Thursday, July 10, 2025
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महाराष्ट्र चुनाव के नाम पर कब तक ‘गंध’ फैलाती रहेगी कॉन्ग्रेस? कोर्ट से लेकर EC तक, हर जगह मुँह की खाई : कितनी बार आग पर चढ़ाएगी काठ की हाँडी?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों को लेकर कॉन्ग्रेस पार्टी ने बिना ठोस सबूत के षड्यंत्र के सिद्धांत फैलाए हैं, जिससे देश में राजनीतिक माहौल तनावपूर्ण और विवादित हो गया है।

‘आप किसी सोते हुए व्यक्ति को जगा सकते हैं, लेकिन जो जागते हुए सोने का नाटक कर रहा हो, उसे नहीं जगा सकते’ यह कहावत मौजूदा भारतीय राजनीतिक परिदृश्य पर बिल्कुल सटीक बैठती है।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पिछली हार के बाद से कॉन्ग्रेस पार्टी लगातार ईवीएम और वीवीपैट में गड़बड़ी के आरोप लगा रही है। विशेष रूप से राहुल गाँधी चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर बार-बार सवाल उठा रहे हैं।

कॉन्ग्रेस का आरोप है कि शाम 6 बजे के बाद डाले गए लगभग 76 लाख वोटों की वैधता संदिग्ध है और उनका इशारा साफ है कि चुनाव आयोग ने बीजेपी गठबंधन को अनुचित लाभ पहुँचाया।

चुनाव आयोग ने 2024 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अनियमितताओं के आरोपों को लेकर विपक्ष के नेता राहुल गाँधी को बातचीत के लिए आमंत्रित किया। इसके जवाब में कॉन्ग्रेस पार्टी ने गुरुवार (26 जून 2025) को एक आधिकारिक पत्र भेजा।

पत्र में कॉन्ग्रेस ने चुनाव आयोग के सामने दो प्रमुख माँग रखी। इसमें महाराष्ट्र की मतदाता सूची की मशीन से पढ़े जाने वाली डिजिटल कॉपी और महाराष्ट्र और हरियाणा में मतदान दिवस के वीडियो फुटेज शामिल था। कॉन्ग्रेस ने अनुरोध किया कि यह डेटा उन्हें पत्र की तारीख से एक सप्ताह के भीतर ही उपलब्ध कराया जाए।

पार्टी ने कहा कि यह कोई नया अनुरोध नहीं है, बल्कि लंबे समय से किया जा रहा है, जिसे चुनाव आयोग के लिए पूरा करना कठिन नहीं होना चाहिए। कॉन्ग्रेस ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें जैसे ही ये जानकारियाँ प्राप्त होगी, वे चुनाव आयोग से मिलने को तैयार हैं और उस बैठक में अपने डेटा विश्लेषण के निष्कर्ष भी पेश करेंगे।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने 288 में से 235 सीटें जीतकर बड़ी सफलता हासिल की थी। इससे कॉन्ग्रेस, एनसीपी और शिवसेना (यूबीटी) के गठबंधन- महाविकास अघाड़ी (एमवीए) को बड़ा झटका लगा।

चुनाव के नतीजों के बाद कॉन्ग्रेस लगातार चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठा रही है। विपक्ष के नेता राहुल गाँधी ने चुनाव आयोग से महाराष्ट्र समेत सभी राज्यों के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए एक साथ डिजिटल और मशीन से पढ़ी जा सकने वाली मतदाता सूची प्रकाशित करने की माँग की। उनका कहना है कि चुनाव आयोग को ‘सच बोलकर’ अपनी विश्वसनीयता को बनाए रखना चाहिए।

राहुल गाँधी ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के निर्वाचन क्षेत्र में सिर्फ पाँच महीनों में मतदाता सूची में 8 प्रतिशत की अचानक बढ़ोतरी हुई, जिसे उन्होंने ‘वोट चोरी’ करार दिया।

