Friday, November 8, 2024
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नुपूर शर्मा कन्हैया लाल की हत्या की जिम्मेदार, उनकी वजह से देश जल रहा: SC की टिप्पणी पर पूछ रहे नेटिजन्स- ये शरिया कोर्ट है क्या

एएनआई के मुताबिक, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि नुपूर की जुबान फिसलने से पूरा देश जल रहा है। कोर्ट में जस्टिस परदीवाला ने नुपूर के लिए ये भी कहा कि उनके गुस्से का ही नतीजा था कि उदयपुर में अनहोनी हुई और दर्जी की हत्या की गई।

उदयपुर में कन्हैया लाल का गला मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद ने काट डाला। एक वीडियो बनाकर दुनिया को बताया भी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता को जिम्मेदार बताया है। कहा कि यह उनकी ही लगाई आग है और इसके लिए उन्हें देश से माफी माँगनी चाहिए।

दरअसल, शीर्ष अदालत 28 जून 2022 को हुई बर्बर हत्या के लिए नूपुर शर्मा के उस बयान का हवाला दे रही थी जो उन्होंने शिवलिंग के अपमान के जबाव में एक टीवी डिबेट में दिया था। इसे कथित तौर पर ईशनिंदा माना गया। उन्हें दुनिया भर से धमकी मिली। बीजेपी ने निलंबित कर दिया। यहॉं तक नूपुर खुद भी इसके लिए माफी माँग चुकी हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने नुपूर शर्मा की याचिका पर की सुनवाई

बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय में जस्टिस परदीवाला की बेंच के समक्ष नुपूर शर्मा ने अपनी याचिका दी थी कि पैगंबर मोहम्मद पर पूछे गए उनके सवाल के बाद उन्हें मौत की धमकियाँ दी जा रही हैं। ऐसे में जो भी अलग-अलग राज्यों में उनके विरुद्ध एफआईआर हुई है उसे दिल्ली शिफ्ट किया जाए।

कोर्ट ने इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए नुपूर शर्मा को ही कहा कि उन्हें देश से माफी माँगनी चाहिए। कोर्ट ने कट्टरपंथी तत्वों और उनके द्वारा अंजाम दी जा रही हिंसा को एक किनारे रखते हुए केस पर अपनी टिप्पणी की और देश के हालातों के लिए नुपूर शर्मा को जिम्मेदार बताया।

कोर्ट ने नुपूर शर्मा को माना उदयपुर घटना का जिम्मेदार

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि नुपूर की जुबान फिसलने से पूरा देश जल रहा है। कोर्ट में जस्टिस परदीवाला ने नुपूर के लिए ये भी कहा कि उनके गुस्से का ही नतीजा था कि उदयपुर में अनहोनी हुई और दर्जी की हत्या की गई।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आखिर टीवी चैनल और नुपूर शर्मा का एजेंडा फैलाने के अलावा काम क्या था कि वो इस मसले पर बात करें? कोर्ट को नुपूर शर्मा के वकील ने बताया कि नुपूर ने इस मुद्दे पर सामने से माफी माँग ली है और अपने कहे शब्द भी वापस लिए। कोर्ट ने यह सुन कहा कि उन्हें टीवी पर देश से माफी माँगनी चाहिए। पहले उन्होंने बहुत देर से माफी माँगी और साथ में कंडीशन भी जोड़ा कि – ‘अगर भावना आहत हुई तो वो माफी माँगती हैं।’

जब कोर्ट को ये बताने का प्रयास हुआ कि नुपूर शर्मा की जान को खतरा है तो जस्टिस सूर्य कांत बोले कि नुपूर को खतरा है या वो देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन गई हैं? जिस तरह उन्होंने देश में भावनाओं को भड़काया, उसके लिए और देश में जो कुछ हो रहा है उसके लिए उन्हें एकलौता जिम्मेदार माना जाना चाहिए।

नुपूर शर्मा को फटकार लगाने के लिए कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि आखिर जब नुपूर के विरुद्ध शिकायतें हुई तो उन लोगों ने क्या किया। नुपूर की शिकायत पर तो शख्स अरेस्ट हो गया लेकिन उनके ऊपर जो शिकायतें हुई उसके बावजूद उन्हें हाथ नहीं लगाया गया।

कोर्ट ने नुपूर शर्मा की याचिका को राहत देने से मना करते हुए कहा कि वो चाहें तो हाईकोर्ट जा सकती हैं। लेकिन उनकी ओर से इस केस में राहत नहीं दी जाएगी। वहीं नुपूर के वकील ने बताया कि नुपूर किसी भी जाँच से भाग नहीं रही हैं बल्कि वह जाँच में शामिल हो रही हैं। इस पर भी कोर्ट ने कहा कि तब तो उनके लिए रेड कार्पेट होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर खफा हुए सोशल मीडिया यूजर्स

नुपूर शर्मा को मिल रही धमकियाँ और देश में घटित हो रही कट्टरपंथी घटनाओं के बावजूद सुप्रीम कोर्ट की ऐसी टिप्पणियाँ सुन कई सोशल मीडिया यूजर्स खफा हैं। पूछा जा रहा है कि ये शरीया कोर्ट है क्या? नुपूर अपनी याचिकाओं को दिल्ली शिफ्ट कराने की माँग लेकर आई थी। अगर ऐसा नहीं करना तो साफ मना किया जाता। ये सब कहने की क्या आवश्यकता। बिन सुनवाई के उन्हें दोषी बनाया जा रहा है।

लोग मान रहे हैं कि इस तरह सुप्रीम कोर्ट का नुपूर पर गुस्सा जाहिर करना, कट्टरपंथियों को बल देगा कि वो जो कर रहे हैं वो सही हैं और सारी गलती नुपूर शर्मा की ही है। इसके अलावा ये भी पूछा जा रहा है कि अगर कन्हैया लाल की मौत की जिम्मेदार नुपूर शर्मा हैं तो कमलेश तिवारी और किशन भरवाड़ की हत्या का मुजरिम कौन है।

जजों पर उठ रहे सवाल

उल्लेखनीय है कि नुपूर शर्मा केस में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियाँ सुनने के बाद लोग साझा कर रहे हैं कि जिन जजों ने नुपूर की याचिका पर सुनवाई के बदले उन्हें दोषी ठहराया उनमें से एक जस्टिस पारदीवाल हैं जो 1989 से 1990 में कॉन्ग्रेस विधायक रह चुके हैं और दूसरे जस्टिस सूर्यकांत हैं जिसके ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप रहे हैं जिसके चलते जस्टिस एके गोयन ने उनकी नियुक्ति पर विरोध बी किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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