Tuesday, October 15, 2024
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36 साल की HIV+ महिला, शरीर में 216 दिनों तक रहा कोरोना; 32 बार हुआ म्यूटेशन

शोधकर्ताओं का कहना है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि महिला से ये म्यूटेशन किसी और में गए या नहीं।

दक्षिण अफ्रीका में कोरोना संक्रमण का एक और घातक रूप देखने को मिला है। शोधकर्ताओं ने एक 36 वर्षीय HIV संक्रमित महिला की जाँच में पाया कि उसके शरीर में कोरोना 216 दिनों तक टिका रहा और इस दौरान वायरस के 32 म्यूटेशन हुए।

इस केस पर रिपोर्ट मेडिकल जर्नल medRxiv में प्रिंट हुई। रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2006 में पहली बार महिला को खुद के एचआइवी पीड़ित होने का पता चला था। इसके बाद समय के साथ उसका इम्यून सिस्टम कमजोर होता गया। पिछले साल सितंबर में जब वह कोरोना की चपेट में आई तो वायरस ने स्पाइक प्रोटीन में 13 म्यूटेशन और 19 अन्य आनुवांशिक बदलाव किए जो वायरस के बिहेवियर को बदल सकते थे।

इनमें कुछ खतरनाक वैरिएंट भी शामिल हैं। जैसे- E484K म्यूटेशन जो अल्फा वैरिएंट बी.1.1.7 (पहली बार ब्रिटेन में देखा गया) का हिस्सा है और N510Y म्यूटेशन जो बीटा वैरिएंट बी.1.351 (पहली बार दक्षिण अफ्रीका में देखा गया) का हिस्सा है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि महिला से ये म्यूटेशन किसी और में गए या नहीं। लेकिन वह इस बात पर अनुमान लगाते हैं कि ये कोई संयोग नहीं है कि नए वैरिएंट ज्यादातर दक्षिण अफ्रिका के क्वा जुलु नटाल जैसे इलाकों में उभरे जहाँ प्रत्येक 4 वयस्कों में से एक HIV पॉजिटिव है।

मालूम हो कि भले ही इस बात के बहुत कम सबूत हैं कि HIV संक्रमित लोगों में कोरोना संक्रमण की आशंका ज्यादा है और इस वायरस के कारण गंभीर चिकित्सकीय जटिलताएँ विकसित हो रही हैं। फिर भी शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसे और अधिक मामले पाए गए तो एडवांस HIV से पीड़ित मरीज पूरी दुनिया के लिए वैरिएंट्स की फैक्ट्री बन सकते हैं।

इस अध्ययन के लेखक और डरबन की यूनिवर्सिटी ऑफ जुलु नटाल में आनुवांशिक विज्ञानी (geneticist) टूलियो डी ओलिवेरा ने एलए टाइम्स को बताया कि कमजोर इम्युनिटी वाले मरीजों में कोरोना वायरस का संक्रमण अन्य लोगों की तुलना में अधिक समय तक रह सकता है।

संक्रमित महिला के बारे में लेखक ने कहा कि उसमें शुरुआती दौर में हल्के लक्षण ही दिखे थे। उनके अनुसार अगर ऐसे और मामले मिलते हैं तो यह HIV इन्फेक्शन नए वेरिएंट का सोर्स हो सकता है।

बता दें कि उक्त महिला का मामला तब प्रकाश में आया जब वह 300 HIV पॉजिटिव लोगों पर की गई स्टडी में शामिल हुईं। ऐसे मरीजों में वायरस लंबे वक्त तक रहता है जिससे उसे म्यूटेट होने का मौका मिलता है। टूलियो डि ओलिवीरा ने बताया कि इलाज के बाद भी वायरस महिला के अंदर मौजूद था।

उल्लेखनीय है कि अगर आगे की स्टडीज में एचआइवी मरीजों में म्यूटेशन और कोरोना वायरस के फैलाव के बीच कोई मजबूत संबंध मिला, तो यह भारत के लिए चिंता का विषय होगा, क्योंकि यहाँ एचआइवी के ऐसे करीब 10 लाख संक्रमित हैं जिन्हें इलाज नहीं मिला है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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