Friday, April 19, 2024
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रवीश कुमार पर बन गई डॉक्यूमेंट्री, बज रहीं तालियाँ… लेकिन इसमें पैसा लगा है भारत विरोधी जॉर्ज सोरोस और फोर्ड फाउंडेशन का

भारतीय मीडिया के स्व-घोषित मसीहा रवीश कुमार अमेरिका में अपनी डॉक्यूमेंट्री 'व्हाइल वी वाच्ड (While We Watched)' का प्रचार कर रहे। डॉक्यूमेंट्री में भारत विरोधी जॉर्ज सोरोस और फोर्ड फाउंडेशन का पैसा लगा होने के कारण उठ रहे सवाल।

NDTV के न्यूज एंकर रवीश कुमार (Ravish Kumar) पर एक डॉक्यूमेंट्री बनी है। ‘व्हाइल वी वाच्ड (While We Watched)’ नाम की यह डॉक्यूमेंट्री बनते के साथ विवादों से घिर गई। विवादास्पद फोर्ड फाउंडेशन और जॉर्ज सोरोस ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन के साथ संबंधों को लेकर। सबसे पहले इसका खुलासा डिजिटल मीडिया स्टार्टअप द पैम्फलेट ने किया है।

विनय शुक्ला के डायरेक्शन में बनी ‘व्हाइल वी वाच्ड (While We Watched)’ नाम की यह डॉक्यूमेंट्री NDTV के न्यूज एंकर रवीश कुमार (Ravish Kumar) पर बनी है। इससे पहले, विनय शुक्ला साल 2016 में आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक करियर पर बनी डॉक्यूमेंट्री ‘एन इंसिग्निफिकेंट मैन’ में को-डायरेक्टर की भूमिका में थे।

‘व्हाइल वी वाच्ड’ की वेबसाइट पर एक नजर देखें तो पता चलता है कि फिल्म को ‘ब्रिट डॉक फिल्म्स’ द्वारा फंडिंग की गई है, जिसका नाम बदलकर अब ‘डॉक सोसाइटी’ कर दिया गया है।

‘व्हाइल वी वाच्ड’ वेबसाइट का स्क्रीनशॉट

रवीश कुमार पर जो डॉक्यूमेंट्री बनी है, उसके स्क्रिप्ट का सार कुछ ऐसा कह कर बेचा जा रहा: “उथल-पुथल से भरा न्यूजरूम ड्रामा, जहाँ पत्रकार रवीश कुमार सच के लिए हर दिन फर्जी खबरों से लड़ते हैं। वो भी ऐसे समय में जहाँ तथ्यात्मक रिपोर्टिंग पूरे विश्व से गायब हो रही। ‘While We Watched’ को देखिए और इस रसातल को समझिए।”

‘डॉक सोसाइटी’ की वेबसाइट की जाँच करने के दौरान ऑपइंडिया ने पाया कि विवादास्पद अमेरिकी फाउंडेशन, फोर्ड को गैर-लाभकारी संगठन के प्रमुख पार्टनर के रूप में दिखाया गया है। गौरतलब है कि ऑनलाइन पोर्टल द पैम्फलेट ने पहले भी इन लिंक्स का खुलासा किया था।

‘डॉक सोसाइटी’ वेबसाइट का स्क्रीनशॉट

इस साइट में फोर्ड फाउंडेशन की ‘जस्टफिल्म्स इनिसिएटिव’ के पूर्व डायरेक्टर कारा मर्ट्स का एक कोट भी शामिल है, जिसमें उन्होंने डॉक सोसाइटी की तारीफ की है। कारा मर्ट्स का वह कोट “सहयोग, नवाचार और तेजी से प्रोटोटाइप में विशेषज्ञ” है।

नीचे स्क्रॉल करने पर, ऑपइंडिया वेबसाइट के एक ऐसे हिस्से पर पहुँचा, जहाँ फोर्ड फाउंडेशन को फिर से प्रमुख पार्टनर के रूप में दिखाया गया है। ‘डॉक सोसाइटी’ के एक मैसेज में कहा गया है, “हम केवल वही कर सकते हैं जो हम उन संगठनों और व्यक्तियों की वजह से कर सकते हैं, जो हमारे काम को फंडिंग करते हैं।”

