उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार नेपाल सीमा पर बने अवैध मस्जिद-मदरसों पर लगातार कार्रवाई कर रही है। उत्तर प्रदेश और नेपाल के बीच 7 जिलों की 570 किलोमीटर की सीमा पर रोज अवैध ढाँचे समतल किए जा रहे हैं। महराजगंज से लेकर सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती, पीलीभीत और लखीमपुर खीरी में इन कब्जों को चिन्हित किया जा रहा है। बीते लगभग एक माह में सैकड़ों ऐसे अवैध ढाँचे गिराए गए हैं।
सिद्धार्थनगर में तेजी से हो रही कार्रवाई
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट बताती है कि सिद्धार्थनगर जिले में वर्ष 1990 में केवल 16 मान्यता प्राप्त मदरसे थे। यह साल 2000 तक बढ़कर 147 हो गए, लेकिन तब इनमें से केवल 45 को ही सरकारी मान्यता मिली थी। यह आँकड़ा 2023 तक बढ़ते-बढ़ते यह संख्या 597 तक पहुँच गई। इनमें से 452 ही रजिस्टर्ड हैं जबकि 145 मदरसे अभी भी गैर-मान्यता प्राप्त हैं।
सबसे अधिक मदरसे सिद्धार्थनगर की डुमरियागंज तहसील में हैं। यहाँ 152 मदरसे संचालित हो रहे हैं जबकि इटवा तहसील में 134, नौगढ़ तहसील में 119 और शोहरतगढ़ तहसील में 102 और बांसी तहसील में 90 मदरसों का संचालन हो रहा है।
यहाँ सिर्फ मदरसों की संख्या ही नहीं बढ़ी, बल्कि इन पर कई गंभीर आरोप भी हैं। कुछ मदरसों में नकली नोट छापने जैसी गतिविधियों के सबूत मिले हैं। इसके साथ ही, इन संस्थानों को विदेश से फंडिंग मिलने की जानकारी भी सामने आई है। ऐसे मामलों को देखते हुए प्रशासन को कई जगहों पर अवैध मदरसों पर कार्रवाई की है।
सिद्धार्थनगर में योगी सरकार ने 17 अवैध मदरसे चिन्हित किए गए हैं। इसके अलावा 4 अवैध मजहबी स्थल भी चिन्हित किए गए हैं। इन पर भी कार्रवाई जारी है। इनमें से कई पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जा चुकी है। इनके अलावा कई मजहबी स्थल भी हैं।
सबसे बड़ी कार्रवाई श्रावस्ती में
श्रावस्ती जिला भी नेपाल से लम्बी सीमा साझा करता है। यहाँ प्रशासन सबसे अधिक सख्त है। यहाँ बीते कुछ वर्षों में तेजी से मस्जिद-मदरसे बढ़े हैं। इस बढ़ोतरी को लेकर सशस्त्र सीमा बल (SSB) ने गंभीर चिंता जताई है और इसे संभावित डेमोग्राफिक बदलाव का संकेत बताया है।
SSB अधिकारियों के अनुसार, इन इलाकों में 15 किलोमीटर के दायरे में मजहबी संरचनाओं की संख्या में 26% तक का इजाफा हुआ है। जानकारी के मुताबिक, वर्ष 2018 में इन सीमावर्ती इलाकों में कुल 738 मस्जिदें थीं, जो 2021 तक बढ़कर 1000 हो गईं। वहीं, मदरसों की संख्या 500 से बढ़कर 645 हो गई है।
श्रावस्ती में प्रशासन अब सख्त हो गया है। श्रावस्ती में योगी सरकार ने 100 से अधिक मदरसे सील कर दिए हैं। रिपोर्ट्स बताती हैं कि श्रावस्ती में लगभग आधे दर्जन मदरसे गिराए भी जा चुके हैं। कई जगह मजारों पर भी कार्रवाई हुई है।
बहराइच में भी मदरसे सील, कब्जे खाली
बहराइच जिले की नेपाल सीमा के आसपास भी उत्तर प्रदेश सरकार कार्रवाई कर रही है। यहाँ 24 अवैध मदरसे चिन्हित किए गए हैं जिनमे से 9 को सील कर दिया गया है। इन पर बुलडोजर कार्रवाई भी चालू हो गई है। बहराइच में 384 अतिक्रमण के मामले चिन्हित किए गए हैं। इनमें से कुल 89 कब्जे ध्वस्त किए जा चुके हैं। आगे और भी ऐसे ही कब्जों पर कार्रवाई चल रही है।
बहराइच में नेपाल सीमा के पास बड़ी संख्या में बीते वर्षों में कई अवैध ढाँचे बन गए थे। इनसे डेमोग्राफी चेंज का खतरा भी बढ़ा है। इसके बाद योगी सरकार ने चिन्हित करना चालू किया था। अब इन पर सिलसिलेवार ढंग से कार्रवाई चालू हो गई है।
