जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में अब तक 28 पर्यटकों की जान चली गई है, जिसमें से 2 विदेशी नागरिक भी शामिल थे। मंगलवार (22 अप्रैल, 2025) दोपहर ढाई बजे के करीब हुए इस हमले की जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF), जो पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है, ने ली है। हमलावर, जो सेना की वर्दी में थे, पहलगाम के बाईसरन हिल स्टेशन की पहाड़ियों से उतरे और पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियाँ बरसाईं।
इसी बीच केरल हाई कोर्ट के तीन जज, अनिल के नरेंद्रन, जी गिरीश और PG अजितकुमार, अपने परिवार के साथ जम्मू-कश्मीर घूमने गए थे, तभी आतंकवादियों ने हमला कर दिया, जिसमें तीनों जज बाल-बाल बचे। पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर जजों ने आपबीती बताई है।
जज और उनके परिवार हमले से कुछ घंटे पहले ही पहलगाम से निकल गए थे। 8 लोगों का यह समूह 17 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर पहुँचा था और घूमते हुए सोमवार (21 अप्रैल, 2025) को पहलगाम पहुँचा। वहाँ उन्होंने कई मशहूर जगहें देखीं और फिर वहीं रुक गए।
अगले दिन, मंगलवार (22 अप्रैल, 2025) की सुबह 9:30 बजे, वे पहलगाम से श्रीनगर के लिए रवाना हो गए। यह हमला दोपहर के आसपास हुआ था, जिसमें 28 पर्यटकों की जान चली गई।
केरल हाई कोर्ट के जज ने बताई आपबीती
‘द हिंदू’ से बातचीत के दौरान जस्टिस अनिल के नरेंद्रन बताते है कि मौसम अच्छा था और उन्होंने सोमवार को ही कई मंदिर और घूमने लायक पर्यटन देख लिए थे। जस्टिस के ड्राइवर ने उनसे कई और भी जगहें दिखाने की बात कहीं थी। लेकिन, जज ने श्रीनगर लौटकर डल झील में नाव की सवारी करने की बात कहीं और वे वहाँ से सुरक्षित श्रीनगर के लिए निकल चुके थे।
जस्टिस नरेंद्रन ने यह भी बताया कि श्रीनगर के होटल में उन्हें एक ऐसा व्यक्ति मिला, जो आतंकी हमले का सामना कर बाल-बाल बचा था। इस घटना के बाद वे व्यक्ति बुरी तरह से डर गया था।
इसके अलावा जस्टिस अजितकुमार भी हमले के समय वहाँ से निकलकर श्रीनगर सुरक्षित पहुँच चुके थे। वो बुधवार को केरल लौटने के लिए रवाना होंगे।