Monday, November 11, 2024
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सड़क पर सोने से लेकर, बम हमला झेलने तक… जानें ओडिशा के नए मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी कौन हैं, कैसे हुई थी राजनीति की शुरुआत

सीएम पद के लिए मोहन चरण माझी का नाम तय होने के बाद उनके जुड़ा हर व्यक्ति उनके संघर्षों के दिनों को याद कर रहा है। एक समय ऐसा भी था कि उन्हें सड़क पर सोना पड़ा था। उस टाइम उनका फोन भी चोरी हो गया था।

ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड जीत के बाद मोहन चरण माझी आज से प्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगे। 52 साल की उम्र में माझी को इस मुकाम पर पहुँचता देख कई लोग बहुत खुश हैं। उनकी माँ और पत्नी ने उन्हें ढेरों शुभकामनाएँ दीं। साथ ही ये भी कहा कि पहले माझी को स्थानीय स्तर पर लोगों का भला करना होता था। अब उनपर राज्य की भी जिम्मेदारी होगी।

आज के दिन मोहन माझी से जुड़ा हर व्यक्ति माझी के संघर्ष के दिनों को भी याद कर रहा है। याद किया जा रहा है कि कैसे माझी ने सरस्वती शिशु मंदिर में शिक्षक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी और बाद में वो राजनीति में आए।

माझी ने सरपंच बनकर पहले लोगों की समस्याओं को समाधान करना शुरू किया और बाद में वो विधायक चुने गए। जानकारी के मुताबिक साल 2000 में विधायक बनने से पहले वो गाँव के सरपंच थे। साल 1997 से 2000 तक उन्होंने सरपंच का पद संभाला था। इसके बाद वो 2000 में पहली बार विधासभा चुनाव जीतकर विधायक बने थे, फिर 2004 में भी चुनाव उन्होंने ही जीता था।

बाद में 2019 में वो पार्टी के मुख्य सचेतक बन गए। 2019 में ही उनकी राजनीति में फिर विधायक बन वापसी हुई। हालाँकि यही वो समय था जब उन्हें क्वार्टर में देरी के कारण फुटपाथ पर सोना पड़ा था। इसका जिक्र उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष एसएन पात्रो से भी किया था। उन्होंने बताया था कि वो कम समय में किराए के घर पर नहीं रह सकते थे और उसके बाद से वो खुले में सो रहे थे। उस दौरान उनका फोन भी चोरी हो गया था।

मालूम हो कि इस बार भी जब वो सीएम बने हैं तो अभी तुरंत उन्हें कोई आवास नहीं मिल रहा। एक दो मंजिला क्वार्टर है जिसे रेनोवेट कराने का काम हो रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले 24 सालों से ओडिशा के मुख्यमंत्री पद पर बैठे नवीन पटनायक अपने निजी आवास में रहा करते थे ऐसे में अलग से सीएम आवास की जरूरत नहीं हुई। अब जब सीएम बदले हैं तो इस मुद्दे पर काम शुरू हुआ है।

बता दें मोहन चरण माझी के ऊपर 2021 में अज्ञान हमलावरों द्वारा बम भी फेंके गए थे। उस समय वह क्योंझर कस्बे थानांतर्गत मंडुआ इलाके में भाजपा श्रमिक संघ की बैठक में भाग लेकर वापस लौट रहे थी। हमले में वह बाल-बाल भचे थे। उन्होंने उस समय बीजद के स्थानीय नेताओं पर ऐसा करने का आरोप लगाया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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