Tuesday, April 22, 2025
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बलोच कूट रहे, तालिबानी घर में घुसकर मार रहे… अपनी ही लगाई आग में जल रहे बेटा पाकिस्तान, अब बाप-बाप (भारत) मत चिल्लाओ

बलूचिस्तान में ट्रेन हाइजैक की घटना ने उसकी फ़ौज की नाकामियों को फिर एक बार दुनिया के सामने रख दिया है। पाक फ़ौज सिर्फ बलूचिस्तान ही नहीं बल्कि वजीरिस्तान, कुर्रम, बाजौर समेत तमाम इलाकों में विद्रोहियों से लड़ने में फेल रही है।

क्वेटा से पेशावर जा रही जाफ़र एक्सप्रेस को हाल ही में बलोच विद्रोहियों ने हाइजैक कर लिया। इसमें 400 से अधिक यात्री सवार थे। इनमें से बड़ी संख्या पाकिस्तान के फौजियों की थी। पाक फ़ौज ने इसके बाद एक ऑपरेशन चालू किया। दावा किया कि 24 घंटे के भीतर ऑपरेशन खत्म हुआ और 33 विद्रोही मारे गए। बलूचिस्तान विद्रोहियों ने इसे नकार दिया और बताया कि उसने 100 से अधिक फौजी मारे और साथ ही उसका कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। दोनों तरफ के दावों के बीच पाक फौज और उसके दावों की असलियत खुल कर सामने आ गई।

सामने आ गई पाक फौज की नाकामी

11 मार्च को हुई बोलान दर्रे में ट्रेन हाइजैक की इस घटना ने फिर से पाक फ़ौज की अक्षमता दुनिया के सामने रख दी। हर कदम पर वह एकदम बेखबर और बिना किसी एक्शन प्लान के नजर आई। उसकी सबसे पहली नाकामी तो तब रही जब बलोच विद्रोहियों ने बिना किसी प्रतिरोध के ट्रेन अगवा कर ली।

उन्होंने एक सुरंग के पास धमाका किया और ट्रेन में मौजूद 400 से अधिक लोगों को बंधक बना लिया। बलोच विद्रोहियों की इस योजना की पाक फ़ौज को भनक तक नहीं लगी। यहाँ तक कि ट्रेन में सवार उसके फौजी वापसी में एक गोली तक नहीं चला पाए।

इसके बाद पाक फौज ने यहाँ ऑपरेशन चालू करने का दावा किया। इसमें पाकिस्तान के विशेष कमांडो तक शामिल हुए। लेकिन इन्हें ट्रेन तक पहुँचने में ही ढेरों समस्याएँ आईं। पाक फ़ौज के दसवें हिस्से के बराबर भी हथियार नहीं रखने वाले बलोच विद्रोहियों ने ट्रेन के पास आने वाले फौजियों को मार गिराया।

फ़ौज ने अपनी नाकामी को छुपाने के लिए पाकिस्तान के मीडिया में कोई भी खबर चलाने पर रोक लगा दी। हालाँकि, इससे उसका झूठ नहीं छुपा। बलोच विद्रोहियों ने बताया कि उसके जवाब के चलते पाक फ़ौज को वापस भागना पड़ा।

पाक फ़ौज ने घटना के तुंरत बाद ही ऑपरेशन चालू किया था। यह उसकी खुद की जमीन पर हुई घटना थी। ना ही कोई बातचीत हो रही थी और ना ही कोई विदेशी मदद बलोच विद्रोही पा रहे थे जो इसको मुक्त करवाने में समस्याएँ आती लेकिन पाक फौज सारी स्थितियाँ अपने पक्ष में होने के बाद भी ऑपरेशन में नाकाम रही और 100 से अधिक जवान मारे गए।

उसकी विफलता के चक्कर में कई गैर बलोची भी मौत के घाट उतार दिए गए। बलोच विद्रोहियों ने स्पष्ट कर दिया है कि ट्रेन उनके ही कब्जे में है और बंधक भी उनके ही पास हैं।

वजीरिस्तान, कुर्रम… तोरखम: सब जगह फेल

पाक फ़ौज को इस घटना के बाद 200 कफ़न इकट्ठा करते अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने देखा। हालाँकि, यह कोई अकेली घटना नहीं है जिसने पाक फ़ौज की नाकामी दिखाई हो।

नवम्बर महीने में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह राज्य के कुर्रम इलाके में शिया और सुन्नियों के बीच जोरदार लड़ाई हुई। इसके चलते एक रास्ता बंद हो गया और 100 से अधिक लोग मारे गए। नवम्बर से लेकर अब तक यह सड़क नहीं खुलवा पाई है। लगातार इस इलाके में हिंसा हो रही है।

खैबर का सिर्फ यही इलाका नहीं बल्कि उत्तरी वजीरिस्तान, बाजौर और कई इलाके पिछले दो दशक से अशांत हैं। खैबर के बड़े हिस्से में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का कब्जा है। यहाँ पाकिस्तान सरकार का हुक्म नहीं चलता।

यहाँ से निकले आतंकी लगातार कराची से लेकर पेशावर तक हमले करते हैं। इनको जवाब देने में पाकिस्तान की फ़ौज विफल है। बड़े नेता अख्तर मेंगल ने स्पष्ट किया है बलूचिस्तान अब पाकिस्तान के हाथ से निकल चुका है। बाकी नेताओं ने भी यही बात दोहराई है।