उन्होंने एक्स पर लिखा कि कुछ मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की संख्या में 20 से 50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) ने अज्ञात लोगों द्वारा वोट डालने की शिकायत की है और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हजारों वोटर्स ऐसे पाए गए जिनके पते ही सत्यापित नहीं थे।

राहुल गाँधी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “और चुनाव आयोग? चुप्पी या फिर मिलीभगत। ये गड़बड़ियाँ अलग-थलग नहीं हैं, यह साफ तौर पर वोट चोरी है और जब गड़बड़ियों को छिपाया जाता है तो वह खुद एक कबूलनामा बन जाता है।” उन्होंने चुनाव आयोग से मशीन से तत्काल पढ़ी जा सकने वाली डिजिटल मतदाता सूची और सीसीटीवी फुटेज जारी करने की माँग की है।

कॉन्ग्रेस पार्टी न्यूजलॉन्ड्री की हाल ही में छपी एक रिपोर्ट के आधार पर चुनाव में बड़े स्तर पर धांधली के आरोप लगा रही है। राहुल गाँधी ने इस रिपोर्ट का हवाला देकर दावा किया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के निर्वाचन क्षेत्र नागपुर पश्चिम में महज पाँच महीनों में 29,219 नए मतदाता जोड़े गए। रिपोर्ट के अनुसार, यह आँकड़ा प्रतिदिन औसतन 162 नए मतदाताओं का है, जो कुल मिलाकर 8.25 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि नागपुर पश्चिम के 378 बूथों में से 263 बूथों पर मतदाताओं की संख्या में 4 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी देखी गई। इनमें से 26 बूथों पर 20 प्रतिशत से ज्यादा और 4 बूथों पर 40 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई।

इन दावों के आधार पर कॉन्ग्रेस चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठा रही है और इसे ‘वोट चोरी’ और ‘साजिश’ का हिस्सा बता रही है, जबकि अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि आयोग इन गड़बड़ियों पर चुप्पी साधे हुए है। दूसरी ओर आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर भरोसा जताया है।

राहुल गाँधी ने हाल ही में चुनाव आयोग पर हमला करते हुए जो एक्स पोस्ट लिखा था, उसमें न्यूज़लॉन्ड्री की रिपोर्ट का हवाला दिया गया था

न्यूज़लॉन्ड्री की रिपोर्ट के आधार पर राहुल गाँधी द्वारा लगाए गए आरोपों का मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट रूप से खंडन किया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सिर्फ नागपुर पश्चिम ही नहीं, बल्कि 25 से ज्यादा ऐसे निर्वाचन क्षेत्र हैं जहाँ लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच मतदाताओं की संख्या में 8% से ज्यादा की वृद्धि हुई है और इनमें से कई सीटों पर कॉन्ग्रेस ने जीत हासिल की है।

फडणवीस ने राहुल गाँधी को सीधे संबोधित करते हुए कहा, “राहुल गाँधी जी, मैं समझता हूँ कि महाराष्ट्र में मिली करारी हार का दर्द दिन-ब-दिन बढ़ रहा है, लेकिन आप कब तक बिना तथ्यों के हवा में तीर चलाते रहेंगे?” उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि नागपुर पश्चिम से सटे दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में 7% यानी 27,065 मतदाता बढ़े, और वहाँ से कॉन्ग्रेस के विकास ठाकरे जीते।

इसी तरह, उत्तर नागपुर में 7% (29,348) मतदाता बढ़े और वहाँ भी कॉन्ग्रेस के नितिन राउत विजयी रहे। पुणे जिले के वडगाँव शेरी में 10% (50,911) मतदाता बढ़े और वहाँ शरद पवार गुट के बापूसाहेब पठारे ने जीत दर्ज की। मालाड पश्चिम में 11% (38,625) और मुंब्रा में 9% (46,041) मतदाता बढ़े, जहाँ कॉन्ग्रेस के असलम शेख और शरद पवार गुट के जितेंद्र आव्हाड ने जीत हासिल की।

फडणवीस ने तंज कसते हुए कहा कि राहुल गाँधी को कम से कम ट्वीट करने से पहले अपनी ही पार्टी के नेताओं से बात कर लेनी चाहिए थी। इससे कॉन्ग्रेस के अंदर की संवादहीनता इतनी साफ तौर पर उजागर न होती।

झूठ, चिल्लाहट, माँगें: कॉन्ग्रेस का तरीका या लोकतंत्र खतरे में?

