कर्नाटक में जाति जनगणना रिपोर्ट लीक होने के बाद राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। ख़ासकर वोक्कालिगा और लिंगायत जैसी प्रभावशाली समुदायों के नेताओं और विधायकों ने रिपोर्ट पर गहरी नाराजगी जताई है। लिंगायत समुदाय की प्रमुख संस्था अखिल भारतीय वीरशैव लिंगायत महासभा ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज कर दिया है और नयी जनगणना कराने की मांग की है।
क्या है पूरा मामला?
कर्नाटक सरकार को गुरुवार (10 अप्रैल, 2025) को जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट सौंपी गई थी, लेकिन इसे अभी आधिकारिक रूप से सार्वजनिक नहीं किया गया है। इस रिपोर्ट के कुछ हिस्से लीक हो गए हैं, जिससे कई समुदायों में असंतोष पैदा हो गया है।
लीक हुई रिपोर्ट के अनुसार, वोक्कालिगा समुदाय की आबादी 61.6 लाख (कुल आबादी का 10.3%) बताई गई है। इनके लिए 7% आरक्षण की सिफारिश की गई है। वहीं लिंगायत समुदाय की आबादी 66.3 लाख (11%) बताई गई है। इनके लिए 8% आरक्षण की सिफारिश की गई है। जबकि मुस्लिम समुदाय की आबादी 75.2 लाख (12.6%) बताई गई है और उनके आरक्षण को 4% से बढ़ाकर 8% करने की सिफारिश की गई है।
क्या है लिंगायत समुदाय की आपत्ति?
‘अखिल भारतीय वीरशैव लिंगायत महासभा’ के अध्यक्ष और पूर्व DGP शंकर बिदरी ने रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि लिंगायतों की संख्या 35% के करीब है। उनका दावा है कि राज्य के 31 में से लगभग 15 जिलों में लिंगायतों की संख्या 10 लाख से अधिक है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में लिंगायत समुदाय को विभिन्न उप-समुदायों में बाँटकर उनकी संख्या को जानबूझकर कम करके दिखाया गया है। महासभा ने माँग की है कि एक नई, निष्पक्ष और पारदर्शी जाति जनगणना कराई जाए।
वोक्कालिगा नेताओं का विरोध
वोक्कालिगा समुदाय के कई नेता और संत इस रिपोर्ट का खुलकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनकी जनसंख्या को कम आँककर उनके साथ अन्याय किया गया है। डिप्टी सीएम DK शिवकुमार, जो स्वयं वोक्कालिगा समुदाय से हैं, ने कॉन्ग्रेस पार्टी के वोक्कालिगा विधायकों की मंगलवार (15 अप्रैल, 2025) शाम 6 बजे बैठक बुलाई है। उनका कहना है कि उन्होंने अभी रिपोर्ट पूरी तरह नहीं पढ़ी है, लेकिन सभी की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए आगे की रणनीति तय की जाएगी।
सरकार ने क्या दी प्रतिक्रिया?
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस मुद्दे पर अब तक चुप्पी साधी हुई है और कहा है कि इस पर फैसला विशेष कैबिनेट बैठक में लिया जाएगा। वहीं गृहमंत्री G परमेश्वर ने बताया कि गुरुवार (17 अप्रैल, 2025) को होने वाली कैबिनेट बैठक में सिर्फ जाति जनगणना रिपोर्ट पर ही चर्चा होगी। उन्होंने कहा, “यह केवल एक शुरुआत है। अभी इस पर विचार किया जाएगा।”
इधर, वन मंत्री ईश्वर खांड्रे, जो लिंगायत समुदाय से हैं, ने कहा कि वह अपने समुदाय के नेताओं से राय लेकर कैबिनेट बैठक में साझा करेंगे। BJP से निष्कासित विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने कहा कि अगर मुस्लिम आबादी सबसे ज़्यादा है, तो उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा क्यों दिया जाए? उन्होंने ब्राह्मण समुदाय को भी अल्पसंख्यक दर्जा देने की माँग की, जिनकी संख्या मात्र 2% बताई गई है।
Vijayapura MLA @BasanagoudaBJP rejected the caste census survey, alleging it was not conducted properly.
— South First (@TheSouthfirst) April 14, 2025
“We are not going to accept the report,” Yatnal said, questioning how Muslims could be classified as minorities when their population was the highest after Scheduled Castes.… pic.twitter.com/qk0XIPgU5x
लुब्ब-ए-लुबाब ये कि कर्नाटक की राजनीति में जाति जनगणना रिपोर्ट एक बड़ा मुद्दा बन गई है। वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय की नाराज़गी ने कॉन्ग्रेस सरकार को मुश्किल में डाल दिया है। आने वाले दिनों में इस पर राजनीतिक बयानबाज़ी और गहराएगी या सरकार किसी आम सहमति पर पहुँचेगी।
यह गुरुवार (17 अप्रैल, 2025) की बैठक के बाद साफ हो सकेगा। यदि सरकार इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करती है और सभी समुदायों की राय लेकर संतुलन बनाती है, तो यह सामाजिक न्याय की दिशा में एक मजबूत क़दम माना जा सकता है। लेकिन, अगर असंतोष और विरोध ऐसे ही चलता रहा, तो यह राज्य में जातीय ध्रुवीकरण को भी बढ़ा सकता है।