फोर्ड फाउंडेशन को डॉक सोसायटी के पार्टनर के रूप में दिखाया गया

भारत विरोधी गतिविधियाँ और फोर्ड फाउंडेशन

साल 2015 में, गुजरात सरकार ने तीस्ता सीतलवाड़ द्वारा किए गए घोटाले की जाँच करते हुए पाया था कि फोर्ड फाउंडेशन द्वारा उसकी संस्थाओं को फंडिंग की गई थी। साथ ही यह भी सामने आया था कि तीस्ता की संस्था ने एफआरसीए के नियमों का उल्लंघन किया। दरअसल, तीस्ता सीतलवाड़ की संस्था ‘सबरंग कम्युनिकेशन एंड पब्लिशिंग प्राइवेट लिमिटेड’ को “मीडिया रणनीतियों सहित भारत में सांप्रदायिकता, जाति-आधारित भेदभाव को बढ़ावा देने के लिए” फोर्ड फाउंडेशन से 2.9 लाख डॉलर की बड़ी राशि मिली थी।

इस फंडिंग की जानकारी सामने आने के बाद गुजरात पुलिस द्वारा एक पत्र जारी किया गया था, जिसके बाद गृह मंत्रालय ने भी फोर्ड फाउंडेशन की गतिविधियों की जाँच करने की बात कही थी। जिसके बाद, विकीलीक्स ने भी इस बारे में खुलासे किए थे।

फोर्ड फाउंडेशन ने दावा किया था कि वह तीस्ता सीतलवाड़ के सबरंग ट्रस्टों को फंड देने के विवाद में फँस गया था। 26 मई, 2015 को फोर्ड फाउंडेशन इन इंडिया: नोट्स टू जॉन पोडेस्टा नामक टाइटल वाले लेटर में सरकार की कार्रवाई के संभावित कारणों में अरविंद केजरीवाल (राजनीति में आने से पहले) के एनजीओ को की गई फंडिंग को भी बताया गया था।

इस बात की पुष्टि किसी और ने नहीं बल्कि भारतीय वामपंथियों की प्रमुख ‘सेलीब्रिटी’ अरुंधति रॉय ने की थी। सागरिका घोष के साथ एक इंटरव्यू में, अरुंधति रॉय ने उस लेख के बारे में बात की थी जो उन्होंने द हिंदू के लिए लिखा था। इस लेख में अरुंधति ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल और सिसोदिया के गैर सरकारी संगठनों ने तीन वर्षों में फोर्ड फाउंडेशन से $400,000 (अभी की कीमत 3 करोड़ 26 लाख रुपए लगभग) से अधिक प्राप्त किए थे।

अरुंधति रॉय ने यह भी दावा किया था कि आंदोलन के शीर्ष मैनेजमेंट वाले दस लोगों के समूह के पास अच्छी तरह से फंडिंग वाले एनजीओ थे। अरुंधति ने कहा था कि टीम के तीन मुख्य सदस्यों ने मैग्सेसे पुरस्कार जीता था, जिसे फोर्ड फाउंडेशन द्वारा फंडिंग की जाती है।

यह सुनने में दिलचस्प लग सकता है कि NDTV के एंकर रवीश कुमार को भी संयोग से साल 2019 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला। पिछले साल, क्रिस्टोफर ब्रुनेट द्वारा उनके सबस्टैक ‘कार्लस्टैक’ पर कोट किए गए व्हिसल-ब्लोअर ईमेल से पता चलता है कि फोर्ड फाउंडेशन असहिष्णु और कट्टर वामपंथी चरमपंथियों का गढ़ है।

