Saturday, July 19, 2025
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‘PM मोदी ने कभी नहीं की बदले की राजनीति’: गुलाम नबी आज़ाद की आत्मकथा में कई खुलासे, बोले – कॉन्ग्रेस में कोई जमीनी नेता नहीं, चरम पर चाटुकारिता

गुलाम नबी आजाद ने अपनी आत्मकथा में 50 सालों के अपने राजनीतिक अनुभवों और कई घटनाओं का जिक्र किया है। इसमें उन्होंने अपने पुराने साथियों पर भी आरोप लगाने से गुरेज नहीं की है।

कॉन्ग्रेस से अलग होकर ‘डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी’ बनाने वाले गुलाम नबी आजाद ने एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की है। आजाद ने कहा कि उन्होंने कई मुद्दों पर पीएम का विरोध किया लेकिन उन्होंने कभी बदले की भावना से काम नहीं किया। उन्होंने हमेशा एक राजनेता की तरह व्यवहार किया। बता दें कि बुधवार (05 अप्रैल, 2023) को आजाद की आत्मकथा (Autobiography) आने वाली है। इसमें उन्होंने अपने पुराने साथियों जयराम रमेश और सलमान खुर्शीद जैसे नेताओं पर कई आरोप लगाए हैं।

डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी के संस्थापक और अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद की आत्मकथा का विमोचन बुधवार को कॉन्ग्रेस नेता कर्ण सिंह करेंगे। इसके पहले आजाद ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए पीएम मोदी की खूब तारीफ की। उन्होंने कहा, “मैंने आर्टिकल 370, सीएए और हिजाब जैसे मसलों पर पीएम को जमकर घेरा परन्तु उन्होंने कभी बदले की भावना से राजनीति नहीं की। मुझे इसके लिए उन्हें श्रेय देना चाहिए। पीएम हमेशा एक उदार राजनेता की तरह पेश आए।

उन्होंने कहा कि जब इंदिरा और राजीव वापसी नहीं कर पाए, तो अब तो कॉन्ग्रेस के पास कोई जमीनी नेता नहीं है। गुलाम नबी आजाद ने अपनी आत्मकथा में 50 सालों के अपने राजनीतिक अनुभवों और कई घटनाओं का जिक्र किया है। इसमें उन्होंने अपने पुराने साथियों पर भी आरोप लगाने से गुरेज नहीं की है। रिपोर्टों के अनुसार आत्मकथा के पेज नंबर 251 पर आजाद ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने के दौरान राज्य सभा की एक घटना का जिक्र किया है।

आत्मकथा के अनुसार, जब गृहमंत्री अमित शाह में राज्यसभा में आर्टिकल 370 के प्रावधानों को निरस्त करने का ऐलान किया तो गुलाम नबी आजाद ने विपक्ष के नेताओं को सदन में धरना देने की अपील की। उनकी अपील पर सभी धरना देने को तैयार हो गए, लेकिन जयराम रमेश अपनी सीट पर बैठे रहे। बता दें कि उस वक्त गुलाम नबी राज्य सभा में विपक्ष के नेता थे।

आजाद ने जी-23 (कॉन्ग्रेस के बागी नेताओं का समुह) को भाजपा का मुखौटा होने का आरोप लगाने वालों को भी खरी-खरी सुनाई है। आत्मकथा में उन्होंने लिखा है कि अगर जी-23 भाजपा का प्रवक्ता था तो कॉन्ग्रेस ने उनमें से कईं को सांसद, महासचिव और दूसरे पदाधिकारी क्यों बनाए? उन्होंने कहा, “मैं अकेला हूँ जिसने अलग होकर पार्टी बनाई है, बाकी नेता तो कॉन्ग्रेस में ही हैं।” बता दें कि कॉन्ग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने गुलाम नबी आजाद समेत 23 कॉन्ग्रेसी नेताओं द्वारा सोनिया गाँधी को लिखे पत्र पर सवाल उठाए थे।

गुलाम नबी आजाद ने अपनी किताब में पत्र लिखे जाने के कारणों पर विस्तार से चर्चा की है। उन्होंने लिखा है कि हमने पार्टी के लिए निःस्वार्थ भाव से काम किया है। उन्होंने ये भी खुलासा किया कि कॉन्ग्रेस पार्टी में चटुकारिया चरम पर है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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