राहुल गाँधी ने पहले भी चुनाव आयोग की पारदर्शिता और ईमानदारी पर गंभीर सवाल उठाए हैं। यह आरोप लगाया कि आयोग सबूत नष्ट कर रहा है, जिसमें 45 दिनों की सीसीटीवी फुटेज भी शामिल है।

राहुल गाँधी ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, “वोटर लिस्ट? मशीन-पठनीय प्रारूप नहीं मिलेगा। सीसीटीवी फुटेज? कानून बदलकर उसे छिपा दिया गया। चुनाव की फोटो और वीडियो? अब 1 साल नहीं, सिर्फ 45 दिनों में नष्ट कर दी जाएँगी। जिससे जवाब चाहिए था, वही सबूत नष्ट कर रहा है। यह साफ है, मैच फिक्स है। और फिक्स चुनाव लोकतंत्र के लिए जहर है।”

राहुल गाँधी ने माँग की कि मतदान केंद्रों की सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक की जाए। हालाँकि चुनाव आयोग ने इस माँग को खारिज करते हुए कहा कि मतदान केंद्रों की वेबकास्टिंग फुटेज सार्वजनिक करना मतदाताओं की गोपनीयता और सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।

चुनाव आयोग ने कॉन्ग्रेस पार्टी की आलोचना करते हुए कहा कि इस तरह की माँगें दिखने में तो लोकतांत्रिक पारदर्शिता के लिए लगती हैं, लेकिन इनका असली मकसद उल्टा है। आयोग के अनुसार, राहुल गाँधी जैसे नेता चुनाव आयोग पर दबाव बनाकर फुटेज जारी करवाना चाहते हैं ताकि मतदाताओं और गैर-मतदाताओं की पहचान की जा सके।

चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा कि अगर किसी पार्टी को किसी बूथ पर कम वोट मिले हों, तो वो सीसीटीवी फुटेज से यह पता लगा सकती है कि किसने वोट डाला और किसने नहीं। इससे मतदाताओं की पहचान उजागर हो सकती है और उन्हें डराया-धमकाया जा सकता है।

आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि सीसीटीवी फुटेज को सिर्फ 45 दिनों तक इसलिए रखा जाता है क्योंकि यही चुनाव याचिका दाखिल करने की कानूनी अवधि होती है। यह फुटेज सिर्फ आंतरिक प्रशासनिक जरूरतों के लिए होती है। यदि किसी ने 45 दिनों के भीतर चुनाव याचिका दाखिल की हो, तो फुटेज सहेजा जाता है और कोर्ट के आदेश पर उपलब्ध कराया जा सकता है।

चुनाव आयोग ने कहा कि 45 दिनों से अधिक समय तक यह फुटेज रखने से इसका गलत इस्तेमाल हो सकता है, जैसे झूठी सूचनाएँ फैलाना या राजनीतिक साजिश रचना। इसलिए सुरक्षा, निष्पक्षता और लोकतांत्रिक अखंडता बनाए रखने के लिए यह नीति अपनाई गई है।

कॉन्ग्रेस नेता ने शिरडी में 7,000 फर्जी वोटर का दावा किया, झूठ पकड़ा गया

इस साल फरवरी में संसद में बोलते हुए राहुल गाँधी ने एक और गंभीर आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया कि पिछले लोकसभा चुनाव के बाद सिर्फ पाँच महीनों में महाराष्ट्र के शिरडी निर्वाचन क्षेत्र की एक ही इमारत से 7,000 फर्जी मतदाता पंजीकृत किए गए थे। उनका कहना था कि एक सामान्य पते का उपयोग कर वोटर लिस्ट में गलत तरीके से नाम जोड़े गए।

