Monday, October 7, 2024
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खुफिया एजेंसी के अधिकारियों से हर सप्ताह दो बार मिलता था हरदीप सिंह निज्जर: खालिस्तानी आतंकी के बेटे का खुलासा, फर्जी पासपोर्ट पर आया फिर भी कनाडा ने दी नागरिकता

कनाडा के मंत्री मार्क मिलर ने निज्जर को वर्ष 2015 में नागरिकता दिए जाने वाली बात को लेकर बाद में स्पष्टीकरण जारी किया है। मार्क मिलर ने अब एक ट्वीट में कहा है कि उनसे गलती से वर्ष 2015 की तारीख निकल गई, निज्जर को असल में नागरिकता 2007 में दी गई थी।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने जून 2023 में मारे गए खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर मढ़ा था। ट्रूडो ने निज्जर को कनाडाई नागरिक बताते हुए हत्या को कनाडा के आंतरिक मामलों में भारत का हस्तक्षेप बताया था। इसके कनाडा ने भारत के एक राजनयिक को भी कनाडा से निष्कासित कर दिया था। इसका भारत ने भी कड़ा जवाब दिया था।

इस प्रकरण के कारण भारत और कनाडा के राजनयिक सम्बन्ध खराब हो गए हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि ट्रूडो ने भारत और कनाडा के रिश्तों को एक ऐसे खालिस्तानी आतंकी के लिए ताक पर रख दिया, जिसके प्रत्यर्पण की माँग भारत लंबे समय से कर रहा था। अब निज्जर के बेटे ने कहा है कि उसका पिता सप्ताह में दो-तीन बार कनाडा की ख़ुफ़िया एजेंसियों के अधिकारियों से मिलता था।

दैनिक ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हरदीप सिंह निज्जर के पुत्र बलराज निज्जर ने यह भी स्वीकार किया है कि अपनी हत्या से एक-दो दिन पहले भी उसके पिता कनाडा की ख़ुफ़िया एजेंसी के अधिकारियों से मिला था। बलराज ने बताया कि कनाडा की पुलिस ने निज्जर को चेताया था कि उसकी जान को खतरा है।

कनाडा की सुरक्षा एजेंसियों का खालिस्तानी आतंकी निज्जर के साथ मिलकर काम करना दिखाता है कि कनाडा की सरकार भारत विरोधी तत्वों को शरण प्रदान कर रही है। इसके अतिरिक्त यह भी स्पष्ट हो रहा है कि कनाडा भारत के वांछित अपराधी की लगातार सेवा कर रहा था।

ये बात भी सामने आई है कि कनाडा ने निज्जर को नागरिकता तब दी थी, जब उसके विरुद्ध वर्ष 2014 में इन्टरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था। इस बात की पुष्टि कनाडा सरकार में मंत्री मार्क मिलर ने की है। मार्क मिलर ने ट्वीट करके यह करके जानकारी दी कि निज्जर को 3 मार्च 2015 में कनाडा की नागरिकता दी गई थी।

गौरतलब है कि निज्जर के विरुद्ध वर्ष नवम्बर 2014 में पहला रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था। दैनिक ट्रिब्यून ने यह जानकारी दी है कि यह रेड कॉर्नर नोटिस उसके विरुद्ध पटियाला में पंजाब पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मामले में जारी किया गया था।

निज्जर को नागरिकता दिए जाने के एक वर्ष बाद यानी साल 2016 में भी उसके विरुद्ध रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था। दोनों ही मौकों पर कनाडा ने भारत को कोई सहयोग नहीं दिया और हरदीप निज्जर समेत अन्य खालिस्तानी आतंकियों को बचाता रहा।

हरदीप निज्जर का नाम वर्ष 2018 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा ट्रूडो को सौंपी गई सूची में भी था, लेकिन उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब जबकि उसकी हत्या बेनाम हत्यारों ने कर दी तो ट्रूडो भारत पर आरोप लगा रहे हैं।

निज्जर वर्ष 1997 में भारत से भाग कर कनाडा गया था। उसने इसके ‘रवि शर्मा’ नाम के एक फर्जी पासपोर्ट का उपयोग किया था। उसने कनाडा में पहुँच कर नागरिकता के लिए भी आवेदन किया था जो कि रद्द हो गया था।

निज्जर ने इसके रद्द होने के पश्चात एक कनाडाई महिला से शादी की थी, इसी महिला ने निज्जर को कनाडा आने में सहायता की थी। हालाँकि इस आधार पर उसकी नागरिकता रद्द कर दी गई थी। इसके पश्चात वह कनाडा में बिना नागरिकता के कई वर्षों तक रहा है।

कनाडा के मंत्री मार्क मिलर ने निज्जर को वर्ष 2015 में नागरिकता दिए जाने वाली बात को लेकर बाद में स्पष्टीकरण जारी किया है। मार्क मिलर ने अब एक ट्वीट में कहा है कि उनसे गलती से वर्ष 2015 की तारीख निकल गई, निज्जर को असल में नागरिकता 2007 में दी गई थी।

इन सब प्रकरणों से स्पष्ट है कि कनाडा भारत पर आरोप लगाकर अब स्वयं ही समस्या में फंस गया है। उसके ऊपर खालिस्तानियों को शरण देने, उन्हें कानूनी रूप से बचाने और भारत विरोधी गतिविधियों को संचालित करने में सहायता करने के आरोप लगातार दृढ़ होते जा रहे हैं।

इस बीच भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कनाडा को इस बात की चिंता करनी चाहिए कि उसकी छवि आतंकियों, गैंगस्टर और चरमपंथियों की शरणस्थली के रूप में बन रही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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