नागपुर में 17 मार्च, 2025 को हुए दंगे हाल के वर्षों में घटी सांप्रदायिक हिंसा की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक हैं। हंसापुरी में अफवाह उड़ाई गई कि औरंगजेब की कब्र को हटाने के विरोध में चल रहे प्रदर्शन में हिंदू समूह ने कुरान जला दिया है। इसके बाद वहां इस्लामी कट्टरपंथियों ने दंगा शुरू कर दिया। 100 से भी अधिक वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। हिंदुओं की घरों और दुकानों की पहचान कर उनमें तोड़फोड़ और आगजनी की गई।
इस दंगे में सैयद असीम अली का नाम सामने आया है। इसके ऊपर आरोप है कि 2019 में लखनऊ में हिंदू नेता कमलेश तिवारी की हत्या का सूत्रधार था। सीसीटीवी में भी असीम दंगे से जुड़ी गतिविधियों में शामिल दिखा। असीम को पुलिस नागपुर हिंसा का दूसरा मास्टरमाइंड मान रही है। सैयद असीम इस समय फरार है और पुलिस उसकी तलाश में दबिश दे रही है।
नागपुर हिंसा में पुलिस ने माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) के शहर अध्यक्ष फहीम शमीम खान को गिरफ्तार किया गया था। उस पर भीड़ को हिंदुओं के खिलाफ भड़काने का आरोप है। जाँच में फहीम खान के सैयद असीम अली के साथ भी संपर्क में रहने के सबूत मिले हैं। इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स की मानें तो सैयद असीम अली हिंसा होने से कुछ समय पहले गणेश पेठ पुलिस थाने के आसपास इस्लामी कट्टरपंथियों को इकट्ठा करते हुए सीसीटीवी में कैद हुआ है।
कमलेश तिवारी हत्याकांड में सैयद असीम की भूमिका
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 18 अक्टूबर, 2019 को हिंदू महासभा के पूर्व नेता व ‘हिंदू समाज पार्टी’ के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की उनके घर पर बने कार्यालय में बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कमलेश तिवारी की हत्या के बाद सैयद असीम ने एक वीडियो भी अपलोड किया था। इसमें उसने हत्या को सही ठहराया था। आरोप था कि वह कमलेश के हत्यारों के संपर्क में था। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने उसे जमानत दे दी थी।
नागपुर पुलिस आयुक्त रविंद्र कुमार सिंघल ने बताया कि सैयद असीम का इस हिंसा से जुड़ाव के कुछ सुबूत मिले हैं। उसकी तलाश के लिए टीमें बनाईं गईं हैं। नागपुर हिंसा की जाँच जारी है और पुलिस ने अब तक 100 से भी अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। इसके अलावा फहीम खान को इस दंगे का मुख्य आरोपित बनाया गया है। उस पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है।
कौन है सैयद असीम अली?
सैयद असीम अली एमडीपी का पूर्व प्रत्याशी रह चुका है। 2019 में वह लोकसभा चुनाव में नितिन गडकरी के खिलाफ खड़ा हुआ, लेकिन उसे सिर्फ 600 वोट ही मिले थे। कमलेश तिवारी हत्याकांड में नाम सामने आने के बाद उसे गिरफ्तार किया गया। बाद में 2024 में उसे जमानत मिल गई। अली हमेशा से ही इस्लामी कट्टरपंथियों खासतौर पर मुस्लिम युवाओं को लामबंद करने में सक्रिय रहा। नागपुर हिंसा के बाद वह फरार हो गया।
रिपोर्ट्स के अनुसार, 2017 में असीम ने ह्यूमैनिटी डेमोक्रेटिक पार्टी (HDP) बनाई। इस बैनर के तले उसने एक वीडियो जारी किया जिसमें उसने कहा था, “कमलेश तिवारी अपनी मौत के करीब है, सिर्फ मौत का हकदार है।” वीडियो के जरिए ईशनिंदा के नाम पर उनकी हत्या के लिए भड़काया गया था। लखनऊ कोर्ट ने असीम को आरोप गंभीर होने और सांप्रदायिक साजिश से गहरा संबंध होने के चलते 2020 में बेल देने से मना कर दिया था।
सेशन कोर्ट में अपनी जमानत याचिका में सैयद असीम ने ख़ुद को ‘विचारधारा के प्रचारक’ की तरह वर्णित किया। प्रॉसिक्यूशन ने यह भी कहा कि कमलेश के हत्यारे अश्फाक और मोइनुद्दीन वीडियो देखने के बाद उनसे जुड़े।
गंभीर आरोपों के बावजूद मिल गई बेल
असीम ने बेल के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया लेकिन वहाँ भी ‘गंभीर सांप्रदायिक घृणा’ के आरोपों के आधार पर बेल नहीं मिली। इसके बाद जुलाई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को नकारते हुए उसे बेल दे दी। सर्वोच्च न्यायालय की जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच का मानना था कि भले ही वह हत्यारों के सीधे संपर्क में रहा हो, उन्हें कानूनी सहायता देना चाहता हो लेकिन उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामले नहीं हैं। ऐसे में उसे बेल दे दी गई।
सोशल मीडिया पर सक्रिया है असीम
बेल मिलने के तीन महीने के अंदर ही 2 अक्बटूर, 2024 को असीम ने वीडियो जारी कर अपनी वापसी की जानकारी दी। अब भी असीम के फेसबुक और इंस्टाग्राम पेज सक्रिय हैं।

इसके अलावा वह चंद्रशेखर आजाद की ‘आजाद समाज पार्टी’ के संपर्क में था और कयास लगाए जा रहे थे कि वह पार्टी से जुड़ सकता है। 13 जनवरी को उसने खुद वीडियो डालकर चर्चा की पुष्टि की।
ऑपइंडिया ने असीम के फेसबुक पेज का 2018 का वह वीडियो भी खोज निकाला जिसमें उसने कमलेश तिवारी के मर्डर की बात खुलेआम कही थी। हत्या में अहम रोल होने के बावजूद आजाद समाज पार्टी ने उससे जुड़ने का निर्णय लिया।