मोदी कैबिनेट ने नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) को मंजूरी दे दी है। इस संबंध में 1 दिन पहले ही सूचना जारी कर दी गई थी। केंद्र सरकार ने अपने नोटिफिकेशन में कहा है कि 2003 के ‘रजिस्ट्रेशन ऑफ सिटीजन्स एन्ड इशू ऑफ नेशनल आइडेंटिटी कार्ड्स’ के नियमों के तहत इस प्रक्रिया को पूरा किया जा रहा है। इसके अंतर्गत पॉपुलेशन रजिस्टर को तैयार कर अपडेट किया जाएगा। इसे फील्ड वर्क के जरिए पूरा किया जाएगा। घर-घर जाकर डाटा जुटाया जाएगा।
एनपीआर की प्रक्रिया के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने 85,00 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किए जाने को भी मंजूरी दे दी है। यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा और न ही एनआरसी (NRC) से इसका कोई सरोकार है। इससे पहले 2011 की जनगणना से पहले 2010 में भी जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट किया गया था। उस समय केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए-2 सरकार थी।
Addressing Media on Cabinet Decisions, in New Delhi https://t.co/3wYzFE1bNC
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) December 24, 2019
असम को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक एनपीआर को अपडेट करने का काम किया जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत उन लोगो की सूची और उनका विवरण तैयार किया जाएगा, जो लोकल रजिस्ट्रार के अंतर्गत आते हैं। सेंसस कमीशन ने कहा है कि एनपीआर का मकसद देश में रहने वाले लोगों की पहचान का एक डाटाबेस तैयार करना है।
2021 में अगली जनगणना होनी है। पश्चिम बंगाल और केरल की सरकारों ने एनपीआर की प्रक्रिया रोक दी है। कई गैर भाजपा शासित राज्यों ने कहा है कि वो एनपीआर की प्रक्रिया के लिए वर्क फोर्स देने के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि चीजें स्पष्ट नहीं हैं। विपक्ष का आरोप है कि ये एनआरसी की प्रक्रिया का एक हिस्सा है, जबकि सरकार ने स्पष्ट कहा है कि पूरे देश में एनआरसी के लिए अभी तक कोई अधिकारिक चर्चा हुई ही नहीं है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि जब तक सरकार ‘चीजें स्पष्ट नहीं करती’, तब तक राज्य में एनपीआर से जुड़ी सभी गतिविधियाँ बंद रहेंगी। मुख्यमंत्री ने सभी जिलों के डीएम को निर्देश दिया है कि एनपीआर का कार्य स्थगित कर दिया जाए। बता दें कि एनपीआर एक नियमित प्रक्रिया है, जिसे जनगणना के पहले किया जाना है, इसका एनआरसी से कोई सम्बन्ध नहीं है।
Union cabinet, chaired by Prime Minister Narendra Modi, approves over Rs 8500 crore for updating National Population Register:Officials
— Press Trust of India (@PTI_News) December 24, 2019
एनपीआर और एनआरसी में बुनियादी अंतर है। NRC का मकसद देश में अवैध तरीके से रह रहे लोगों की पहचान करना है। वहीं, NPR में 6 महीने या उससे अधिक समय से रह रहे हर निवासी को अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन कराना होगा। कोई विदेशी भी अगर देश के किसी हिस्से में छह महीने से रह रहा है, तो उसे भी NPR में अपना विवरण दर्ज कराना होगा।
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