Saturday, July 12, 2025
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बांग्लादेश में यूनुस सरकार ने गिराया हिन्दू मंदिर, इस्लामी भीड़ पहले से दे रही थी तोड़ने की धमकी: भारत ने लताड़ा, कहा- मूर्तियाँ तो दूसरी जगह रख देते

मंदिर गिराए जाने के दौरान मूर्तियाँ, पूजा सामग्री और अन्य धार्मिक वस्तुएँ भी नष्ट हो गई। देवी काली और भगवान शिव की मूर्तियाँ बुलडोजर के नीचे आकर टुकड़े-टुकड़े हो गई। यह मंदिर करीब 50 साल से अधिक समय से दुर्गा पूजा का केंद्र रहा है।

बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की सरकार ने एक हिन्दू मंदिर को जमींदोज कर दिया है। राजधानी ढाका में इस मंदिर को तोड़ने की कोशिश इस्लामी कट्टरपंथी पहले से कर रहे थे। हिन्दू इस तोड़फोड़ का विरोध ना कर पाएँ, इसके लिए बांग्लादेश की फ़ौज भी लगा दी गई थी। भारत ने बांग्लादेश की इस मामले में आलोचना की है।

राजधानी ढाका में गिराया गया यह मंदिर माँ दुर्गा को समर्पित था। इसे बांग्लादेश रेलवे के ढाका डिवीजन के डिप्टी कमिश्नर और डिविजनल एस्टेट ऑफिसर मोहम्मद नासिर उद्दीन महमूद के आदेश पर गिराया गया है। मंदिर गिराने की यह कार्रवाई गुरुवार (26 जून, 2025) को की गई।

मंदिर गिराए जाने के समय बड़ी संख्या में हिंदू पुरुष और महिलाएँ वहाँ मौजूद थे, जो रोते हुए मंदिर को गिरते देख रहे थे। मंदिर को गिराने के लिए ढाका के पूर्वाचल आर्मी कैंप से फ़ौज और पुलिसबल भी बुलाया गया था। यहाँ बुलडोजर भी साथ लाया गया था। विरोध करने वाले हिन्दुओं को फ़ौज ने हटा दिया और मंदिर को तोड़ दिया।

ढाका के खिलखेत सर्वजनीन दुर्गा मंदिर को गिराए जाने से पहले हिंदू समुदाय ने प्रशासन से रथ यात्रा निकालने की अनुमति देने और उसके बाद तोड़फोड़ को कुछ समय के लिए स्थगित करने का अनुरोध किया था। हालाँकि, प्रशासन ने इस अपील को अस्वीकार कर दिया।

गुरुवार को मंदिर गिराए जाने की कार्रवाई में मंदिर की मूर्तियाँ, पूजा सामग्री और अन्य धार्मिक वस्तुएँ भी नष्ट हो गई। देवी काली और भगवान शिव की मूर्तियाँ बुलडोजर के नीचे आकर टुकड़े-टुकड़े हो गई। यह मंदिर करीब 50 साल से अधिक समय से दुर्गा पूजा का केंद्र रहा है। मंदिर में देवी काली की मूर्ति भी थी, जिसकी नियमित पूजा की जाती थी।

यह मंदिर लोहे की नालीदार चादरों से बना एक अस्थायी ढाँचा था और रेलवे की जमीन पर स्थित था, लेकिन बांग्लादेश जैसे इस्लामी देश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के लिए यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल था। इस घटना से पहले, 24 जून, 2025 की रात को एक मुस्लिम भीड़ ने मंदिर पर हमला किया था।

उन्होंने मंदिर को खाली करने के लिए 12 घंटे की धमकी दी थी। इस्लामी भीड़ ने मंदिर को तोड़ने की कोशिश की थी और भक्तों को गालियाँ और जान से मारने की धमकियाँ भी दीं। इसके बाद प्रशासन ने भारी सुरक्षा के बीच मंदिर को गिरा दिया जिससे हिंदू समुदाय में गहरा आक्रोश और दुख है।