हालाँकि बाद में जाँच से पता चला कि राहुल गाँधी का यह दावा काफी हद तक भ्रामक था। असल में यह संख्या 7,000 नहीं, करीब 3,000 थी और वह भी किसी एक इमारत से नहीं। ये मतदाता शिरडी सीट के तहत आने वाले लोनी शहर के छात्रावासों में रहने वाले छात्र थे। इन छात्रों ने अपने कॉलेज या छात्रावास का पता मतदाता पंजीकरण फॉर्म में दिया था, जो पूरी तरह से वैध है।

इस मामले में और जानकारी देते हुए अहमदनगर के जिला कलेक्टर सिद्धराम सलीमथ ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जब किसी राजनीतिक दल ने शिकायत की, तो उन्होंने चुनाव आयोग को स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि लोनी क्षेत्र में कई शैक्षणिक संस्थान हैं और नए मतदाता उन्हीं संस्थानों के छात्र हैं, जो छात्रावासों में रहते हैं।

कलेक्टर ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर कोई व्यक्ति 18 वर्ष से अधिक आयु का है और उसके पास वैध दस्तावेज हैं, तो वह यह चुन सकता है कि उसे कहाँ से वोट डालना है। छात्र चूंकि छात्रावास में रह रहे थे, इसलिए उनके कॉलेज के प्रवेश पत्रों को निवास प्रमाण के रूप में स्वीकार किया गया।

अधिकारियों ने यह भी बताया कि यह सुनिश्चित करने के लिए गहराई से जाँच की गई कि कोई भी मतदाता दो बार पंजीकृत न हो, लेकिन ऐसी कोई गड़बड़ी नहीं मिली। इस तरह राहुल गाँधी का यह दावा भी तथ्यों की कसौटी पर खरा नहीं उतर सका और भ्रामक साबित हुआ।

राहुल गाँधी ने अमेरिका यात्रा में महाराष्ट्र चुनाव के 65 लाख फर्जी वोटों पर झूठ बोला

अप्रैल 2025 में अमेरिका की दो दिवसीय यात्रा के दौरान राहुल गाँधी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को जीत दिलाने के लिए चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई। उन्होंने दावा किया, ‘सिस्टम में कुछ बहुत गड़बड़ है।’

राहुल गाँधी ने उदाहरण देते हुए कहा कि शाम 5:30 बजे तक चुनाव आयोग ने जो वोटिंग डेटा दिया, उसके बाद सिर्फ दो घंटों यानी 5:30 से 7:30 बजे के बीच में अचानक 65 लाख नए वोट जुड़ गए। उन्होंने इस आँकड़े को असंभव बताया और कहा, “हमारे लिए यह बिल्कुल साफ है कि चुनाव आयोग ने समझौता किया है। महाराष्ट्र में जितने वयस्क हैं, उससे ज्यादा लोगों ने मतदान किया।”

उन्होंने आगे कहा कि एक व्यक्ति को वोट डालने में औसतन 3 मिनट लगते हैं और अगर इतने कम समय में इतने सारे वोट पड़े होते, तो दोपहर 2 बजे तक भी मतदान केंद्रों पर लंबी लाइनें होनी चाहिए थीं लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

राहुल गाँधी ने यह भी आरोप लगाया कि जब उनकी पार्टी ने चुनाव की वीडियोग्राफी की माँग की, तो न केवल चुनाव आयोग ने इस माँग को खारिज कर दिया, बल्कि बाद में कानून भी ऐसा बना दिया गया जिससे अब पार्टियाँ वीडियोग्राफी की माँग भी नहीं कर सकती।

इंडियन एक्सप्रेस ने राहुल गाँधी को महाराष्ट्र और लोकसभा चुनावों पर झूठ फैलाने का मंच दिया

राहुल गाँधी ने जून 2025 में द इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख लिखा, जिसमें उन्होंने 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस की हार को ‘औद्योगिक पैमाने’ पर धांधली का नतीजा बताने की कोशिश की। उन्होंने चुनाव प्रक्रिया, चुनाव आयोग और मतदाता पंजीकरण से लेकर मतदान प्रतिशत तक लगभग हर पहलू पर सवाल उठाए।

