पश्चिम बंगाल में 1971 में कॉन्ग्रेस सत्ता में आई। मुख्यमंत्री बने सिद्धार्थ शंकर रे। इसके साथ ही बंगाल की राजनीति में एक ऐसा अध्याय शुरू हुआ जो किसी भी सभ्य और लोकतांत्रिक समाज का हिस्सा नहीं हो सकता।
राज्य में राजनीतिक हिंसा का दौर शुरू हुआ जो आज भी बदस्तूर जारी है। पहले कॉन्ग्रेस ने विपक्ष की आवाज दबाने के लिए इस हथियार का इस्तेमाल किया और कुछ सालों में खुद ही दफन हो गई। फिर आया वाम हिंसा का वो दौर जिसकी घटनाएँ आज भी रूह कॅंपा देती है। 1977 से 2011 के 34 साल के वामपंथी शासनकाल के राज्य में जितने नरसंहार हुए उतने शायद ही देश के किसी दूसरे राज्य में हुए हो।
इसके बाद ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कॉन्ग्रेस सत्ता में आई तो लोगों को लगा कि राजनीतिक हिंसा का यह दौर अब समाप्त हो जाएगा। लेकिन, कुछ ही साल के भीतर तृणमूल भी इस हथियार का संगठित तरीके से इस्तेमाल करने लगी। खासकर, राज्य में बीजेपी के उभार के साथ।
बंगाल में राजनीतिक हिंसा में कितने बीजेपी कार्यकर्ता मारे गए हैं, इसका कोई आधिकारिक आँकड़ा नहीं है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2016 में बंगाल में सियासी हिंसा की कुल 91 घटनाएँ हुईं। 205 लोग इसका शिकार बने। 2015 में कुल 131 घटनाएँ हुईं थी, जिनमें कुल 184 लोगों को नुकसान पहुँचा। उससे पहले 2013 में सियासी झड़पों में कुल 26 लोगों की जानें गई थीं। गौर करने वाली बात है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के साथ ही बंगाल में बीजेपी उभरती नजर आई थी।
इस साल हुए आम चुनावों में बीजेपी को बंगाल की 40 लोकसभा सीटों में से 18 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। नतीजों आने के चंद दिन के भीतर ही नॉर्थ परगना के काकीनाडा में भाजपा कार्यकर्ता चंदन शॉ की गोली मारकर हत्या कर दी। जून में 24 परगना में तीन बीजेपी कार्यकर्ताओं की गोली मार कर हत्या कर दी गई। आरोप टीएमसी कार्यकर्ताओं पर लगा। जून में ही कूचबिहार में भाजयुमो नेता आनंद पॉल की हत्या कर दी गई। जुलाई में भाजपा कार्यकर्ता काशीनाथ घोष की लाश नहर में मिली। ये तो चुनिंदा घटनाएँ हैं। असली हालात और भी भयावह है।
भाजपा महासचिव और पश्विम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय के ट्विटर अकाउंट पर सरसरी नजर डालें तो ऐसी कई घटनाओं का ब्यौरा मिल जाता है। मसलन, विजयवर्गीय 12 अक्टूबर को ट्वीट कर बताते हैं कि हरलाल देबनाथ की टीएमसी के गुंडों ने गोली मार कर हत्या कर दी। 10 अक्टूबर को उन्होंने नादिया में पार्टी कार्यकर्ता सुप्रियो बनर्जी की हत्या को लेकर ट्वीट किया। इस ट्वीट के मुताबिक बीते 4 दिनों में बीजेपी के 8 कार्यकर्ताओं की टीएमसी के लोगों ने हत्या की थी। इससे एक दिन पहले 9 अक्टूबर को वीरभूम और नादिया में भाजपा कार्यकर्ता अनिमेष चक्रवर्ती और अहमद शेख की हत्या को लेकर उन्होंने ट्वीट किया था।
देश के किसी राज्य की कानून व्यवस्था इतनी बदतर नहीं होगी, जितनी पश्चिम बंगाल की हो गई! नादिया में फिर एक #BJP कार्यकर्ता सुप्रियो बैनर्जी की हत्या कर दी गई! बीते 4 दिनों में 8 कार्यकर्ताओं को #TMC ने गुंडों ने मार दिया।
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) October 10, 2019
कब थमेगी ये राजनीतिक हिंसा! pic.twitter.com/NtDDnJ9itb
अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं। अंदेशा जताई जा रही है कि हिंसा की यह आग और भड़क सकती है। फिर भी लिबरल मौन हैं। ममता बनर्जी सब कुछ ठीक होने का दावा कर रही। और भाजपा नेता ट्वीट कर आँकड़े गिना रहे हैं।