Friday, January 24, 2025
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3 बच्चियों के हत्यारे को 52 साल की जेल, अल-कायदा से सीखा हत्या का तरीका… इंग्लिश कोर्ट ने फिर भी नहीं माना ‘मजहबी मकसद’

तीन मासूम बच्चियों की चाकू से गोदकर हत्या करने वाले एक्सल रुदाकुबाना को 52 साल की जेल की सजा सुनाई गई है। उसके हमले में 3 बच्चियों की मौत हो गई थी, तो 10 लोग घायल हो गए थे, जिसमें 8 बच्चे थे

ब्रिटेन के साउथपोर्ट में टेलर स्विफ्ट-थीम पर आधारित डांस क्लास में तीन मासूम बच्चियों की चाकू से गोदकर हत्या करने वाले एक्सल रुदाकुबाना को 52 साल की जेल की सजा सुनाई गई है। उसके हमले में 3 बच्चियों की मौत हो गई थी, तो 10 लोग घायल हो गए थे, जिसमें 8 बच्चे थे। हैरानी की बात है कि उसके पास अलकायदा का ‘चाकू से सार्वजनिक जगहों पर कैसे हमला करें’ जैसा ट्रेनिंग मैनुअल भी मिला था, इसके बावजूद उसकी करतूत को न तो आतंकी कृत्य माना गया और न ही उसके खिलाफ आतंकवादी के तौर पर केस चला।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 18 वर्षीय आरोपित एक्सल रुदाकुबाना को गुरुवार (23 जनवरी 2024) को अदालत ने सजा सुनाई। जज ने कहा कि उसने निर्दोष और खुशहाल बच्चों का नरसंहार करने का प्रयास किया था। अपराध के समय आरोपित 17 साल का था। उसने छह साल की बेबे किंग, सात साल की एल्सी डॉट स्टैनकॉम्ब और नौ साल की ऐलिस दा सिल्वा अगुइआर की हत्या कर दी थी। इसके अलावा उसने आठ अन्य बच्चों और दो वयस्क लोगों को घायल किया। जज ने सजा सुनाते हुए कहा कि रुदाकुबाना को कम से कम 52 साल जेल में रहना होगा और हो सकता है कि वह कभी जेल से बाहर न आ सके।

ब्रिटेन के क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस ने सजा के बाद बयान जारी करते हुए कहा, “एक्सल रुदाकुबाना को एल्सी डॉट स्टैनकॉम्ब, बेबे किंग और ऐलिस दा सिल्वा अगुइआर की हत्या और 10 अन्य लोगों की हत्या की कोशिश के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। यह हमला 29 जुलाई 2024 को साउथपोर्ट में हुआ था।” इस हमले के बाद ब्रिटेन में अफवाह फैल गई थी कि प्रवासी व्यक्ति ने ‘शरण (Asylum)’ न देने की वजह से ये हमला किया, जिसके बाद पूरे ब्रिटेन में वैध-अवैध प्रवासियों के खिलाफ लोगों का गुस्सा भड़क उठा था और कई जगहों पर हिंसा भी हुई थी। ऑपइंडिया ने हिंसा पर रिपोर्ट भी प्रकाशित की थी।

बेबे किंग, एल्सी डॉट स्टैनकॉम्ब और ऐलिस दा सिल्वा अगुइआर की हुई थी हत्या (फोटो साभार : Merseyside Police, UK)

सोमवार (20 जनवरी 2025) को रुदाकुबाना ने अपना अपराध स्वीकार किया और 10 हत्या के प्रयास, राइसिन तैयार करने और अल-कायदा ट्रेनिंग मैनुअल रखने के आरोपों में दोषी ठहराया गया। हालाँकि, अभियोजन पक्ष ने जोर देकर कहा कि उसके कृत्य का कोई राजनीतिक या धार्मिक मकसद नहीं था। उनका कहना था कि वह हिंसा और नरसंहार को लेकर जुनूनी था। अदालत में पेशी के दौरान आरोपित ने बार-बार हंगामा किया, जिसके चलते उसे कोर्टरूम से हटा दिया गया।

रवांडा मूल के माता-पिता ईसाई

रुदाकुबाना का जन्म कार्डिफ में रवांडा के ईसाई माता-पिता के घर हुआ था। हालाँकि, उसके अपराधों के पीछे का मकसद अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। घटना से पहले अधिकारियों को उसकी हिंसक प्रवृत्तियों की जानकारी दी गई थी। घटना के बाद ब्रिटिश सरकार ने इस मामले में सार्वजनिक जाँच का आदेश दिया है, ताकि इस मामले से जुड़े अहम सवालों का जवाब मिल सके।

हालाँकि अह अभियोजन पक्ष द्वारा अपराध को ‘मजहबी मकसद’ से अलग बताने के प्रयास पर सवाल उठ रहे हैं। लिवरपूल मुस्लिम काउंसिल के नेता तौहीद इस्लाम ने एक इंटरव्यू के दौरान इस मामले को ‘महिलाओं के खिलाफ अपराध’ बताते हुए इसे मजहबी चरमपंथ से जोड़ने की बात को नकारने की कोशिश की, जबकि साफ तौर पर उसके पास से अल-कायदा का ट्रेनिंग मैनुअल मिला था और वो खून बहाने को लिए ‘ऑबसेस्ड’ था। ब्रिटेन की मर्सीसाइड पुलिस ने पीड़ित बच्चों को श्रद्धांजलि अर्पित की है।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने इसे देश के सबसे भयावह मामलों में से एक बताया और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा, “हम इन मासूम बच्चियों और प्रभावित परिवारों के लिए वह बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसके वे हकदार हैं।”

इस मामले को लेकर साउथपोर्ट के सांसद ने सजा की समीक्षा की माँग की है। रिपोर्ट्स के अनुसार, रुदाकुबाना ने न तो अपने अपराध पर कोई पछतावा जताया और न ही अदालत की कार्यवाही में सहयोग किया। वह बार-बार मेडिकल सहायता की माँग को लेकर हंगामा करता रहा, जबकि उसे बताया गया था कि उसका इलाज किया जा चुका है। आखिरकार जज ने उसे कोर्टरूम से हटाने का आदेश दे दिया और उसकी गैर-मौजूदगी में सजा सुनाई।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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