गाँधी ने न सिर्फ चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया पर शक जताया, बल्कि मतदाता पंजीकरण में हुए इजाफे को भी संदिग्ध बताया। उन्होंने दावा किया कि मतदान में अचानक हुई बढ़ोतरी असामान्य थी और बिना किसी ठोस आधार के लोकसभा और विधानसभा चुनाव नतीजों को एक साथ जोड़कर दोनों में कॉन्ग्रेस के खराब प्रदर्शन को धांधली से जोड़ा।

उनकी पूरी कोशिश यही दिखी कि वे हार की जिम्मेदारी ‘सिस्टम’ पर डालें। या तो ये एक रणनीतिक राजनीति का हिस्सा हो सकता है या पिर अपनी पार्टी की विफलताओं से ध्यान भटकाने का बेहतर तरीका भी कहा जा सकता है।

हालाँकि, ऑपइंडिया ने राहुल गाँधी के इस लेख और उनके दावों का तथ्यों के जरिए खंडन किया। रिपोर्ट में बताया गया कि उन्होंने कई भ्रामक और गलत आँकड़े पेश किए और चुनाव प्रक्रिया को लेकर जो सवाल उठाए। असल में वे वास्तविकता से मेल नहीं खाते।

चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र चुनाव में मतदान प्रतिशत के कॉन्ग्रेस के झूठ दावों को किया खारिज

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों 2024 के बाद,  भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने कॉन्ग्रेस पार्टी को एक विस्तृत पत्र भेजकर उनके लगाए गए आरोपों को बिंदुवार तरीके से खारिज किया और तथ्यों के साथ उनकी गलतियों को उजागर किया।

कॉन्ग्रेस का दावा था कि मतदान के आखिरी घंटों में अचानक वोटिंग प्रतिशत बढ़ा, जिसे उन्होंने गड़बड़ी बताया। इस पर चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदान के आखिरी घंटों में वोटिंग प्रतिशत में बढ़ोतरी होना एक सामान्य प्रक्रिया है।

आयोग ने यह भी बताया कि वोटिंग खत्म होने के समय फॉर्म 17C वहीं मौजूद उम्मीदवारों के अधिकृत एजेंटों को दे दिया जाता है। इसमें हर मतदान केंद्र का सटीक वोटिंग आँकड़ा होता है। ऐसे में मतदान प्रतिशत में हेरफेर करना संभव ही नहीं है।

चुनाव आयोग ने कॉन्ग्रेस के इस आरोप को भी खारिज कर दिया कि मतदाताओं की संख्या को मतदाता सूची में मनमाने तरीके से जोड़ा या हटाया गया।

इतना ही नहीं, कॉन्ग्रेस ने नवंबर 2024 में भी प्रोपेगेंडा वेबसाइट ‘द वायर’ की एक संदिग्ध रिपोर्ट के आधार पर भी चुनावों में गड़बड़ी के आरोप लगाए थे। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चुनाव के दौरान 5,04,313 अतिरिक्त वोट डाले गए। लेकिन महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) ने इस रिपोर्ट को झूठा बताया। उन्होंने बताया कि यह संख्या दरअसल 5,38,225 डाक मतपत्रों की थी, जो चुनाव आयोग की ओर से पहले से जारी आँकड़ों का हिस्सा थे। रिपोर्ट में इन्हें गलत तरीके से ‘अतिरिक्त वोट’ के रूप में दिखाया गया था।

इसके बाद अब कॉन्ग्रेस न्यूजलॉन्ड्री की एक और इसी तरह की रिपोर्ट का सहारा ले रही है, जिसमें तथ्य न के बराबर और प्रचार 100 प्रतिशत तक शामिल है। इन सभी मामलों में देखा गया है कि राहुल गाँधी बार-बार चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाते हैं, लेकिन वे कभी अपने आरोपों को ठोस तथ्यों से साबित नहीं कर पाते। चुनाव आयोग ने हर बार उनके दावों को तथ्यों के आधार पर खारिज किया है। इसके बावजूद राहुल गाँधी इन आरोपों को दोहराते रहते हैं।