बलरामपुर जिले में भी 25 मदरसों पर कार्रवाई
बलरामपुर जिले में भी योगी सरकार ने 25 गैर-मान्यता प्राप्त मदरसे ढूंढ निकाले हैं। इनमें से 23 को सील कर दिया गया है। बाकी 2 मदरसों को नोटिस जारी किए गए हैं। कई लोग कार्रवाई के डर से अपने अवैध कब्जे खुद ही हटा लिए हैं। बलरामपुर जिले में बाकी ढाँचे भी तोड़े जा रहे हैं।
बलरामपुर जिले से नेपाल जिले की खुली सीमा है। इस जिले में जंगल का इलाका भी है। बीते कुछ वर्षों में तेजी से इन इलाकों में मस्जिद-मदरसे बढे थे। जहाँ पहले कोई नहीं रहता था, वहाँ भी मुस्लिम आबादी दिखने लगी थी। इस तेजी से होते बदलाव को लेकर विशेषज्ञों ने चिंता भी जताई है।
इनके अलावा महाराजगंज, पीलीभीत और लखीमपुर खीरी जैसे जिलों में भी दर्जनों मदरसे सील किए गए हैं। इन पर प्रशासन बुलडोजर कार्रवाई कर रहा है। इसकी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजी जा रही है। यह कार्रवाई मुख्य रूप से नेपाल सीमा के 15 किलोमीटर के इलाके तक हो रही है।
नेपाल सीमा से सटे इन जिलों में मजहबी ढांचे और मदरसों की तेजी से बढ़ती संख्या न केवल सामाजिक संतुलन के लिए चुनौती बन रही है, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी चिंता का विषय है। 2023 में पुलिस की जाँच में सामने आया था कि इन जिलों में मस्जिद -मदरसे बनाने के लिए ₹150 करोड़ की फंडिंग खाड़ी देशों से आई थी।
उत्तराखंड के नेपाल सीमा वाले जिले भी प्रभावित
नेपाल सीमा से लगे सिर्फ उत्तर प्रदेश के ही नहीं बल्कि उत्तराखंड के जिले भी प्रभावित हैं। इन क्षेत्रों में भी मुस्लिम आबादी में 2.5 गुना इजाफा हुआ है। उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर, चम्पावत और पिथौरागढ़ जिलों को गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। खास तौर पर पिथौरगढ़ के धारचूला और जौलजीवी कस्बों को अतिसंवेदनशील घोषित किया गया है।
उत्तराखंड में बनबसा और टनकपुर जैसे इलाकों से नेपाल में काफी आवाजाही होती है। इस आवाजाही पर कोई विशेष रोकटोक नहीं रही है। यह दोनों बॉर्डर चम्पावत जिले हैं। चम्पावत की सीमा उत्तराखंड के US नगर और उत्तर प्रदेश के पीलीभीत-बरेली जैसे जिलों से मिलती है। यहाँ बड़ी मुस्लिम आबादी है।
मुस्लिम पट्टी बसाने की है योजना
इन बढ़ती गतिविधियों को लेकर बीते वर्ष दैनिक जागरण में प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि उत्तर भारत में एक ‘मुस्लिम पट्टी‘ बनाने की साजिश चल रही है, जिसमें पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्य शामिल होंगे।
यह पट्टी बांग्लादेश से सटे पश्चिम बंगाल से शुरू होकर पाकिस्तान तक जाएगी। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि असम में घुसपैठियों के खिलाफ हुए आंदोलनों के बाद कई मुस्लिमों को इस संभावित ‘पट्टी’ में बसाने की रणनीति अपनाई गई है।
ऐसे में भारत के लिए यह सीमावर्ती क्षेत्र रणनीतिक और सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील बन गया है। नेपाल से लगे यूपी और उत्तराखंड के सीमावर्ती जिलों में मस्जिदों और मदरसों की संख्या में वृद्धि, मुस्लिम आबादी में इजाफा और पड़ोसी देशों की संदिग्ध गतिविधियाँ इन सभी कारकों ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की चिंता को बढ़ा दिया है।