#KeirStarmer in India for two days: UK PM lands in #Mumbai; will meet PM Modi to discuss #India–#UK ties
— The Times Of India (@timesofindia) October 8, 2025
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ऐतिहासिक व्यापार समझौते ने स्टारमर की यात्रा को दिशा दी
इस वर्ष जुलाई में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्टारमर की उपस्थिति में लंदन में ऐतिहासिक भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किए गए। ब्रिटिश सरकार के अनुसार, यह समझौता ‘भारत के साथ अब तक का सबसे अच्छा समझौता’ है, और यह ब्रिटिश उत्पादों पर भारत के औसत टैरिफ को 15 प्रतिशत से घटाकर 3 प्रतिशत कर देता है।
भारत को ब्रिटिश निर्यात में लगभग 60% की वृद्धि का अनुमान है, और द्विपक्षीय व्यापार में सालाना 25.5 अरब पाउंड यानी ₹3,041.69 करोड़ की वृद्धि होने की उम्मीद है। इस समझौते से ब्रिटेन के सकल घरेलू उत्पाद में प्रति वर्ष 4.8 अरब पाउंड यानी 5,950 करोड़ रुपये की वृद्धि, मजदूरी में 2.2 अरब पाउंड यानी 22,000 करोड़ रुपए से अधिक की वृद्धि होगी और पूरे ब्रिटेन में रोजगार सृजन होगा।
इस समझौते के सबसे बड़े लाभार्थियों में व्हिस्की उत्पादक शामिल हैं। टैरिफ को तुरंत 150% से घटाकर 75% कर दिया गया है। इसके अलावा, अगले दशक में यह घटकर 40% रह जाएगा, जिससे ब्रिटेन को भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धियों पर महत्वपूर्ण बढ़त मिलेगी।
क्या है भारत-यूके विजन 2035
विजन 2035 का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाना और रोजगार के नए अवसर तलाशना है। दोनों देशों ने मिलकर संयुक्त आर्थिक और व्यापार समिति का गठन किया है, जो इस पर नजर रखेगी और द्विपक्षीय निवेश संधि को आगे बढ़ाएगी। भारत और ब्रिटेन के बीच जुलाई 2025 में हुए समझौते के तहत ब्रिटेन और भारत के करीब 99 फीसदी सामानों को आयात शुक्ल फ्री कर दिया है। जिसका असर भारत के 45 फीसदी निर्यात पर पड़ेगा। इसमें टेक्सटाइल, जूते, समुद्री खाद्य पदार्थ और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
दूसरी ओर भारत ब्रिटेन के 92 फीसदी वस्तुओं पर टैरिफ या तो खत्म कर देगा या न्यूनतम करेगा। इसका सबसे ज्यादा असर ब्रिटिश कार, शराब उद्योग और तकनीक पर पड़ेगा। भारत में स्कॉच व्हिस्की पर शुल्क 150 फीसदी से घटाकर 75 फीसदी कर दिया गया है और अगले दस वर्षों में इसे 40 फीसदी तक कम किया जाएगा। ब्रिटिश इलेक्ट्रिक वाहनों पर भारत टैरिफ खत्म कर देगा।
दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2023–24 में 21.34 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी 1894.59 करोड़ रुपए तक पहुँच गया। वहीं वर्ष 2024–25 में भारत का ब्रिटेन के बीच निर्यात 12.6% बढ़कर 14.5 बिलियन डॉलर यानी 1,287.41 करोड़ रुपए हो गया। वहीं ब्रिटेन से आयात 2.3% बढ़कर 8.6 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है।
तकनीक और इनोवेशन के क्षेत्र में दोनों देश आपस में साझेदारी करेंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग, दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में मिलकर काम करेंगे। भारतीय आईटी कंपनियों को इससे काफी फायदा होगा। उन्हें नया बाजार मिलेगा। इंजीनियरिंग, वास्तुकला और हॉस्पिटैलिटी जैसे क्षेत्रों में वीजा प्रक्रिया सरल बनाया जाएगा।
भारत-ब्रिटेन टेक्नोलॉजी सिक्योरिटी इनिशिएटिव यानी टीएसआई की शुरुआत 2024 में कर दी गई है। एआई, सेमीकंडक्टर्स और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग भी शुरू हो गया है।
डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन के तहत भारतीय प्रोफेशनल्स और निवेशकों को ब्रिटेन में सामाजिक योगदान को देखते हुए 3 साल की छूट दी जाएगी।इससे भारतीयों को काफी फायदा होगा।
रक्षा क्षेत्र में सहयोग– भारत और ब्रिटेन 2035 तक रक्षा औद्योगिक रोडमैप तैयार कर लेंगे। इनमें जेट इंजन तकनीक, ऊर्जा और समुद्र में सुरक्षा के लिए आधुनिकतम हथियारों के निर्माण में साझेदारी और शोध अहम है।
हिन्द महासागर में ब्रिटेन के जहाज रसद के लिए भी भारत पर निर्भर रहेगा। समुद्री सुरक्षा के लिए क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा उत्कृष्टता केन्द्र बनाया जाएगा।
जलवायु परिवर्तन पर मिलकर करेंगे काम– जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत-ब्रिटेन मिल कर काम करेंगे। जलवायु साझेदारी जो स्वच्छ ऊर्जा में तेजी लाने, बड़े पैमाने पर जलवायु वित्त जुटाने और लचीलेपन को मजबूत करने पर केंद्रित है। आपदा रोकने के लिए सिस्टम तैयार करेंगे। सौर ऊर्जा के अधिकतम इस्तेमाल पर काम करेंगे। पर्यावरण को बचाने के लिए विश्वस्तर पर काम करेंगे।
शिक्षा के क्षेत्र में काम– ब्रिटेन के नामी-गिरामी विश्वविद्यालयों के कैंपस भारत में खुलेंगे ताकि भारतीय छात्रों को विश्वस्तरीय शिक्षा मिल सके। योग्यता को मान्यता देंगे
लोगों को रोजगार मिलेगा
भारत- ब्रिटेन के बीच व्यापारिक समझौते का फायदा एमएसएमई और कृषि क्षेत्र का भी मिलेगा। इससे भारत में रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा। खासकर महिलाओं, नौजवानों को इससे फायदा होगा। कृषि उत्पादों जैसे अन्न,खाद्य तेल, समुद्री खाद्य पदार्थ के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
भारत- ब्रिटेन के बीच सीईटीए समझौते का लक्ष्य 2030 तक भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करना है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार करीब 112 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है। इस समझौते के तहत साल 2040 तक ब्रिटेन में भारत का निर्यात 60 फीसदी तक बढ़ सकता है।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी दोनों देशों ने मिलकर काम किया है। खासकर कोविड-19 महामारी के दौरान एस्ट्राज़ेनेका–सीरम इंस्टीट्यूट के वैक्सीन के निर्माण में दोनों देश सामने आए। ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) में 60,000 से अधिक भारतीय अभी भी काम कर रहे हैं। ब्रिटेन में 1.86 मिलियन भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जो विज्ञान, कला, व्यापार और राजनीति में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन, आईएफएफ और विश्व बैंक जैसे संस्थानों में सुधार का समर्थन करेंगे। ताकि दुनिया में इनकी विश्वसनीयता को बढ़ावा मिले।


