Thank you Hon’ble Prime Minister Shri @Narendramodi ji for your warm welcome and continued support.
— The Dawoodi Bohras (@Dawoodi_Bohras) April 17, 2025
The Dawoodi Bohra community is grateful for your leadership especially with regard to the recent Waqf amendment, which reaffirmed our place in the fabric of this great nation.… pic.twitter.com/dXRa0GLGNo
दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय ने प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के सिद्धांत पर भरोसा भी जताया। बैठक के दौरान पीएम मोदी के साथ केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू भी शामिल थे।
#WATCH दाऊदी बोहरा समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की और वक्फ संशोधन अधिनियम के लिए उनका आभार व्यक्त किया।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 17, 2025
उन्होंने कहा कि यह समुदाय की लंबे समय से लंबित मांग थी। उन्होंने प्रधानमंत्री के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के दृष्टिकोण पर भरोसा… pic.twitter.com/ulJFBP7ODq
1700 शिकायतों में ज्यादातर मुस्लिम महिलाएँ
बैठक के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि यह वक्फ कानून रातों-रात नहीं बना। वक्फ कानून की बारीकियों को समझने के लिए 5 साल दिए गए। वक्फ को लेकर 1700 से ज्यादा शिकायत करने वालों में अधिकतर मुस्लिम महिलाएँ शामिल थी। वक्फ के नाम पर मजबूर और लाचार गरीबों की संपत्तियों पर कब्जा किया जा रहा था।
40 से अधिक देशों में दाऊदी बोहरा की वैश्विक उपस्थिति
दाऊदी बोहरा एक मुस्लिम समुदाय है, जो पश्चिम भारत में रहते हैं। दाऊदी बोहरा की वैश्विक उपस्थिति 40 से अधिक देशों में है। दाऊदी बोहरा का ऐतिहासिक संबंध मिस्र के फातिमी इमामों से माना जाता है, जो मिस्र से हैं। यह अहल-अल-बैत यानी पैगंबर मुहम्मद के वंशज माने जाते हैं।
वक्फ कानून की कई धाराओं पर 7 दिन की रोक
आपको बता दें, कि गुरुवार (17 अप्रैल 2025) को सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई तक नए वक्फ कानून की कई धाराओं पर सात दिनों तक के लिए रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ में CJI संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार और केवी विश्वनाथन शामिल थे। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की प्रतिबद्धता को नोट किया। अब अगली सुनवाई 5 मई 2025 को होनी है।
अधिवक्ता विष्णु जैन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दोहरा रवैया बताया
हिंदुओं का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को दोहरा रवैया बताया है। विष्णु जैन ने ये तर्क भी दिया कि आखिर AIMIM, अमानतुल्लाह ख़ान, जमीयत और कई विपक्षी राजनीतिक दलों की याचिकाएँ सीधे सुप्रीम कोर्ट में कैसे स्वीकार कर ली जाती हैं? जबकि हिन्दुओं को अयोध्या से लेकर काशी-मथुरा तक के लिए जिले की कचहरी से होकर गुजरना पड़ता है और सदियों लग जाते हैं।