डॉक सोसाइटी और जॉर्ज सोरोस का जुड़ाव

डॉक सोसाइटी के कई दर्जन ‘समर्थक’ हैं। लेकिन अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन इस कथित ‘गैर-लाभकारी कंपनी’ डॉक सोसाइटी को फंडिंग करने वाले प्रमुख संगठनों में से एक है। खासतौर से जॉर्ज सोरोस मीडिया और ‘सिविल सोसायटी’ का उपयोग करके एक खतरनाक भारत विरोधी नैरेटिव को हवा दे रहा है।

उल्लेखनीय है कि जॉर्ज सोरोस ‘राष्ट्रवादियों’ और रूढ़िवादी सरकारों से लड़ाई के बारे में कहता रहा है। जिसे वह अक्सर ‘सत्तावादी’ सरकारों के रूप में भी संबोधित करता है। बीते वर्षों में यह सामने आया है कि जॉर्ज सोरोस को अगर किसी चीज से सबसे अधिक नफरत रही है, तो वह है भारत और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी सरकार।

ओपन सोसायटी फाउंडेशन को ‘डॉक सोसायटी’ के समर्थक के रूप में दिखाया गया

साल 2008 में, सोरोस इकोनॉमिक डेवलपमेंट फंड (SEDF) ने निवेश को बढ़ावा देने के लिए अपने 17 मिलियन के फंड को लॉन्च करने के लिए ओमिडयार नेटवर्क, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (ISB) और Google.org के साथ हाथ मिलाया था। इसके बाद, सोरोस ने अन्य नेटवर्कों के साथ मिलकर, पॉलिटिकल नैरेटिव में हेरफेर करने के लिए मीडिया संस्थानों को बड़े पैमाने पर फंडिंग की। फिलहाल, MDIF साइट पर लिस्टेड वामपंथी वेबसाइट स्क्रॉल और ग्राम वाणी नामक एक अन्य वेबसाइट है। 

मीडिया को फंडिंग के अलावा, ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन वामपंथी झुकाव वाले ऐसे तथाकथित बुद्धिजीवियों का भी हितैषी रहा है, जिन्होंने मौजूदा सरकार के खिलाफ लगातार फर्जी बयानबाजी की है। जॉर्ज सोरोस के साथ जुड़ाव वाले कई बड़े नाम भी हैं, लेकिन इस बात की बहुत कम संभावना है कि ये कनेक्शन किसी को भी आश्चर्यचकित करेंगे। उनमें से कुछ सबसे प्रमुख हर्ष मंदर, प्रताप भानु मेहता, इंदिरा जयसिंह और अमर्त्य सेन हैं।

ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन ने ‘पत्रकार’ राणा अय्यूब जैसे लोगों के ट्वीट का भी समर्थन किया है। जॉर्ज सोरोस द्वारा फंड प्राप्त सोसाइटी ने अब एनडीटीवी न्यूज एंकर रवीश कुमार पर बनी डॉक्यूमेंट्री ‘व्हाइल वी वाच्ड (While We Watched)’ को भी फंडिंग की है।

भारतीय मीडिया के स्व-घोषित मसीहा रवीश कुमार फिलहाल अमेरिका में हैं, जहाँ वह निर्देशक विनय शुक्ला के साथ फिल्म ‘व्हाइल वी वाच्ड (While We Watched)’ का प्रचार कर रहे हैं। फिल्म ने अब तक 4 पुरस्कार जीते हैं, जिसमें टोरंटो अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में ‘एम्पलीफाई वॉयस अवार्ड’ भी शामिल है।

कथित तौर पर, फिल्म को दर्शकों से स्टैंडिंग ओवेशन मिला है और डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के दौरान और बाद में रवीश कुमार को उनके प्रशंसकों द्वारा बधाई दी गई है। कुल मिलाकर, फोर्ड फाउंडेशन और जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन ने अपने धन का सदुपयोग (अपने एजेंडे के लिए) किया है।

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Dibakar Dutta
Dibakar Duttahttps://dibakardutta.in/
Centre-Right. Political analyst. Assistant Editor @Opindia. Reach me at [email protected]

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