Thursday, October 10, 2024
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हरदीप सिंह निज्जर ने किया था पाकिस्तान का दौरा, चलाता था आतंकी कैम्प: जिस कनाडा ने उसकी हत्या पर संसद में रखा मौन, वहीं की मीडिया ने खोल दी पोल

1995 में जगतार सिंह तारा को बेअंत सिंह हत्याकांड में आजीवन कारावास हुई, लेकिन 2004 में वो हाथ से ही 94 फुट का टनल खोद कर भाग खड़ा हुआ और पाकिस्तान चला गया। वो वहीं से 'खालिस्तान कमांडो फोर्स' और 'खालिस्तान टाइगर फ़ोर्स' चलाता रहा।

‘ग्लोब एन्ड मेल’ ने शनिवार (22 जून, 2024) को खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसकी हत्या पर कनाडा की संसद में 1 मिनट का मौन तक रखा गया। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे निज्जर न सिर्फ इस्लामी आतंकियों से संबंध रखता था, बल्कि उसने पाकिस्तान का दौरा भी किया था। वो भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल थे। 18 जून, 2023 को उसकी हत्या हुई थी। मई 2024 में लॉरेंस बिश्नोई गैंग के 4 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया।

हरदीप सिंह निज्जर का जन्म 1970 के दशक में हुआ था। उस दौरान जाँच एजेंसियों से भागे फिर रहे खालिस्तानियों को उसका परिवार भोजन और छत उपलब्ध कराता था। निज्जर शुरू से ही खालिस्तानी विचारधारा से प्रभावित था और सिखों के लिए अलग देश चाहता था। 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह व 17 अन्य की हत्या के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने खालिस्तान के विरोध में बड़ा अभियान चलाया। उसी दौरान छद्म हिन्दू पहचान के साथ निज्जर ने भारत छोड़ कर कनाडा में शरण ली।

पासपोर्ट पर उसने अपना नाम ‘रवि शर्मा’ लिख रखा था। उसने अपनी सिख पहचान छिपाने के लिए पगड़ी को भी अलविदा कह दिया था और दाढ़ी तक कटा ली थी। कनाडा में उसे न सिर्फ स्थायी नागरिकता मिली, बल्कि उस पर वहाँ किसी भी तरह का मामला नहीं चलाया गया। फिर उसने प्लंबिंग का कारोबार शुरू किया, स्थानीय सिख समुदाय में प्रभावशाली व्यक्ति बन गया। गुरु नानक सिख गुरुद्वारा से वो जुड़ा, फिर खालिस्तानियों का नेटवर्क तैयार करने लगा।

हरदीप सिंह निज्जर पर 2015 में ब्रिटिश कोलंबिया में एक आतंकी कैम्प चलाने का आरोप लगा था। उसके खिलाफ जाँच शुरू हुई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। 2021 में उसने शांति की बात करने वालों की आलोचना की, सिखों को हथियार उठाने के लिए उकसाया। उसके समर्थक उसे योद्धा कौम सिख का प्रतिनिधि बताते थे लेकिन भारत सरकार ने उसे ख़तरा माना। न्यूयॉर्क के खालिस्तानी वकील और SFJ के गुरपतवंत सिंह पन्नू के साथ उसके संबंध थे।

अलग सिख देश के लिए SFJ द्वारा चलाए जा रहे खालिस्तानी रेफरेंडम का उसने खुल कर समर्थन किया, उसमें हिस्सा भी लिया। 2007 में लुधियाना में सिनेमा हॉल में बम ब्लास्ट और 2021 में हत्या के एक प्रयास में उसका नाम आया। हिन्दू नेता कमलदीप शर्मा की उसने हत्या कराने की कोशिश की। 2015 में भारतीय एजेंसियों द्वारा सरे के रहने वाले मनदीप सिंह धालीवाल को दबोचा गया, उसने बताया कि उसे निज्जर ने कुछ हत्याओं का टास्क देकर भेजा है, पाकिस्तानी आतंकियों से उसे हथियार और गोला-बारूद मिल रहा है।

धालीवाल के साथियों का कहना है कि 2015 में उसने हथियारों की प्रशिक्षण वाले कैम्प में हिस्सा लिया था। 5 अन्य सिख कट्टरपंथियों को भी इस कैम्प में प्रशिक्षण दिया गया था। गैंगस्टर से आतंकी बने अर्शदीप सिंह गिल उर्फ़ अर्श दल्ला से भी निज्जर के संबंध थे। 1995 में जगतार सिंह तारा को बेअंत सिंह हत्याकांड में आजीवन कारावास हुई, लेकिन 2004 में वो हाथ से ही 94 फुट का टनल खोद कर भाग खड़ा हुआ और पाकिस्तान चला गया। वो वहीं से ‘खालिस्तान कमांडो फोर्स’ और ‘खालिस्तान टाइगर फ़ोर्स’ चलाता रहा।

2013 में हरदीप सिंह निज्जर भी पाकिस्तान पहुँचा और उससे मिला। पाकिस्तान में एक गुरुद्वारा में दोनों साथ दिखे, जिसकी तस्वीर भी सामने आई। ये लाहौर की फोटो थी। तारा ने KTF चलाने के लिए निज्जर को भी देना चाहा था। भारत का मानना है कि वो उसका मुखिया बन भी गया था। अब जब कनाडा के राष्ट्रपति जस्टिन ट्रूडो भारत पर उसकी हत्या का आरोप लगाते थे, कनाडा के ही मीडिया संस्थान बता रहे हैं कि वो आतंकी गतिविधियों में लिप्त था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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