बलूचिस्तान में कई बार चीन के नागरिकों पर हमले हो चुके हैं। इसके चलते चीन ने अपनी सेना भेजने तक का कदम उठाने का विचार किया था। यह पाक फ़ौज की नाकामी का एक बड़ा उदाहरण था। यहाँ तक कि अब तोरखम जैसे सीमाई इलाकों में अफगानिस्तान तालिबान भी पाक फ़ौज के फौजियों को लगातार मार गिराता है।

इन इलाकों में कई घंटे तक फायरिंग चलती है, इन सब पर भी सेना रोक नहीं लगा पाती।

छद्म युद्ध ही लड़ सकती है पाक फ़ौज

बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वाह और सिंध के इलाकों में पाक फौज की नाकामी यह दिखाती है कि वह वर्तमान में कोई सीधी लड़ाई लड़ने में सक्षम नहीं है। वह केवल और केवल भाड़े के आतंकी तैयार कर छद्म युद्ध लड़ सकती है। भारत से भी 1948, 1965 और 1971 के तीन सीधे युद्ध में पाकिस्तान करारी हार झेल चुका है।

1999 में पाकिस्तान ने अपने किराए के आतंकियों और फौजियों को चुपके से कारगिल में भेजा लेकिन यहाँ भी उसे मुंह की खानी पड़ी। इन सब में फेल होने के चलते वह पंजाब और कश्मीर को सुलगाने का प्रयास करती आई है। इस काम में पाक फ़ौज का साथ उसकी खुफिया एजेंसी ISI देती ही।

पाकिस्तान ने सबसे पहले पंजाब में खालिस्तान आंदोलन को सहायता दी। जब भारत ने इसे कुचल दिया तो वह कश्मीर में इस्लामी जिहाद चलाने लगा। अब कश्मीर में भी आतंकी अपनी अंतिम सांसे गिन रहें हैं। पाकिस्तान ने इन सब के बीच SIMI, हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठनों को भी सहायता दी।

इन सबमें वह फेल हो गया। पाकिस्तान की फ़ौज केवल निर्दोष लोगों पर ही अपना दमखम दिखा सकती है। चाहे वह बांग्लादेश हो या वर्तमान में बलूचिस्तान। उसका जोर निर्दोष, महिलाओं और बच्चों पर चलता है। परमाणु क्षमता वाला मुल्क सीधी लड़ाई में किसी से नहीं जीत सकता।

उसकी असलियत ना खुल जाए, इसीलिए उसने हर बार पाकिस्तान में लोकतंत्र का विरोध किया है। 1947 में पाकिस्तान बनने से लेकर अब तक आधे समय पाकिस्तान में फ़ौज का शासन रहा है। बाकी समय भी उसी कि कठपुतली की तरह नेता काम करते आए हैं।

पाकिस्तान में फ़ौज जब नवाज शरीफ को चाहती है तो उन्हें प्रधानमंत्री बनाती है। जब नवाज शरीफ ने अपने दम पर काम करने की कोशिश की तो उन्हें चलता किया गया। पकिस्तान में फ़ौज ने इमरान खान को खड़ा किया लेकिन वह भी जब फ़ौज के खिलाफ हो गए तो उनको भी हटा दिया गया। यह क्रम लगातार चलता आया है।

अपनी नाकामी को भारत के पाले में डाल रहा पाकिस्तान

बलूचिस्तान में ट्रेन हाइजैक की इस घटना में अपनी नाकामी छुपाने के लिए पाक फ़ौज और सरकार ने भारत का नाम लिया है। हमले के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत उनके मुल्क में आतंक फ़ैलाने की कोशिश करता आया है और अब भी कर रहा है। पाकिस्तान ने इसके बाद दावा किया कि जाफ़र एक्सप्रेस पर हमला अफगानिस्तान से करवाया गया था।

अपनी जिम्मेदारी से बचने और नाकामी छुपाने की पाकिस्तान की यह पुरानी चाल है। भारत ने स्पष्ट रूप से उसके आरोपों को नकार दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा, “हम पाकिस्तान के निराधारआरोपों को खारिज करते हैं। पूरी दुनिया जानती है कि आतंकवाद का केन्द्र कहाँ है।”

भारत ने कहा है कि पाकिस्तान को अपनी आंतरिक समस्याओं और असफलताओं के लिए दूसरों पर उंगली उठाने और दोष मढ़ने के बजाय अपने अंदर झाँकना चाहिए। अफगानिस्तान ने भी पाकिस्तान के इन आरोपों को नकार दिया। असल बात यह है कि भारत और अफगानिस्तान का नाम पाकिस्तान ने खुद को बचाने के लिए ही घसीटा था।

उसकी सच्चाई सबको पता है। भारत पर आतंक का आरोप लगाने वाला पाकिस्तान अब भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आता। एक ताजा रिपोर्ट बताती है कि वर्तमान में जम्मू कश्मीर में 60 विदेशी आतंकी एक्टिव हैं जो पाकिस्तानी हैं। बाकी कश्मीरी युवाओं को भी ट्रेनिंग और हथियार पाकिस्तान ने ही दिए हैं।

पाकिस्तान को अगर सही में आतंक से मुक्त होना है तो उसे अमेरिका की विदेश मंत्री के उस बयान को याद करना पड़ेगा, जिसमें उन्होंने कहा था, “आप अपने घर के पिछवाड़े में सांप पाल कर यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वे केवल आपके पड़ोसियों को ही काटेंगे। अंततः वे साँप आप पर भी हमला करेंगे।”

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अर्पित त्रिपाठी
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अवध से बाहर निकला यात्री...

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