दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरह कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार के मुखिया भी अपने लिए ‘शीशमहल’ बनवा रहे हैं। इसको लेकर विवाद शुरू हो गया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपने सरकारी आवास ‘कावेरी’ का जीर्णोद्धार करवा रहे हैं। इसके लिए राज्य लोक निर्माण विभाग ने 2.60 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया है।
राज्य के वित्त विभाग की ओर से इसको लेकर एक सरकारी अधिसूचना जारी की गई है। उसमें मुख्यमंत्री आवास में जो बदलाव करने की बात कही गई है, उसके बारे में बताया है। इसमें एक बाथरूम के साथ एक नया सहायक कक्ष, अतिरिक्त भंडारण कक्ष, भंडारण रैक, उन्नत प्रकाश व्यवस्था, जल व्यवस्था, फर्निचर सहित कई तरह के कार्य शामिल हैं।
हेल्पर रूम के निर्माण और रसोई के सामान आदि के लिए 1.70 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। वहीं, एयर कंडिशन और बिजली को भव्य बनाने के लिए 89 लाख रुपए खर्च होंगे। इनमें 16 लाख रुपए से सीसीटीवी कैमरे, एयर कंडीशनर और बिजली के अन्य उपकरणों आदि लगाए जाएँगे हैं। वहीं, 45 लाख रुपए से उपमुख्यमंत्री के सचिव के कक्ष का जीर्णोद्धार किया जाएगा।
बता दें कि PwD को इसके लिए टेंडर जारी किए बिना सीधे नवीनीकरण कार्य करने की अनुमति दी गई है। कर्नाटक पारदर्शिता सार्वजनिक खरीद (केटीपीपी) अधिनियम की धारा 4(G) के तहत PwD को यह छूट दी गई है। पिछले महीने 29 जनवरी को उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के आधिकारिक आवास पर बिजली के काम और फर्नीचर लगाने के लिए PwD को कथित तौर पर ऐसी ही छूट दी गई थी।
चिकपेट से भाजपा विधायक उदय गरुड़ाचार ने कहा, “जो काम नहीं किया जाना चाहिए, वह मुख्यमंत्री खुद कर रहे हैं। मेरी अपील है कि हम पहले यह सुनिश्चित करें कि बाकी सभी काम हो जाएँ। एक बार जब सारी ज़रूरतों को पूरा। कर दिया जाता है तो वे अपने घर के नवीनीकरण या जो कुछ भी चाहें, उस पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। लोग पैसे के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अब पैसे नहीं बचे हैं।”
ऐसे समय में, जब राज्य वित्तीय संकट से जूझ रहा है, सार्वजनिक धन का उपयोग करके सीएम आवास का जीर्णोद्धार कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार पर सवाल खड़े करता है। पिछले साल जुलाई में कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया के वित्तीय सलाहकार बसवराज रायरेड्डी ने कहा था कि ‘गारंटी योजनाओं’ के कारण राज्य के पास विकास परियोजनाओं के लिए धन की कमी हो गई है।