मुस्लिम भीड़ ने मंगलवार (24 जून 2025) को हिंदू श्रद्धालुओं को दोपहर 12 बजे तक का अल्टीमेटम दिया और कहा कि अगर उस समय तक मंदिर नहीं हटाया गया, तो वे खुद ही मंदिर को तोड़ देंगे। इस धमकी के बाद, स्थानीय हिंदू नेताओं ने खिलखेत पुलिस से सुरक्षा की माँग की लेकिन प्रशासन ने उनकी कोई मदद नहीं की।

इसके दो दिन बाद, मंदिर को बेदखली के नाम पर अचानक गिरा दिया गया। मोहम्मद यूनुस के मातहत बांग्लादेश रेलवे विभाग ने कहा कि यह कार्रवाई अध्यादेश संख्या 24, 1970 की धारा 5(1) और 5(2) के तहत की गई। उनके अनुसार, यह अभियान कुरील बिश्वा रोड चौराहे से खिलखेत बाजार तक रेलवे की जमीन से ‘अवैध कब्जे हटाने’ के लिए चलाया गया था।

हालांकि, हिंदू समुदाय का कहना है कि यह मंदिर लंबे समय से पूजा स्थल के रूप में इस्तेमाल हो रहा था और इसे अचानक गिराना  भीड़ के दबाव में लिया गया एक अन्यायपूर्ण फैसला था।

प्रशासन का कहना है कि खिलखेत दुर्गा मंदिर रेलवे की सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बना हुआ था, इसलिए उसे हटाया गया। लेकिन हिंदू समुदाय का कहना है कि यह मंदिर लंबे समय से प्रशासन की जानकारी में वहाँ मौजूद था और इसे कभी भी अवैध नहीं माना गया।

मंदिर को जगन्नाथ यात्रा से ठीक पहले गिराया जाना हिंदू समुदाय के लिए और भी दर्दनाक रहा। इस घटना ने पूरे बांग्लादेश में हिंदुओं में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। जहाँ सरकार इसे अतिक्रमण हटाने की सामान्य कार्रवाई बता रही है, वहीं हिंदू समुदाय का मानना है कि यह कदम अल्पसंख्यकों पर हो रहे लगातार अत्याचारों का हिस्सा है।

लोगों ने यह भी सवाल उठाया है कि मूर्तियों को नष्ट करने के बजाय उन्हें सम्मानपूर्वक दूसरी जगह क्यों नहीं स्थानांतरित किया गया। कुछ स्थानीय निवासियों का दावा है कि यह जमीन वास्तव में रेलवे द्वारा मंदिर के लिए दान की गई थी, जिससे यह पूरी कार्रवाई और भी विवादास्पद बन गई है।

भारत ने बांग्लादेश को लताड़ा

ढाका में मंदिर गिराने पर भारत ने बांग्लादेश को लताड़ लगाई है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार (26 जून, 2025) को इस मामले में टिप्पणी की है। उन्होंने कहा, “हम समझते हैं कि कट्टरपंथी खिलखेत, ढाका में दुर्गा मंदिर को ध्वस्त करने के लिए चिल्ला रहे थे। अंतरिम सरकार ने मंदिर को सुरक्षा प्रदान करने के बजाय, इस घटना को अवैध भूमि उपयोग के मामले के रूप में पेश किया और आज मंदिर को ध्वस्त करने की अनुमति दी।”

उन्होंने आगे कहा, “इससे देवता की मूर्ति को नुकसान पहुँचा है, इससे पहले कि उसे स्थानांतरित किया जाता। हम इस बात से दुखी हैं कि बांग्लादेश में ऐसी घटनाएँ बार-बार हो रही हैं। मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूँ कि हिंदुओं, उनकी संपत्तियों और उनके धार्मिक संस्थानों की रक्षा करना बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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