पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की फौज को भी भारतीय सेनाओं ने बुरी तरह धूल चटाई। भारत ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस तक तबाह कर दिए। इन सबके बीच पाकिस्तान को अपनी इज्जत बचाना मुश्किल हो गया।
इस काम के लिए पाकिस्तान ने अपने फौज के अधिकारी अहमद शरीफ चौधरी को लगाया। चौधरी DG ISPR है, जो कि पाक फौज का आधिकारिक प्रवक्ता होता है। चौधरी एक ग्लोबल आतंकी का बेटा भी है और इस्लामी कट्टरपंथी है।
भारत के ऑपरेशन सिंदूर के खिलाफ अपने जवाबी ऑपरेशन का नाम पाकिस्तानी फ़ौज ने कुरान की आयत के नाम पर ‘ऑपरेशन बनयान-उन-मर्सूस’ रखा था। इसका मतलब है अभेद्य दीवार। 11 मई, 2025 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, एक पाकिस्तानी पत्रकार ने DG ISPR से पूछा कि कुरान की आयत के नाम अभियान का नाम रखने का ख्याल किसका था।
"Jihad. That's what drives us. That's our motto."
— Sensei Kraken Zero (@YearOfTheKraken) May 12, 2025
DG ISPR during the press conference yesterday.
How has this not received more attention??? pic.twitter.com/5evIyt4FLy
इसके जवाब में अहमद शरीफ ने कहा कि ईमान, तक़वा, जिहाद फ़ि-सबिलिल्लाह पाकिस्तानी सेना का आदर्श वाक्य है। ईमान का मतलब है आस्था, तक़वा का मतलब है अल्लाह से डरना और जिहाद फ़ि-सबिलिल्लाह का मतलब है अल्लाह के बताए रास्ते पर लड़ना।
चौधरी ने कहा, “इस्लाम न केवल हमारे मजहबी विश्वास का हिस्सा है, बल्कि यह हमारे ट्रेनिंग का भी हिस्सा है। ईमान, तक़वा, जिहाद फ़ि-सबीलिल्लाह, यही हमें लड़ने के लिए प्रेरित करता है और यही हमारा आदर्श वाक्य है।”
चौधरी ने आगे कहा कि मोमिन जो अल्लाह की लड़ाई में लड़ते हैं वे उस स्टील की दीवार की तरह हैं जैसे हमने एक स्टील की दीवार की तरह काम किया। किसी इस्लामी आतंकी संगठन के सरगना की तरह चौधरी का बातें करना किसी को आश्चर्य में नहीं डाल गया। दरअसल, वह खुद ही एक आतंकी का बेटा है।
उसके बाप का नाम सुल्तान बशीरुद्दीन महमूद था। महमूद आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन का सहयोगी था। उसका नाम संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधों की सूची में था। चौधरी का बाप भी जिंदगी भर काफिरों के खिलाफ ‘जिहाद’ करने में जुटा रहा था।
महमूद पाकिस्तान के परमाणु प्रोग्राम का हिस्सा था और इस्लामी आतंकी भी था। अमेरिका ने अपनी जाँच में पाया था कि महमूद ने उम्माह तामीर ए-नौ (यूटीएन) की सह-स्थापना की थी। उसने अल-कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन से मुलाकात की थी और उसे केमिकल, बायोलॉजिकल और परमाणु हथियारों के बारे में जानकारी दी थी।
9/11 के हमलों के बाद अहमद शरीफ चौधरी के अब्बू को दिसंबर 2001 में UNSC द्वारा आधिकारिक रूप से आतंकवादी के रूप में पंजीकृत किया गया था। UNSC की प्रतिबंध समिति ने महमूद को ओसामा बिन लादेन, अल-कायदा और तालिबान के साथ मिलकर हथियारों की आपूर्ति करने को लेकर प्रतिबंधित किया था।
चौधरी का बाप महमूद अल कायदा और तालिबान जैसे इस्लामी आतंकी संगठनों को परमाणु बम से लैस करना चाहता था। अब उसका बेटा भी उसी जिहादी काम को आगे बढ़ाना चाहता है लेकिन इसके लिए उसने पाकिस्तान की फ़ौज की वर्दी पहन ली है।
चौधरी का जिहाद के प्रति समर्पण उसके हाफिज अब्दुल रऊफ को ‘पारिवारिक आदमी’ और ‘मौलाना’ बताने से ही साफ़ हो जाता है। रऊफ असल में एक आतंकी है और उस पर भी सैक्शन लगाए गए हैं। चौधरी की इस परिभाषा के हिसाब से ओसामा और उसका बाप भी मासूम होने चाहिए।