Sunday, November 3, 2024
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3 एटमी ताकत, 28% GDP, 44% जनसंख्या… 15 साल में ही दुनिया की एक धुरी बन गया BRICS, जानिए इसकी करेंसी आई तो क्या होगा बदलाव

BRICS दुनिया के महत्वपूर्ण 9 देशों का एक संगठन है। इसमें भारत, रूस, ब्राजील, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, UAE और ईरान सदस्य हैं। यह संगठन पश्चिमी देशों के संगठन G-7 का प्रभाव कम करने और विश्व की बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं को साथ लाने के उद्देश्य से बनाया गया था। इसकी स्थापना 2009 में हुई थी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रूस के कजान शहर में BRICS के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने गए हुए हैं। यहाँ वह BRICS बैठक के साथ चीन समेत अन्य कई देशों के प्रमुखों से मुलाकर कर रहे हैं। BRICS की यह बैठक कई मायनों में महत्वपूर्ण है। इस बैठक में इसके सदस्य देशों के अलावा अन्य कई देश भी शामिल हो रहे हैं।

पीएम मोदी ने BRICS की शिखर बैठक में आतंक समेत तमाम मुद्दों की बात की। उन्होंने यहाँ कहा कि दुनिया में आंतक को लेकर कोई दोहरे मानक नहीं होने चाहिए। उन्होंने यहाँ संयुक्त राष्ट्र (UN) समेत तमाम बहुराष्ट्रीय संगठनों में सुधार किए जाने की माँग की है। पीएम मोदी ने इससे पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी की।

BRICS की यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ऐसे समय पर हो रही है, जब इसके तीन प्रमुख सदस्य चीन, भारत और रूस तथा पश्चिमी देशों के बीच दूरियाँ बढ़ रही हैं। बांग्लादेश में हुई हालिया घटनाओं और अमेरिका के खालिस्तानी पन्नू की हत्या साजिश मामले में भारत पर दबाव बनाना भी उसे चीन तथा रूस के निकट ले जा रहा है।

क्या है BRICS?

BRICS दुनिया के महत्वपूर्ण 9 देशों का एक संगठन है। इसमें भारत, रूस, ब्राजील, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, UAE और ईरान सदस्य हैं। यह संगठन पश्चिमी देशों के संगठन G-7 का प्रभाव कम करने और विश्व की बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं को साथ लाने के उद्देश्य से बनाया गया था। इसकी स्थापना 2009 में हुई थी।

2009 में इसकी स्थापना के समय इसमें भारत, रूस, चीन और ब्राजील ही सदस्य थे लेकिन इसके बाद इसमें दक्षिण अफ्रीका जुड़ गया और यहीं से इसका BRICS हो गया। 2024 में इस संगठन में नए 6 सदस्य जोड़ लिए गए। सऊदी अरब को छोड़ कर बाकी देश अब इसमें आधिकारिक रूप से हिस्सा ले चुके हैं।

BRICS की बैठकें हर साल होती हैं। रूस के कजान शहर में इसका 16वाँ शिखर सम्मेलन हो रहा है। हर साल इसके सदस्य देशों के नेता इसकी मेजबानी वाले देश में इकट्ठा होते हैं। इन बैठकों में आर्थिक-सामाजिक सहयोग समेत वैश्विक मुद्दों पर निर्णय लिए जाते हैं।

BRICS की मेजबानी हर साल इसके सदस्य देशों को दी जाती रहती है। 2023 में यह मेजबानी दक्षिण अफ्रीका ने की थी। 2024 की मेजबानी रूस को मिली है। रूस ने इसका आयोजन कजान शहर में किया है। कजान में 28 देश इस BRICS बैठक में शामिल हुए हैं। BRICS में जुड़ने के लिए लगभग 40 देश अपनी रूचि दिखा चुके हैं।

कितना महत्वपूर्ण है BRICS?

वैश्विक लिहाज से BRICS काफी महत्वपूर्ण संगठन है। विश्व की लगभग 44% जनसंख्या इसके सदस्य देशों में निवास करती है। इसके अलावा BRICS में शामिल देश विश्व की अर्थव्यवस्था में 28% की हिस्सेदारी रखते हैं। यह देश विश्व के लगभग 30% भूभाग पर फैले हुए हैं।

इसके अलावा, BRICS में भारत और चीन के रूप में बड़े बाजार और सबसे तेजी से बढ़ने वाली दो अर्थव्यवस्थाएँ हैं। साथ ही इसके सभी सदस्यों में तीन परमाणु हथियार वाले देश हैं। विश्व की पाँच बड़ी सेनाओं में तीन बड़ी सेनाओं वाले देश BRICS में हैं। BRICS का विस्तार भी विश्व के सभी महाद्वीपों में है, ऐसे में प्रतिनिधित्व की चिंताएँ नहीं है।

कुल मिलाकर देखा जाए तो BRICS, पश्चिमी देशों के समानांतर सबसे बड़ा समूह है और उतना ही प्रभावशाली भी है। इसके अलावा इसका लगातार विस्तार हो रहा है, इस कारण से यह और शक्तिशाली होता जा रहा है। BRICS में ग्लोबल साउथ की माँगों को भी बल मिला है। जैसे-जैसे BRICS के सदस्य देश आर्थिक रूप से मजबूत बनते जाएँगे, इसका प्रभाव और बढ़ेगा।

BRICS करेंसी क्या है?

पश्चिमी देशों की दादागिरी को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया यह समूह अब सहयोग के नए तरीके तलाश रहा है। वर्तमान में रूस को छोड़ कर BRICS में शामिल देश अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए SWIFT सिस्टम इस्तेमाल करते हैं। यह सिस्टम पश्चिमी देशों के नियंत्रण में है।

अपनी मनमानी से अंतरराष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित करने और दबाव डालने की नीति से पश्चिमी देश SWIFT और ऐसी व्यवस्थाओं का उपयोग करने से रोक सकते हैं। वर्तमान में पश्चिमी देशों ने रूस के अरबों डॉलर इसी इन्हीं देशों ने दबा रखे हैं। ऐसे में BRICS देश अपनी एक समानांतर व्यवस्था बनाने पर भी विचार कर रहे हैं।

ब्राजील और रूस इन देशों के बीच एक कॉमन करेंसी के उपयोग की बात कर चुके हैं। भारत और चीन, रूस से पहले ही अपनी स्थानीय मुद्राओं में व्यापार कर रहे हैं। भारत और रूस आपस में तेल का व्यापार इसी तरीके से हो रहा है। इस तरीके से व्यापार ककरे इन देशों ने पश्चिमी देशों की व्यवस्थाओं को दरकिनार किया है।

पीएम मोदी ने 2024 कजान समिट में इसका समर्थन भी किया है। ऐसे में यदि सभी देश किसी एक करेंसी में व्यापार करने को राजी होते हैं तो यह पश्चिमी देशों के लिए बड़ा झटका होगी। ऐसे में यह देश डॉलर के एकाधिकार को भी चुनौती दे सकेंगे।

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