Monday, September 9, 2024
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‘इस मामले में कोई दूध का धुला नहीं’: सुप्रीम कोर्ट ने CBI को सौंपा परमबीर सिंह मामला, उद्धव सरकार को बड़ा झटका

"हम परमबीर सिंह पर लगे आरोपों पर कोई भी टिप्पणी कर के जाँच को प्रभावित नहीं करना चाहते। परमबीर सिंह पर दर्ज पाँचों केसों को जाँच रिकॉर्ड के साथ CBI को एक सप्ताह के अंदर ट्रांसफर कर दिया जाए।"

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में गुरुवार (24 मार्च, 2022) को मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर IPS परमबीर सिंह मामले की जाँच सीबीआई (CBI) को सौंप दी है। यह जाँच परमबीर सिंह के खिलाफ अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित हैं। इन केसों में परमबीर सिंह पर कुल 5 FIR दर्ज हैं। उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में “इस मामले में कोई भी दूध का धुला नहीं” जैसी टिप्पणी भी की है। अदालत का यह आदेश महाराष्ट्र की उद्धव सरकार के लिए एक झटका माना जा रहा है।

परमबीर सिंह के खिलाफ दोनों मामलों की जाँच महाराष्ट्र सरकार करवा रही थी। इसके खिलाफ परमबीर सिंह ने मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसे हाईकोर्ट ने 16 सितम्बर को ख़ारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम परमबीर सिंह पर लगे आरोपों पर कोई भी टिप्पणी कर के जाँच को प्रभावित नहीं करना चाहते। मुंबई हाईकोर्ट ने इस मामले को सर्विस मैटर जैसा सुना, जिसे हम ख़ारिज कर रहे हैं। परमबीर सिंह पर दर्ज पाँचों केसों को जाँच रिकॉर्ड के साथ CBI को एक सप्ताह के अंदर ट्रांसफर कर दिया जाए।”

शीर्ष अदालत ने इस केस में प्रथम दृष्टया निष्पक्ष जाँच की जरूरत को पाया। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, “ऐसे हालत क्यों बने? किस की गलती से बने? ये सब कुछ निकल कर सामने आना चाहिए। ऐसे में CBI को निष्पक्षता से जाँच करनी चाहिए। इस केस से जुड़े सभी लोग सच को सामने लाने के लिए CBI को पूरा सहयोग दें।” यह आदेश जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुंदरेश की बेंच ने दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने परमबीर सिंह की अपने निलंबन को समाप्त करने की माँग ठुकरा दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम नहीं जानते कि अंत में क्या होगा और क्या अभी और केस भी दर्ज होंगे। डिपार्टमेंट की कार्रवाई के मामले में CBI के जाँच निष्कर्ष की प्रतीक्षा करना ही ठीक होगा।”

महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश वकील ने CBI जाँच की माँग का विरोध किया। उन्होंने ऐसा होने पर प्रदेश पुलिस का मनोबल गिरने का तर्क दिया। तब सुप्रीम कोर्ट ने जवाब में कहा, “ये सही है कि हर मामला CBI को नहीं सौंपा जा सकता है लेकिन उस स्थिति का क्या करें जब पुलिस और मंत्रालय एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हों।” अंत में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट हमारे कार्यों को प्रभावित नहीं करती।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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