Sunday, November 3, 2024
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50 दुर्गा प्रतिमाओं का होता था विसर्जन, इस बार 20 ही आईं, क्योंकि इस्लामी कट्टरंपथियों ने राम गोपाल मिश्रा को मार डाला: पुजारी ने बताया- किसी मूर्ति के हाथ थे टूटे तो किसी के पैर

बहराइच में हुई हिंसा को वामपंथी व इस्लामी मीडिया संस्थानों द्वारा हिन्दुओं की उग्रता का परिणाम बताया। इन आरोपों को पुजारी मिश्रा ने निराधार बताया। उन्होंने कहा कि हिन्दुओं का खानपान सात्विक है। वो वो उग्र कैसे हो सकता है? बकौल पुजारी, कट्टरता दूसरे पक्ष द्वारा शुरू की गई जिसकी वजह से हिंसा भड़की। उन्होंने बुलडोजर की कार्रवाई का समर्थन किया।

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में 13 अक्टूबर को माँ दुर्गा की प्रतिमा विसर्जित करने जा रहे श्रद्धालुओं पर मुस्लिम भीड़ ने हमला किया था। इसमें रामगोपाल मिश्रा नाम के शख्स की हत्या कर दी गई थी। यह विसर्जन यात्रा पारम्परिक थी, जो दशकों से चली आ रही थी। यात्रा गौरिया घाट पर जाकर समाप्त होना था, जो आसपास के हिन्दुओं के लिए पौराणिक काल से आस्था का केंद्र है।

ऑपइंडिया की टीम इस गौरिया घाट पर पहुँची और यहाँ के पुजारी कृष्ण कुमार मिश्रा से बात की। उन्होंने हमें बताया कि हर साल के मुकाबले इस बार का विसर्जन न सिर्फ फीका, बल्कि निराशाजनक रहा। जिस महराजगंज बाज़ार में मुस्लिम भीड़ ने बवाल काटा था, वहाँ से गौरिया घाट की दूरी लगभग डेढ़ किलोमीटर है। आसपास के लगभग 18 गाँवों व कस्बों का मूर्ति विसर्जन यहीं होता है।

इस जगह पर सरयू नदी से फूटी एक जलधारा है, जिसके पास एक मंदिर बना है। इस मंदिर का नाम नागेश्वरनाथ बालाजी मंदिर है। प्रतिमा विसर्जन के बाद श्रद्धालु यहाँ स्नान करके मंदिर में दर्शन करते हैं और फिर अपने-अपने घर की ओर लौट जाते हैं। जब ऑपइंडिया की टीम यहाँ पहुँची तो देखा कि रास्ते के दोनों तरफ पुलिस तैनात है। हमें रोक कर पूछताछ भी की गई।

विसर्जन के दिन सूना रहा घाट

नागेश्वरनाथ बालाजी मंदिर के पुजारी कृष्ण कुमार मिश्रा ने हमें बताया कि सामान्य तौर पर हर साल यहाँ लगभग 50 मूर्तियाँ विसर्जित होती हैं। लेकिन, इस साल विसर्जन की तय तिथि 13 अक्टूबर को एक भी मूर्ति घाट पर नहीं आई। विसर्जन देखने के लिए आसपास के गाँवों के लोग भी जमा होते हैं। वो भी काफी देर तक इंतजार किए। इस बीच पता चला कि महराजगंज बाजार में हमला हो गया है तो सभी लोग अपने घरों को वापस लौट गए।

किसी मूर्ति का हाथ टूटा था तो किसी का सिर

पुजारी कृष्ण कुमार मिश्रा हमें बताते हैं कि तय तिथि के एक दिन बाद 14 अक्टूबर को माँ दुर्गा की मूर्तियाँ विसर्जित होने के लिए घाटों पर आईं। इस बार विसर्जित होने वाली प्रतिमाओं की संख्या 20-25 ही थी। उन्होंने दावा किया कि इनमें से कई प्रतिमाएँ क्षतिग्रस्त थीं। कुछ के हाथ टूटे हुए थे तो किसी के पैर। पुजारी ने कहा, “लोगों (हमलावरों) ने वहाँ (महराजगंज बाजार) में तोड़ा था।”

सुबह 5 बजे विसर्जित हुईं इन मूर्तियों के साथ बड़ी संख्या में पुलिस बल भी चल रहा था और श्रद्धालुओं की संख्या न के बराबर थी। विधि-विधान पूरा करने के लिए कुछ पुजारी जरूर आए थे। 55 वर्षीय पुजारी मिश्रा ने आगे बताया कि उन्होंने अपने पूरे जीवन में इतना नीरस विसर्जन कभी नहीं देखा था। उन्होंने कहा, “कोई उत्साह नहीं था। बस एक प्रक्रिया और औपचारिकता पूरी की गई।”

सात्विक खान-पान वाले हिन्दू पर उग्रता का आरोप निराधार

बहराइच में हुई हिंसा को वामपंथी व इस्लामी मीडिया संस्थानों द्वारा हिन्दुओं की उग्रता का परिणाम बताया। इन आरोपों को पुजारी मिश्रा ने निराधार बताया। उन्होंने कहा कि हिन्दुओं का खानपान सात्विक है। वो वो उग्र कैसे हो सकता है? बकौल पुजारी, कट्टरता दूसरे पक्ष द्वारा शुरू की गई जिसकी वजह से हिंसा भड़की। उन्होंने बुलडोजर की कार्रवाई का समर्थन किया।

पुजारी मिश्रा ने हमलावरों के खिलाफ और कठोर कदम उठाने की माँग की। अपने मंदिर के आसपास तैनात पुलिस फ़ोर्स को पुजारी ने प्रशासन द्वारा एहतियातन किया गया सुरक्षा प्रबंध बताया। जिस गौरिया घाट पर माँ दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन होना था, वहीं पर भगवान गणेश की भी मूर्तियाँ विसर्जित होती हैं। हर साल यहाँ मेला लगता है, जिसमें तमाम गाँवों के हिन्दू हिस्सा लेते हैं।

पुजारी कृष्ण कुमार बताते हैं कि साल 1992 में भी मुस्लिम पक्ष द्वारा विसर्जन यात्रा में खलल डालने की साजिश रची गई थी। हालाँकि, तब किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई थी। ऑपइंडिया से बातचीत में कुछ घायल बुजुर्ग श्रद्धालुओं ने भी साल 1992 में मुस्लिम पक्ष द्वारा तनाव फैलाने का आरोप लगाया गया। इस बार भी उन्होंने मुस्लिम पक्ष को ही जिम्मेवार माना।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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