Monday, October 7, 2024
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भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा समझौता: बेचैन चीन ने कहा- हमें अलग-अलग मोर्चों पर घेरने की तैयारी कर रहा भारत

भारत और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री के बीच समोसा डिप्लोमेसी के कुछ दिन बाद ही रक्षा समझौता होता है। लेकिन इसका असर चीन में दिखता है। ट्विटर पर रोज अपनी सेना के शक्ति प्रदर्शन से डराने की कोशिश करने वाले चीनी मीडिया को भी इससे गहरा सदमा लगता है और इसे चीन को घेरने की रणनीति करार दी जाती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन ने गुरुवार (जून 4, 2020) को एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किया। इससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सम्बन्ध को व्यापक रणनीतिक साझेदारी में बदलने में मदद मिलेगी, इसीलिए इस डील को अहम माना जा रहा है। अब जब भारत-चीन के बीच सीमा विवाद चल रहा है और तनाव की स्थिति है, ऐसे में इस डील ने ऑस्ट्रेलिया को लेकर भी बीजिंग के कान खड़े कर दिए हैं।

चाइनीज मीडिया इसे चीन को घेरने की रणनीति के रूप में देख रही है। ट्विटर पर रोज अपनी सेना के शक्ति प्रदर्शन से डराने की कोशिश करने वाले ‘ग्लोबल टाइम्स’ को भी इससे गहरा सदमा लगा है और उसने इसे चीन को घेरने की रणनीति करार दिया। उसने लिखा कि बीजिंग को अलग-थलग करने के लिए अन्य देशों के साथ भारत समझौता कर रहा है। साथ ही उसने भारत पर आरोप लगाया कि भारत चीन को एक साथ कई फ्रंट्स पर घेरना चाहता है।

कुछ चाइनीज विशेषज्ञ मान रहे हैं कि चीन का मुकाबला करने के लिए ही भारत और ऑस्ट्रेलिया ने हाथ मिलाया है। ऑस्ट्रेलिया से भी हाल के दिनों में चीन के सम्बन्ध अच्छे नहीं रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया अब तक रक्षा मामलों में अमेरिका पर और आर्थिक मामलों में चीन पर ही निर्भर रहा है। अब तक उसका रुझान यही रहा है कि दोनों देशों के बीच बैलेंस बना कर चला जाए। लेकिन, एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया अमेरिका के सबसे महत्वपूर्ण साझेदारों में से एक है।

हाल के दिनों में ऑस्ट्रेलिया ने चीन पर ताबड़तोड़ हमले किए हैं और कई फैसलों में अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसके विरोध में रहा है। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन पर भले ही ऑस्ट्रेलिया की निर्भरता हो लेकिन अब उसने उससे दूरी बनानी शुरू कर दी है। इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पहला इनफॉर्मल समिट 2018 में वुहान में हुआ था। उसके बाद भारत-चीन रिश्तों में प्रगति आई है और सीमा विवाद पर भी बात आगे बढ़ी।

‘असुरक्षित भावना’ से ग्रसित चाइनीज मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो चीन दक्षिण एशिया और अफ्रीका में बड़ा रोल प्ले करना चाहता है, इसीलिए उसने कई छोटे देशों से साझेदारी बढ़ा दी है जबकि भारत के पास कोरोना वायरस संक्रमण के बीच दुनिया में अपनी साख बचाने की चुनौती है। भारत अब पश्चिमी जगत के ज्यादा क़रीब जा रहा है और हाल के फ़ैसले पिछले ढर्रे से एक शिफ्ट की तरफ इशारा कर रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जब से इंडो-पैसिफिक रणनीति तैयार की है, तभी से वो भारत को इसका हिस्सा बनाना चाहते हैं।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जी-7 राष्ट्रों की बैठक के लिए आमंत्रित करना इसी कड़ी का एक हिस्सा हो सकता है। सीमा विवाद के बीच भारत भी चाहता है कि चीन पर पश्चिमी जगत से दबाव बने। इसी बहाने अमेरिका से रिश्ते तगड़े करने के प्रयास किए जाते हैं कि ये भारत की रणनीति में बदलाव की ओर एक इशारा होगा। हालाँकि, भारत अब तक चीन को घेरने की अमेरिकी रणनीति का हिस्सा बनने से कतराता रहा है।

भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच क्वाडीलेटरल बातचीत पहले ही शुरू हो चुकी थी। और अब ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत के सबंधों में नजदीकियाँ भी बढ़ने लगी हैं। हिन्द महासागर में भारत और ऑस्ट्रेलिया वैसे भी प्रतिस्पर्द्धी रहे हैं। लोकेशन के हिसाब से ऑस्ट्रेलिया इंडोनेशिया जैसे देशों का क़रीबी भी रहा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ पर विश्वास रहा है, ताकि दक्षिण-पूर्वी एशिया के देशों के साथ सम्बन्ध प्रगाढ़ हो सकें।

दक्षिण-पूर्वी एशिया और हिन्द महासागर में भारत बड़ा किरदार अदा करने की रणनीति पर लगा हुआ है। भारत ने ख़ुद को ‘Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation (BIMSTEC)’ का भी सदस्य बना रखा है, जो सात देशों का समूह है। इसके सेक्रेटेरिएट के ख़र्च का लगभग एक तिहाई हिस्सा भारत ही वहन करता रहा है। भारत अब तक ऑस्ट्रेलिया के साथ सैन्य साझेदारी से कतराता रहा है।

एक्सरसाइज मालाबार में भी भारत, अमेरिका और जापान की सेनाओं के बीच अभ्यास होता है लेकिन उसमें ऑस्ट्रेलिया शामिल नहीं है। अब भारत ने ऑस्ट्रेलिया के साथ सैन्य अभ्यास का मार्ग प्रशस्त करने वाले दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर दिया है। मालाबार एक्सरसाइज में भी ऑस्ट्रेलिया को जोड़ा जा सकता है। चीन का कहना है कि भारत अमेरिका के हाथों का प्यादा न बन कर अपनी कूटनीतिक स्वतंत्रता को ज्यादा महत्ता दे रहा है। यही कारण है कि चीन को घेरने की रणनीति का हिस्सा नहीं बनना, एक निर्णय के तहत लिया गया था। उसकी ये बेचैनी जायज है।

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने रविवार (मई 31, 2020) को आम की चटनी के साथ समोसे का स्वाद लिया था। इस मौके पर भी उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को याद किय था। स्कॉट मॉरिसन ने समोसे के साथ तस्वीर पोस्ट की और कहा था कि वह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इसे साझा करना चाहेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके जवाब में कहा था कि वह कोविड-19 को हराने के बाद उनके साथ समोसे का आनंद लेंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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