दरअसल, ऐसा लगता है कि राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस पार्टी का उद्देश्य पारदर्शिता या जवाबदेही लाना नहीं है, बल्कि बार-बार मिल रही चुनावी हार का दोष किसी और पर डालकर खुद को बचाना है। यही वजह है कि उनके ये आरोप अब एक पुराने, घिसे-पिटे बहाने बन चुके हैं, जो अब भारत में चुनाव हारने वाली हर पार्टी के लिए एक  ‘स्टैंडर्ड स्क्रिप्ट’ की तरह इस्तेमाल होने लगे हैं।

कॉन्ग्रेस ने महाराष्ट्र मतदाता सूची में अनियमितताओं का दावा किया, चुनाव आयोग ने बेनकाब किया झूठ

इस साल अप्रैल में चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र की मतदाता सूची में लगे अनियमितताओं के आरोपों को साफ तौर पर खारिज किया। आयोग ने बताया कि जनवरी 2025 में प्रकाशित मतदाता सूची के विशेष सारांश संशोधन (6-7 जनवरी को) के दौरान, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 22, 23 और 24 के तहत बहुत ही कम आपत्तियाँ या सुधार के अनुरोध मिले।

चुनाव आयोग के अनुसार, 9.7 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से केवल 89 अपील जिला चुनाव कार्यालयो में और सिर्फ 1 अपील मुख्य निर्वाचन कार्यालय में दर्ज की गई।

आयोग ने इस बेहद कम संख्या को आधार बनाकर कहा कि यह आँकड़ा संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए बड़े-बड़े दावों को गलत साबित करता है। यानी, जो अनियमितता और धांधली के आरोप लगाए जा रहे थे, उनकी कोई ठोस पुष्टि नहीं हुई। आयोग ने जोर देकर कहा कि यह संख्या दर्शाती है कि मतदाता सूची में कोई बड़ी गड़बड़ी नहीं थी।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2024 महाराष्ट्र चुनाव की याचिका खारिज कर कॉन्ग्रेस को दिया झटका

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार (25 जून 2025) को नवंबर 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कथित मतदान अनियमितताओं के आधार पर चुनाव के नतीजे रद्द करने की माँग वाली याचिका को खारिज कर दिया।

यह याचिका मुंबई निवासी चेतन चंद्रकांत अहिरे ने दायर की थी। इसकी पैरवी वंचित बहुजन अघाड़ी के नेता प्रकाश अंबेडकर ने की थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि शाम 6 बजे की समय सीमा के बाद लगभग 76 लाख वोट डाले गए। इनकी वैधता पर सवाल थे। याचिका में चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और देर से मतदान में असामान्य वृद्धि का दावा किया गया था।

हालाँकि, जस्टिस जीएस कुलकर्णी और आरिफ डॉक्टर की पीठ ने इस दावे में कोई ठोस आधार नहीं पाया। उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनावों समेत पिछले सभी चुनावोंमें भी शाम 6 बजे के बाद वोटिंग के इसी तरह के रुझान देखे गए थे और उन्हें कभी चुनौती नहीं दी गई। अदालत ने साफ कहा कि जब तक शाम 6 बजे के बाद डाले गए वोटों को किसी उम्मीदवार की जीत से जोड़ने वाले स्पष्ट सबूत नहीं मिलते, तब तक ये आरोप निराधार हैं।

याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने सुनवाई में काफी सममय लगने के बाद भी जुर्माना नहीं लगाया। चुनाव आयोग के वकील ने याचिकाकर्ता के अधिकार क्षेत्र और विजयी उम्मीदवारों की अनुपस्थिति पर सवाल उठाए, जिनसे कोर्ट ने सहमति जताई।

