्ति, हरिहरन, हंसराज हंस और मैथिली ठाकुर प्रस्तुति देंगे। कलाग्राम में चार धाम और 12 ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृति वाला एक भव्य प्रवेश द्वार बनाया गया है।
यूपी सरकार के मुताबिक, इस महाकुंभ से राज्य सरकार को 25,000 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हो सकता है। इसमें हिस्सा लेने वाले स्थानीय स्वयं सहायता समूहों, कारीगरों, होटल व्यवसायियों, होमस्टे मालिकों, रेस्तरां संचालकों और खाद्य विक्रेताओं को लाभ होगा। डाबर, मदर डेयरी और आईटीसी जैसे प्रमुख ब्रांडों द्वारा 3,000 करोड़ रुपए के उत्पाद यहाँ खर्च किए जाने का अनुमान है।
कहाँ तक चलेंगी ट्रेनें?
महाकुंभ के लिए रेलवे ने 3000 स्पेशल ट्रेनें शुरू की हैं, जो 13000 से अधिक फेरे लगाएँगी। आने वाले यात्रियों के भीड़ के प्रबंधन के लिए प्रयागराज जंक्शन के अलावा 8 सब-स्टेशन बनाए गए हैं। इन सारे स्टेशनों में आने और बाहर निकलने के लिए के लिए अलग-अलग रास्ते बनाए गए हैं। कानपुर, दीनदयाल उपाध्याय, सतना, झाँसी रूट की ट्रेनें प्रयागराज जंक्शन पर रुकेंगी और यहीं से खुलेंगी। इन रूटों की रूटीन ट्रेनों को नैनी और छिवकी जंक्शन पर रोका जाएगा।
लखनऊ, अयोध्या और जौनपुर की तरफ से आने वाली ट्रेनों को फाफामऊ स्टेशन, प्रयाग स्टेशन और प्रयागराज संगम स्टेशन पर रोका जाएगा। अमृत स्नान वाले दिनों पर ट्रेनों को प्रयागराज संगम स्टेशन तक नहीं आने दिया जाएगा। कानपुर की तरफ से आने वाली ट्रेनों को सूबेदारगंज स्टेशन पर रोका जाएगा। वाराणसी, गोरखपुर और मऊ की तरफ से आने वाली ट्रेनों को झूँसी और रामबाग स्टेशन पर रोका जाएगा।