Friday, April 26, 2024
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वैक्सीन ‘हलाल’, ‘शरिया कानून’ के हिसाब से है इस्तेमाल की अनुमति: Covid-19 वैक्सीन पर WHO का स्पष्टीकरण

WHO ने ट्वीट में बताया कि Covid-19 वैक्सीन 'हलाल' हैं, क्योंकि इनके निर्माण में किसी भी प्रकार के जानवर के अंश का प्रयोग नहीं किया जाता है।

विश्व भर में मुस्लिमों की अच्छी-खासी जनसंख्या को Covid-19 वैक्सीन के प्रति भरोसा दिलाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को यह बताना पड़ा कि वैक्सीन ‘हलाल’ है और ‘इस्लामिक शरिया कानून’ के मुताबिक इसके उपयोग की अनुमति है।

23 जुलाई 2021 को ट्विटर पर WHO ने ट्वीट अपने आधिकारिक एकाउंट से Covid-19 वैक्सीन के बारे में जानकारी दी। WHO ने इस ट्विटर थ्रेड के माध्यम से वैक्सीन से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर स्पष्टीकरण दिया। हालाँकि, लगभग सभी मुद्दे वैक्सीन के उपयोग, उससे जुड़ी कुछ भ्रामक जानकारियों और वैक्सीन की आवश्यकता से जुड़े थे लेकिन आखिर में WHO को भी वैक्सीन के ‘हराम या हलाल’ होने का स्पष्टीकरण देना पड़ा। WHO ने ट्वीट में बताया कि Covid-19 वैक्सीन ‘हलाल’ हैं, क्योंकि इनके निर्माण में किसी भी प्रकार के जानवर के अंश का प्रयोग नहीं किया जाता है। साथ ही, WHO ने यह भी बताया कि मेडिकल फ़िक (Fiqh) सिम्पोसियम द्वारा यह आदेशित किया गया है कि वैक्सीन की इस्लामिक ‘शरिया कानून’ के मुताबिक उपयोग की अनुमति है।

दरअसल 22 फरवरी 2021 को इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन (OIC) के इंटरनेशनल इस्लामिक फ़िक (Fiqh) एकेडमी द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए Covid-19 वैक्सीन और इस्लामिक शरिया कानून के मुताबिक उसकी अनुमति से संबंधित मुद्दे पर बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक में Covid-19 वैक्सीन के उपयोग को लेकर स्पष्टीकरण दिया गया था। इस बैठक में वैक्सीन के कंपोनेन्ट, वैक्सीन को लेकर शरिया कानून और वैक्सीन की खरीद पर चर्चा की गई।

रासायनिक क्रिया शरिया कानून के अनुसार वैध:

बैठक के बाद जारी किए गए वक्तव्य में बताया गया कि औषधि विज्ञान के विशेषज्ञों ने यह पुष्टि की है कि Covid-19 वैक्सीन के निर्माण में कोरोना वायरस का मैसेंजर RNA, DNA मटेरियल, कॉमन कोल्ड वायरस, दूसरे वायरस और बैक्टीरिया, बायोरिएक्टर, पोटेशियम, सोडियम, मैग्नीशियम, फॉस्फेट, एसिटिक एसिड और ऐसे ही कई अन्य पदार्थ शामिल हैं। अतः यह स्पष्ट है कि वैक्सीन के निर्माण में सूअर या इंसान के किसी भी अवयव का उपयोग नहीं किया जाता है। इन तमाम ‘वैज्ञानिक’ अध्ययनों के बाद यह सुनिश्चित किया गया कि वैक्सीन के निर्माण में इन घटकों के बीच जो रासायनिक अभिक्रियाएं और परिवर्तन होते हैं, वो इस्लामिक न्यायतंत्र के मुताबिक ‘शरिया कानून’ के अनुकूल हैं। अंततः बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया कि इस्लामिक शरिया कानून के मुताबिक Covid-19 वैक्सीन के उपयोग की पूर्णतः अनुमति है।

मेडिकल फ़िक सिम्पोसियम द्वारा Covid-19 वैक्सीन पर दिया गया स्पष्टीकरण

यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ था जब मलेशिया और इंडोनेशिया में Covid-19 वैक्सीन के हलाल या हराम होने पर बहस छिड़ गई थी। इस्लाम में उन चीजों का उपयोग नहीं किया जाता है, जिनके निर्माण में ‘हराम’ वस्तुओं का उपयोग होता है। इसके अलावा, जिन वस्तुओं के उपयोग की अनुमति शरिया कानून के मुताबिक दी जाती है, उन्हें इस्लाम में ‘हलाल’ माना गया है। मुस्लिमों के बीच यह अफवाह थी कि Covid-19 वैक्सीन के निर्माण में सूअर के अवयवों का उपयोग किया जाता है, इसलिए मुस्लिम समुदाय में कई बार वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट देखने को भी मिली।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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