कोर्ट ने कहा, “यह याचिका पूरी तरह से आधारहीन है। इसे खारिज न करने का कोई आधार नहीं मिल रहा। हमने याचिका की सुनवाई में पूरा दिन लगा दिया, इसलिए यह निश्चित रूप से जुर्माने के साथ खारिज करने योग्य है, लेकिन हम ऐसा नहीं कर रहे।”

दरअसल, यह पूरा मामला न्यायिक समय की बर्बादी साबित हुआ, क्योंकि चुनाव आयोग ने कई बार इन आरोपों को खारिज किया था और चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भरोसा जताया था। 1 लाख से ज्यादा बूथ अधिकारियों, 288 रिटर्निंग अधिकारियों और कॉन्ग्रेस के 28,421 एजेंटों समेत 1 लाख से अधिक बूथ एजेंटों ने चुनावों की निगरानी की।

फिर भी कॉन्ग्रेस और उसके प्रधानमंत्री पद के अघोषित उम्मीदवार राहुल गाँधी डिजिटल मतदाता सूची, सीसीटीवी फुटेज जैसी माँगे कर रहे हैं और नियमित चुनावी प्रक्रियाओं को भ्रामक तरीके से अनियमितताओं के रूप में पेश कर रहे हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि उनकी पार्टी चुनाव जीतने में असफल रही।

कॉन्ग्रेस क्यों चुप है? क्या वह बिना तथ्य और षड्यंत्र की कहानियों पर भरोसा कर रही है?

ईवीएम हैकिंग और वीवीपैट छेड़छाड़ के कॉन्ग्रेस के आरोपों ने पार्टी को केवल आलोचना और शर्मिंदगी ही दी हैं। फिर भी कॉन्ग्रेस, महायुति गठबंधन के हाथों करारी हार के बाद, अपने कमजोर नेतृत्व और चुनावी रणनीति की असफलताओं को स्वीकार करने के बजाय चुनाव आयोग और मतदाता संख्या पर गंभीर सवाल उठाकर ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।

कोर्ट और मतदाताओं ने कॉन्ग्रेस के ईवीएम और वीवीपैट दावों को निराधार ठहराया है तो पार्टी अब ‘अतिरिक्त मतदाताओं’ की साजिश वाली थ्योरी पर जोर दे रही है। लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी और ठीक थी।

मतदाता यह देख रहे हैं कि कॉन्ग्रेस जीतने पर चुनाव आयोग के परिणाम स्वीकार करती है, लेकिन हारने पर लगातार षड्यंत्र के सिद्धांत गढ़ती है। अपनी थोड़ी-बहुत जीत को ‘व्यवस्था से लड़ाई’ बताती है और हार को ‘मजबूरी’ बताकर बचाव करती है।

अपने झूठे दावों को बार बार दोहरा कर कॉन्ग्रेस असल में अपने वोटर्स से ही दूर हो रही है। मतदाता पार्टी की ओर से ह रही इस बयानबाजी को ‘खट्टे अंगूर’ के तौर पर देखते हैं। वोटर लिस्ट और सीसीटीवी फुटेज की माँग पर जोर देकर कॉन्ग्रेस गॉबेल्सियन रणनीति अपनाती है, झूठ को बार-बार दोहराना ताकि वह सच लगने लगे।

अगर कॉन्ग्रेस का उद्देश्य सचमुच जवाब पाना होता, तो वह चुनाव आयोग से संवाद करती और अपने चुनावी असफलताओं पर आत्मनिरीक्षण करती। लेकिन इसके बजाय, वह चुनाव आयोग पर भाजपा के साथ मिलीभगत का आरोप लगाकर अपनी विफलताओं से किनारा करती नजर आती है। इससे पार्टी को नुकसान होता है, क्योंकि अंततः उसके समर्थक उसके आरोपों पर विश्वास करते हैं।

यह रिपोर्ट मूलतः अंग्रेजी की श्रद्धा पांडे ने लिखी है, जिसको विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करे।

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Shraddha Pandey
Shraddha Pandey
Senior Sub-editor at OpIndia. I tell harsh truths instead of pleasant lies. हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय.

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