26 मई को कई कॉन्ग्रेस समर्थकों ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का मजाक उड़ाया। इनका मानना है कि लोकोमोटिव इंजन के ब्रेकिंग सिस्टम के जरिए बिजली पैदा करने और उसे वापस ट्रांसमिशन लाइनों में ट्रांसफर करने के बारे में रेल मंत्री ने झूठ बोला।
अश्विनी वैष्णव ने कहा था, ” ये जो नया इंजन है, जब चलता है तो ऊपर के तार से बिजली लेता है, और जब रुकता है तो अपने जेनेरेटर से बिजली लेता है और ये बिजली वापस ट्रैक के ऊपर लगे तारों में भेजता है।”
ये बयान दाहोद में 9000 HW के पहले लोकोमोटिव इंजन के लॉन्च के दौरान रीजेनरेटिव ब्रेकिंग के बारे में बात करते हुए दी थी।
कॉन्ग्रेस समर्थकों ने तकनीक को समझे बिना उनका मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया। एक्स पर एक पोस्ट में एमॉक ने लिखा, “ट्रेन तार से बिजली लेती है और जब ड्राइवर ब्रेक लगाता है तो वह उसी तार में वापस बिजली भेजती है, अश्विनी वैष्णव। कोई इतने आत्मविश्वास के साथ ऐसी मसखरी कैसे कर सकता है?”

पत्रकार पीयूष राय, जो अपनी मर्जी से या फिर गलती से इस तकनीक से अंजान थे। उन्होने लिखा, “मैं अभी भी इसे समझने की कोशिश कर रहा हूँ। रेल मंत्री ने यह काम तब किया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंच पर थे।”

एक और कॉन्ग्रेस समर्थक हैंडल ‘यूनाइटेड विद आईएनसी’ ने लिखा, “ट्रेन तार से बिजली लेती है और जब चालक ब्रेक लगाता है तो वह उस बिजली को उसी तार में वापस भेज देती है – अश्विनी वैष्णव, रील मंत्री।”

विवादास्पद एक्स हैंडल वी द्रविड़ियन ने लिखा, “दुखद तथ्य यह नहीं है कि अश्विनी वैष्णव मोदी की नकल करने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि यह है कि वे मोटे तौर पर कह रहे हैं कि ट्रेन को तार से करंट मिलता है और जब पायलट ब्रेक लगाता है, तो इंजन बिजली को वापस तार में भेज देता है। देवियो और सज्जनों, हम मंत्रियों के साथ नहीं रह रहे हैं। हम एक क्वांटम दायरे में रह रहे हैं जहाँ अश्विनी वैष्णव निकोलस टेस्ला हैं।”
वी द्रविड़ियन हैंडल दक्षिण भारत से संचालित होता है, जहाँ जाहिर तौर पर तकनीक का बोलबाला है, फिर भी ये सोच दिखी।

अश्विनी वैष्णव का बयान
दाहोद में इलेक्ट्रिक इंजन फैक्ट्री के उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे यह प्लांट आधुनिक इंजीनियरिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन का प्रतीक है।
उन्होंने बताया कि नए लोकोमोटिव सिर्फ़ इंजन से कहीं बढ़कर हैं – वे बिना किसी शोर, कंपन के ‘चलते-फिरते कंप्यूटर सेंटर’ हैं और इनमें एयर-कंडीशन्ड केबिन और ऑनबोर्ड शौचालय भी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ये इंजन चलते समय ओवरहेड तारों से बिजली खींचते हैं और ब्रेक लगाने पर रीजेनरेटिव ब्रेकिंग के जरिए उसी तारों को बिजली वापस भेजते हैं।
उन्होंने कहा, “जब ट्रेन चलती है, तो वह ओवरहेड वायर से बिजली खींचती है। जब ब्रेक लगाए जाते हैं, तो इंजन जनरेटर में बदल जाता है और ओवरहेड वायर को बिजली वापस भेजता है। यह आधुनिक तकनीक का चमत्कार है।”
भारत ने रीजेनरेटिव ब्रेकिंग तकनीक से लैस अपना पहला 9000 HW इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव पेश किया है। यह रेलवे नवाचार में एक बड़ी उपलब्धि है। इंजन को पीएम मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया और इसे गुजरात के दाहोद में बनाया गया है। इंजन का कोडनेम, डी9, दाहोद-9000 है।
21,405 करोड़ रुपये की लागत वाली इस इकाई से अगले दशक में 1,200 लोकोमोटिव बनाने की उम्मीद है, जिनमें से प्रत्येक 75 किमी/घंटा की औसत गति से 4,600 टन तक का भार ढोने में सक्षम है। भारतीय रेलवे इन इंजनों को निर्यात करने पर भी विचार कर रहा है।
रीजेनरेटिव ब्रेकिंग क्या है?
रीजेनरेटिव ब्रेकिंग एक परिपक्व और प्रभावी तकनीक है जो धीमी होने के दौरान ट्रेन की गतिज ऊर्जा को बिजली में बदल देती है। पारंपरिक गतिशील ब्रेकिंग सिस्टम में, ऊर्जा आमतौर पर गर्मी के रूप में बर्बाद हो जाती है। हालाँकि, रीजेनरेटिव ब्रेकिंग के मामले में, ऊर्जा इलेक्ट्रिक मोटर्स में करंट को उलट देती है, जिससे ट्रेन के धीमे होने पर वे जनरेटर में बदल जाती हैं।
जितना बिजली का उत्पादन होता है, उसे फिर से बिजली वितरण प्रणाली में भेजा जाता है, जहाँ इसका उपयोग अन्य ट्रेनों या स्टेशन सुविधाओं को बिजली देने के लिए किया जा सकता है।
यह तकनीक एसी सिस्टम पर चलने वाली इलेक्ट्रिक ट्रेनों में विशेष रूप से प्रभावी है, जहाँ इसे न्यूनतम अतिरिक्त लागत के साथ लागू किया जा सकता है। डीसी-संचालित प्रणालियों को कम वोल्टेज स्तर और ग्रिड को बिजली वापस करने की सीमित क्षमता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, हालाँकि अपग्रेड से उनकी दक्षता में सुधार हो सकता है।