सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (मई 5, 2020) को वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता जयराम रमेश की जरूरतमंदों को सरकारी राशन देने की माँग वाली याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने जयराम रमेश से कहा कि वह सरकार को ज्ञापन दें। कोर्ट ने यह भी कहा है कि लोगों को पहले सरकार के पास जाना चाहिए, उसके बाद कोर्ट के पास आना चाहिए।
[COVID-19] Jairam Ramesh withdraws plea seeking ration for migrant workers amid lockdown after SC asks him to send representation to govt @Jairam_Ramesh #SupremeCourt https://t.co/3z7Hl8r1k2
— Bar & Bench (@barandbench) May 5, 2020
बता दें कि जयराम रमेश ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर प्रवासी मजदूरों की परेशानी बताते हुए फूड सिक्यॉरिटी कानून के तहत कहीं के भी राशन कार्ड पर राशन उपलब्ध कराने का आदेश माँगा था। उन्होंने कहा था कि बड़ी तादाद में लोगों की आर्थिक स्थिति खराब है। देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान भोजन की भारी कमी है, ऐसे में जरूरतमंदों को मुफ्त राशन देना चाहिए। इस याचिका में उन्होंने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, 2013 और ऐसे ही अन्य उपायों को लागू करने की बात कही थी। जयराम रमेश की तरफ से वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने कोर्ट में दलील पेश की थी।
शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की कि लोग सरकारी प्राधिकारियों को कोई प्रतिवेदन दिए बगैर ही संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सीधे उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर रहे हैं। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से जयराम रमेश की याचिका पर विचार किया।
पीठ ने पाया कि याचिका में उठाई गई समस्या पहले सरकार के संज्ञान में नहीं लाई गई है, इसलिए इसे वापस लेने की अनुमति दी जाती है। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को इस बारे में विस्तार से केंद्र को प्रतिवेदन देना चाहिए जिस पर सरकार गौर करेगी।
पीठ ने सलमान खुर्शीद से सवाल किया कि क्या इस संबंध में सरकार को कोई प्रतिवदेन दिया गया है। खुर्शीद ने कहा कि सरकार को इस बारे में कोई प्रतिवेदन नहीं दिया गया है। पीठ ने कहा कि समस्या यह है कि लोग सरकार को प्रतिवेदन देने की बजाए सीधे अनुच्छेद 32 के तहत शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर रहे हैं। पीठ ने कहा कि इस तरह की याचिका से पहले कहीं कोई कवायद तो की जानी चाहिए।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने तृणमूल कॉन्ग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की वह याचिका भी खारिज कर दी है, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री राहत कोष में कंपनियों के सीएसआर फंड का दान भी स्वीकार करने की इजाजत माँगी थी।
गौरतलब है कि पिछले दिनों राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के बेटे विवेक डोभाल ने कारवाँ पत्रिका और जयराम रमेश के ख़िलाफ़ पटियाला हाईकोर्ट में आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज़ कराई थी। विवेक डोभाल ने यह कहते हुए मानहानि का मुकदमा दायर करवाया था कि सभी आरोप झूठे हैं और उनका व्यवसाय वैध है, न कि ब्लैकमनी से जुड़ा हुआ।
वहीं कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने जयराम को पॉलिसी पैरालिसिस के लिए जिम्मेदार बताते हुए कहा था कि उनके कारण ही यूपीए-2 डूबी थी। रमेश ने कुछ दिनों पहले ही विपक्षी नेताओं को सलाह देते हुए कहा था कि हमेशा मोदी को विलेन बनाना काम नहीं आने वाला और सरकार के अच्छे क़दमों की तारीफ़ की जानी चाहिए। इसके बाद कॉन्ग्रेस के लोग ही उनके विरोध में उतर आए थे। मोइली ने कहा कि रमेश ने सत्ता में रहते हुए यूपीए-2 सरकार के सिद्धांतों से कई बार समझौता किया था।
इसके साथ ही देश के अलग-अलग हिस्सों में CAA-NRC-NPR के विरोध के बीच जयराम रमेश ने कहा था कि विपक्षी राजनीतिक दलों को इन विरोध प्रदर्शनों से एक हाथ की दूरी बनाए रखनी चाहिए और जन आंदोलनों को जबरन अपना बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।