Saturday, May 24, 2025
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बांग्लादेश की मुक्ति के लिए लड़े, मिला ‘बीर प्रतीक’ सम्मान… अब अपने ही गाँव में जमात-ए-इस्लामी ने जूतों की माला पहनाई: पीड़ित बोले- पाकिस्तानी जानवरों से भी बुरा व्यवहार किया

बांग्लादेशी न्यूज पोर्टल ने कानू के हवाले से कहा, "मैंने सोचा था कि इस बार मैं गांव में आराम से रह सकूँगा। मगर उन्होंने मेरे साथ पाकिस्तानी जंगली जानवरों से ज्यादा हिंसक व्यवहार किया।"

बांग्लादेश में एक चौंकाने वाली घटना में प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल हई कानू का अपमान किया गया। कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के समर्थकों ने उन्हें जूतों की माला पहनाई और धमकाया। यह घटना कॉमिल्ला जिले के चौद्ग्राम में हुई, जहाँ ‘बीर प्रतीक’ से सम्मानित अब्दुल हई कानू को उनके गाँव लुडियारा में लौटने के बाद निशाना बनाया गया।

इस अपमानजनक कृत्य का वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो गया है। जिसमें 10-12 लोग कानू को घेरकर उनसे माफी माँगने के लिए मजबूर कर रहे हैं। इनमें से कुछ लोगों ने उन्हें गाँव छोड़ने की धमकी दी।

खबरों में बताया गया है कि कानू को धमकाने वाले लोगों में एक व्यक्ति दुर्दांत आतंकी था जो 2006 में दुबई चला गया था और यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार बनने के बाद वापस लौटा है। कानू ने आरोप लगाया कि जमात की राजनीति से जुड़े अबुल हाशम मजूमदार और वाहिद मजूमदार ने हमले का नेतृत्व किया। जमात-ए-इस्लामी साल 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तान का समर्थन करने के लिए कुख्यात रही है।

बांग्लादेशी न्यूज पोर्टल ने कानू के हवाले से कहा, “मैंने सोचा था कि इस बार मैं गांव में आराम से रह सकूँगा। मगर उन्होंने मेरे साथ पाकिस्तानी जंगली जानवरों से ज्यादा हिंसक व्यवहार किया।”

साल 1971 में पाकिस्तान से मुक्ति के लिए लड़े गए संग्राम की वजह से कानू को बांग्लादेश के चौथे सर्वोच्च वीरता पुरस्कार ‘बीर प्रतीक’ से सम्मानित किया गया था। कानू को 426 लोगों के साथ ये सम्मान मिला था।

चौद्दाग्राम पुलिस थाने के इंचार्ज अख्तरुज जमान ने कहा कि हम आरोपितों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान चला रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई पकड़ में नहीं आया है। उन्होंने कहा, ‘हमने 12-14 अपराधियों की पहचान कर ली है और उन्हें पकड़ने के लिए छापेमारी कर रहे हैं।”

बहरहाल, घटना की जाँच के आदेश दिए गए हैं। वहीं, कानू के परिवार ने बताया कि वे मानसिक रूप से टूट चुके हैं और अपने घर छोड़कर चले गए हैं।

जमात-ए-इस्लामी क्या है?

जमात-ए-इस्लामी एक कट्टरपंथी इस्लामी राजनीतिक दल है, जो 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना के साथ खड़ा था। इसे देशद्रोही गतिविधियों और बांग्लादेशी स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। शेख हसीना की सरकार ने इसे आतंकवाद से जोड़कर प्रतिबंधित कर दिया था। हालाँकि शेख हसीना सरकार के पतन के बाद इस पर से युनुस सरकार ने बैन हटा लिया, जिसके बाद से ये पूरे बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं और आवामी लीग से जुड़े लोगों को निशाना बना रही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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