Thursday, November 14, 2024
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मस्जिद के मौलवी के लिए वेतन तो मंदिर के पुजारी के लिए क्यों नहीं: बिहार के कानून मंत्री ने उठाया सवाल, कहा- पुजारियों को भी मिले सरकारी मानदेय

“यह सब संचालन समिति के ऊपर निर्भर करता है। संचालन समिति इसकी व्यवस्था करके जो आमदनी होता है, उसके हिसाब से वेतन दे। चाहे वो दैनिक आधार पर दे या मासिक आधार पर दें।”

लाउडस्पीकर पर तेज राजनीति के बाद अब बिहार के सियासी गलियारों में नई चर्चा छिड़ गई है। बिहार सरकार के एक मंत्री ने राज्य के पंजीकृत मंदिरों के पुजारियों को वेतन (Salary) देने की माँग उठा कर राजनीति गर्मा दी है। राज्य के कानून मंत्री प्रमोद कुमार (Law Minister Pramod Kumar) ने यह माँग तब उठाई है जब बिहार में बड़ी संख्या में मस्जिदों में एक व्यवस्था के तहत नमाज़ पढ़ाने वाले मौलवी और मोअज्जिनों को अजान देने के लिए पाँच हजार से लेकर अठारह हजार रुपए तक प्रति माह वेतन की व्यवस्था की गई है। 

मंदिर के पुजारियों को वेतन देने के मामले पर मीडिया से बात करते हुए प्रमोद कुमार कहते हैं, “यह सब संचालन समिति के ऊपर निर्भर करता है। संचालन समिति इसकी व्यवस्था करके जो आमदनी होता है, उसके हिसाब से वेतन दे। चाहे वो दैनिक आधार पर दे या मासिक आधार पर दें। जैसे भगवान का भोग लगता है, उसी तरह भगवान की पूजा-अर्चना, आरती व्यवस्थित हो।” मंत्री प्रमोद कुमार के इस बयान का बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल (BJP MLA Hari Bhushan Thakur Bachaul) ने भी समर्थन किया है।

मंत्री प्रमोद कुमार कहते हैं कि बिहार राज्‍य धार्मिक न्यास बोर्ड में करीब चार हजार मंदिर निबंधित हैं और इतने ही प्रक्रियाधीन हैं। इनके पुजारियों को सरकार के तरफ से तो मानदेय देने की व्यवस्था नहीं है। इन्‍हें वेतन या मानदेय दिया जाना चाहिए। इसके अलावा किसी भी निबंधित मंदिर की कमेटी को मंदिर की आमदनी से एक निश्चित राशि मंदिर के पुजारी को देनी चाहिए।

वहीं बिहार (Bihar) के सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन मोहम्मद इरशाद उल्लाह ने बताते हैं कि पटना में ऐसे लगभग सौ से डेढ़ सौ मस्जिद हैं जो शिया वक्फ बोर्ड के अंतर्गत रजिस्टर्ड हैं। इसके अलावा कई ऐसी मस्जिदें है जो वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आते हैं। 

बिहार में मस्जिदों में जहाँ दुकान या अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान हैं या फिर कोई दान मिलता हो वहाँ से मौलवी के लिए मानदेय की व्यवस्था होती है। मगर ज्यादातर मस्जिदों के लिए यह वेतनमान की व्यवस्था सुन्नी वक्फ बोर्ड ने की है जिनको हर साल करीब तीन करोड़ रुपए का अनुदान बिहार सरकार देती है। इससे सुन्नी वक्फ बोर्ड के कर्मचारियों को वेतन आदि दिया जाता है।

जाहिर है वक्फ बोर्ड को सरकार की तरफ से अनुदान मिलता है और वक्फ बोर्ड को अपने संसाधन से भी अच्छा खासी आमदनी होती है जिससे मौलवी और इमामों को वेतन दिया जाता है। इन सब को देखते हुए कानून मंत्री प्रमोद कुमार ने यह माँग उठाई है। बिहार में धार्मिक न्यास बोर्ड में लगभग चार हजार मंदिर निबंधित है और लगभग इतने ही प्रक्रियाधीन हैं। प्रमोद कुमार इन्ही मंदिरों के पुजारियों के लिए कहते हैं कि सरकार के तरफ से तो वेतन देने की व्यवस्था नहीं है। लेकिन रजिस्टर्ड मंदिर का जो अपना कमेटी होता है मंदिर से जो आमदनी होती है उसमे से एक निश्चित राशि वेतन के तौर पर मंदिर के पुजारियों को दिया ही जाना चाहिए।

प्रमोद कुमार कहते हैं कि कुछ दिन पहले ही मंदिरों की रजिष्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हुई है और अभी भी काफी काम बाकी है। लेकिन अब उनकी कोशिश रहेगी कि मंदिर जो बड़ी आमदनी देते हैं उनके पुजारियों को उनके हाल पर नहीं छोड़ा जा सकता है। मंदिर प्रशासन को उन्हें भी वेतन की व्यवस्था करनी होगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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