Friday, May 3, 2024
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जिस तकनीक से UP-हरियाणा में आई राहत, उसके प्रयोग से बच रही AAP सरकार: प्रदूषण का ठीकरा केंद्र पर फोड़ा, पंजाब में धड़ाधड़ जल रही पराली

पंजाब में पिछले साल की तुलना में 15 सितंबर से 1 नवंबर के बीच पराली जलाने के मामलों में 33.5% की वृद्धि हुई है। पिछले साल 15,065 मामले सामने थे, जबकि 2022 में ऐसे 17,846 मामले सामने आए। ईटी के मुताबिक, 2021 में 1 नवंबर को पराली जलाने की 1796 घटनाएँ हुईं। 2022 में यह बढ़कर 1,846 हो गई।

दिल्ली-एनसीआर की हवा लगातार जहरीली होती जा रही है। गुरुवार (3 नवंबर 2022) को वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 से 900 के बीच दर्ज किया गया। यह खतरनाक श्रेणी में आता है। राष्ट्रीय राजधानी गैस चैंबर में तब्दील हो गई है। वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते हुए केंद्र सरकार और पड़ोसी राज्यों को इसके लिए ​जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

वायु प्रदूषण को लेकर केंद्र सरकार के पैनल ने जो आँकलन किया है उसके मुताबिक, आप के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने पराली जलाने वालों पर शिकंजा कसने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। केंद्र ने यह भी बताया कि जैव-अपघटक का इस्तेमाल यूपी, हरियाणा और दिल्ली में सफल रहा है। लेकिन पंजाब में पराली प्रबंधन की तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए राज्य सरकार द्वारा कोई प्रयास नहीं किया गया।

पंजाब के उलट हरियाणा और उत्तर प्रदेश ने क्रमशः 500000 एकड़ और 138000 एकड़ में जैव-अपघटक का उपयोग करने का विकल्प चुना। पंजाब ने इसका उपयोग केवल 7,500 एकड़ में किया। Nurture Farms ने CSR पहल के माध्यम से राज्य में अन्य 250,000 एकड़ में एक और बायो डिकंपोजर का उपयोग किया। पैनल ने कहा कि न केवल बायो-डिकंपोजर बल्कि सरकार रेसिडू मैनेजमेंट मशीनों को प्रभावी ढंग से लगाने में भी विफल रही है।

पंजाब में पराली जलाने के मामले बढ़े

मौजूदा आँकड़ों के अनुसार, पिछले साल की तुलना में 15 सितंबर से 1 नवंबर के बीच पराली जलाने के मामलों में 33.5% की वृद्धि हुई है। पिछले साल 15,065 मामले सामने थे, जबकि 2022 में ऐसे 17,846 मामले सामने आए। ईटी के मुताबिक, 2021 में 1 नवंबर को पराली जलाने की 1796 घटनाएँ हुईं। 2022 में यह बढ़कर 1,846 हो गई। ध्यान दें, पंजाब में 40% फसल की कटाई अभी तक नहीं हुई है और आने वाले हफ्तों में ऐसी और घटनाओं के बढ़ने की उम्मीद है।

आँकड़ों से पता चलता है कि अमृतसर, संगरूर, फिरोजपुर, गुरदासपुर, कपूरथला, पटियाला और तरनतारन जिलों में 70% खेतों में आग लगी थी। इन जिलों को 2021 में भी रेड फ्लैग किया गया था।

हरियाणा-यूपी में पराली जलाने के मामले कम हुए

आँकड़ों के मुताबिक, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के मामले कम करने के लिए बड़े पैमाने पर काम किए जा रहे हैं। 2021 में, हरियाणा में पराली जलाने के 3,038 मामले सामने आए थे। जबकि इस साल केवल 2,083 इतने ही मामले दर्ज हुए हैं। यानी 24% की सीधा कमी आई है। वहीं एनसीआर के आसपास के क्षेत्र में, 2021 में 53 पराली जलाने के मामले सामने थे, जो इस साल घटकर 33 हो गए हैं।

‘आप’ ने केंद्र पर लगाया आरोप

पंजाब की आप सरकार ने किसानों के लिए नकद प्रोत्साहन (पराली नहीं जलाने के लिए) के लिए केंद्र से संपर्क किया था, जिसे अस्वीकार कर दिया गया था। ऐसे में ‘आप’ सरकार ने दिल्ली को गैस चैंबर में बदलने के लिए केंद्र पर आरोप लगाया है। वहीं केंद्र सरकार ने आँकड़े पेश कर आप सरकार की पोल खोल दी है। 120,000 फसल अवशेषों की मशीनों को लगाने में विफल रहने वाली पंजाब सरकार को सबके सामने उजागर किया है। केंद्र ने कहा कि पराली जलाने के मामलों को कम करने के लिए 2022-23 सहित पिछले 5 वर्षों में पंजाब को 1,347 करोड़ रुपए भेजे गए हैं। लेकिन पंजाब सरकार संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने की बजाए अपनी गड़बड़ी के लिए केंद्र और पड़ोसी राज्यों को दोष दे रही है।

बता दें कि दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने 30 अक्टूबर, 2022 को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य के प्रदूषण के लिए उत्तर प्रदेश की सरकारी बसों को जिम्मेदार ठहराया था। गोपाल राय ने कहा था, “राज्य में उत्तर प्रदेश की सरकारी बसों के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली के आनंद विहार और विवेक विहार में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) यूपी सरकार की बसों से निकलने वाले धुंए के कारण निम्न स्तर पर पहुँच गया है। इसलिए, उनकी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील है कि वह इन बसों की जाँच कराएँ।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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