Wednesday, May 14, 2025
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‘दत्तात्रेय गोत्री-कौल ब्राह्मण’ राहुल गाँधी नहीं रहे हिंदू, शंकराचार्य ने किया बहिष्कृत: बोले अविमुक्तेश्वरानंद- मनुस्मृति को नहीं मानने वाला हमारे धर्म का नहीं, मंदिरों में न मिले प्रवेश

अविमुक्तेश्वरानंद ने मनुस्मृति को आक्षेप करने का विरोध करते हुए कहा कि राहुल गाँधी के बयान से साफ़ हो गया कि राहुल गाँधी इसे अपनी किताब नहीं मानते।

उत्तराखंड के रुद्रप्रायग स्थित ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने राहुल गाँधी को हिन्दू धर्म से निष्कासित किए जाने का ऐलान किया है। संसद में मनुस्मृति के विरुद्ध दिए गए उनके बयान के कारण शंकराचार्य ने ये ऐलान किया। उन्होंने कहा कि प्रयागराज में महाकुंभ हो रहा था और धर्म-संसद में सनातनधर्मियों के प्रश्न आते थे जिनका जवाब सभासदों द्वारा दिया जाता था। उसी दौरान राहुल गाँधी को लेकर प्रश्न आया था। बकौल अविमुक्तेश्वरानंद, राहुल गाँधी ने कहा था कि बलात्कारी बाहर घूम रहे हैं और पीड़िता बिटिया अंदर रहने को मजबूर हैं।

ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि घटना पर चर्चा से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है और पीड़िता को पीड़ा को समझकर संसद में उठाना अच्छी बात है और संवेदनशील व्यक्ति इसे लेकर प्रश्न उठाएगा। हालाँकि, उन्होंने आगे कहा कि राहुल गाँधी ने इस पीड़ा को व्यक्त करते हुए आगे कहा कि बलात्कारी को संरक्षण देना हमारे संविधान में नहीं लिखा है, फिर उन्होंने सत्तापक्ष की तरफ उँगली दिखाकर कहा कि ‘तुम्हारी किताब’ में ऐसा लिखा है। शंकराचार्य ने पूछा कि वो किताब कौन सी है?

अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, “राहुल गाँधी ने अगले वाक्य में ख़ुद साफ़ कर दिया कि मनुस्मृति में ऐसा लिखा है। मनुस्मृति इस संसार का पहला संविधान है, हम हिन्दू इसे मानते हैं। उससे ही प्रेरणा लेकर कई संविधान रचे गए, हम आज भी उसके अनुसार अपना जीवन चलाते हैं। इसकी किसी बात से आप सहमत न हो सकते हैं या हो सकता है कि कुछ आपको समझ में न आ रहा हो या परिस्थितियों में बदलाव के कारण कोई बात आपको अच्छी नहीं लग रही हो और आप कहें कि आप इसे नहीं मान पा रहे हैं।”

अविमुक्तेश्वरानंद ने मनुस्मृति को आक्षेप करने का विरोध करते हुए कहा कि राहुल गाँधी के बयान से साफ़ हो गया कि राहुल गाँधी इसे अपनी किताब नहीं मानते, अगर वो हिन्दू होते तो इसे अपनी किताब मानते। अविमुक्तेश्वरानंद ने सभी 18 स्मृतियों को हिन्दुओं की किताब बताते हुए इन्हें धर्मशास्त्र करार दिया। उन्होंने कहा कि जो मनुस्मृति को अपनी किताब नहीं मानता वो हिन्दू नहीं हो सकता, उनके हिन्दू होने में समस्या है। शंकराचार्य ने स्पष्ट कहा कि राहुल गाँधी को हिन्दू धर्म का न माना जाए और मंदिरों में प्रवेश न दिया जाए।

याद दिला दें कि राहुल गाँधी ने दिसंबर 2024 में कहा था कि भाजपा के लिए संविधान से ऊपर मनुस्मृति है। वहीं पिछले साल राजद की प्रवक्ता प्रियंका भारती द्वारा ‘इंडिया टीवी’ के एक शो में मनुस्मृति के पन्ने फाड़ने के बाद इसे लेकर विवाद हो गया था। इसे दलित विरोधी पुस्तक बताया गया, जबकि डॉ आंबेडकर ने संविधान निर्माण के दौरान मनु महाराज द्वारा महिलाओं को संपत्ति में अधिकार दिए जाने की प्रशंसा की थी। इस विवाद के बाद मनुस्मृति की बिक्री भी बंपर तरीके से बढ़ गई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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