Wednesday, May 14, 2025
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पुजारियों को भी देते हो क्या वेतन? : तेलंगाना में इमामों-मुअज्जिनों की सैलरी के लिए KCR ने पास किए ₹17 करोड़, हिंदुओं ने उठाए सवाल

तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर द्वारा मौलवियों की सैलरी पास होने की जानकारी वक्फ बोर्ड ने दी। यह खबर सुनने के बाद हिंदुओं ने पूछा क्या प्रदेश सरकार पुजारियों को भी पैसे देती है।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने प्रदेश के मौलवियों और इमामों को बड़ी सौगात दी है। तेलंगाना के वक्फ बोर्ड अध्यक्ष ने बताया है कि सीएम ने प्रदेश के इमामों व मुअज्जिनों की 3 महीने से बकाया सैलरी के लिए 17 करोड़ रुपए पास कर दिए, बाकी बची रकम 18 जुलाई तक मिलेगी।

वक्फ बोर्ड अध्यक्ष मोहम्मद मसीउल्लाह खान ने कहा, “मैं मुख्यमंत्री केसीआर को शुक्रिया कहता हूँ कि उन्होंने मुअज्जिनों और इमामों की पिछले 3 महीने से बकाया सैलरी के लिए 17 करोड़ रुपए पास किए। 2 महीने की सैलरी के लिए 10 करोड़ रुपए पहले ही रिलीज किए जा चुके हैं। बाकी के पैसे 18 जुलाई तक मिल जाएँगे।”

बता दें कि तेलंगाना सरकार लंबे समय से प्रदेश के इमामों और मुअज्जिनों को मानदेय के तौर पर 5000 हजार रुपए देती है। इससे प्रदेश के हजारों इमाम-मुअज्जिन फायदा पाते हैं। हालाँकि कुछ समय पहले ऑल इंडिया सूफी उलेमा काउंसिल के मौलाना हकीम सूफी खैरुद्दीन ने के चंद्रशेखर राव को पत्र लिखकर इमामों-मुअज्जिनों की बकाया सैलरी देने की गुहार लगाई थी। साथ ही पत्र में माँग की गई थी कि वक्फ बोर्ड के कर्मचारियों के विरुद्ध एक्शन लिया जाए। उनका आरोप था कि उनके साथ बदसलूकी हुई।

प्रदेश में 7000 मौलवियों की सैलरी बकाया: दावा

मौलाना हकीम ने बताया कि 7000 इमाम और मुअज्जिन 3 साल से पेंडिंग पड़ी सैलरी के लिए लगातार बोर्ड कार्यालय के चक्कर लगाते रहे, लेकिन बोर्ड अधिकारियों ने उनकी परेशानी का कोई समाधान नहीं दिया। उनकी शिकायत थी कि बोर्ड के कर्मचारी बोर्ड को अपनी निजी संपत्ति मानने लगे हैं और वहाँ भ्रष्टाचार ही फैला हुआ है। उन्होंने कहा था कि अगर 7000 इमामों की सैलरी नहीं दी गई तो वह लोग सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन करेंगे।

उल्लेखनीय है कि मौलवियों और इमामों के लिए लंबे समय से की जा रही माँग के बाद 16 जुलाई को वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने 17 करोड़ की रकम को पास कर दिया है। इस खबर को सुनने के बाद जहाँ कुछ मुस्लिम केसीआर को धन्यवाद दे रहे हैं। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि आखिर मौलाना और इमाम कौन सी नौकरी कर रहे हैं जो देश के करदाताओं का पैसा उन्हें दिया जा रहा है। इसी तरह हिंदुओं का यह खबर पढ़ने का बाद पूछना है कि क्या पुजारी और पंडितों को भी केसीआर सैलरी देते हैं?

एक यूजर पूछता है, “क्या इमाम और मुअज्जिन कोई सरकारी नौकरी कर रह हैं, या मुअज्जिन होना कोई सरकारी पोस्ट है, ये शुद्ध रूप से तुष्टिकरण की राजनीति है जिस पर करदाताओं के पैसे खर्च हो रहे हैं। शर्म आनी चाहिए केसीआर तुम्हें… क्या तुम सैलरी और पेंशन हिंदू पुजारियों को भी दोगे या केवल मंदिरों से पैसा लेकर उन्हें मुस्लिमों को दिया जाएगा।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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