Saturday, July 27, 2024
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‘मोदी की वजह से पुजारी ने किया आत्मदाह’: आजतक ने राजस्थान में पुजारी की हत्या को बताया आत्महत्या

इंडिया टुडे समूह के स्वामित्व वाले हिंदी समाचार चैनल 'आजतक' ने हत्या के लिए राजस्थान राज्य सरकार की जगह पीएम मोदी और केंद्र सरकार को दोषी ठहराया और उनके खिलाफ जहर उगलने का काम किया है।

राजस्थान के करौली स्थित बूकना गाँव में जमीन विवाद को लेकर गत बुधवार को पाँच व्यक्तियों द्वारा एक पुजारी को ज़िंदा जला कर मार दिया गया था। इस घटना के बाद पुजारी के परिवार सहित हजारों लोग राजस्थान में अशोक गहलोत की अगुवाई वाली कॉन्ग्रेस सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लोग राज्य सरकार से परिजनों के लिए मुआवजे और अपराधियों के खिलाफ सख्त और त्वरित कार्रवाई की माँग कर रहे हैं।

वहीं, दूसरी ओर इस घटना को लेकर इंडिया टुडे समूह के स्वामित्व वाले हिंदी समाचार चैनल ‘आजतक’ ने हत्या के लिए राजस्थान राज्य सरकार की जगह पीएम मोदी और केंद्र सरकार को दोषी ठहराया और उनके खिलाफ जहर उगलने का काम किया है। इसके अलावा, समाचार चैनल आजतक ने यह भी निष्कर्ष निकाला है कि मंदिर के पुजारी की हत्या नहीं की गई थी बल्कि उन्होंने आत्मदाह कर खुद को जलाया था।

राजस्थान के करौली गाँव से रिपोर्टिंग करते हुए आजतक संवाददाता पुजारी की झोपड़ी की ओर इशारा करते हुए कहता है कि यह पीएम मोदी की आवास योजना के पीछे का कड़वा सच है।

केंद्र सरकार पर अपना हमला जारी रखते हुए, ‘आजतक’ के रिपोर्टर का कहना है कि झोपड़ी की बदहाल स्थिति की वजह से पुजारी ने ‘आत्मदाह’ किया था। इसके आगे रिपोर्टर कहता है कि यह असंभव लगता है कि पीएम मोदी की आवास योजना के तहत सभी को उचित आवास उपलब्ध कराने का सपना कभी सच होगा।

रिपोर्टर इस पर ही नहीं रुकता। आजतक अपनी इस रिपोर्ट की आड़ में कहीं न कहीं राजस्थान में कॉन्ग्रेस की अगुवाई वाली सरकार को बचाने का प्रयास करते हुए भाजपा और केंद्र सरकार का घेराव कर लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश करता है।

रिपोर्टर ने केंद्र सरकार के कर्तव्यों को लेकर भाजपा नेता राज्यवर्धन राठौर से सवाल किए। आजतक रिपोर्टर ने पूछा, “क्या यह भाजपा और केंद्र सरकार की जिम्मेदारी नहीं है कि वह प्रत्येक नागरिक को उचित घर प्रदान करे।”

इसके बाद रिपोर्टर ने निष्कर्ष भी निकाला कि अगर पुजारी को भाजपा सरकार द्वारा रहने के लिए एक उचित घर मुहैया कराया गया होता, तो आज वह नहीं मरता।

मूल रूप से आजतक का रिपोर्टर अशोक गहलोत सरकार को राज्य में एक क्रूर हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराने के बजाय भाजपा सरकार पर दोष मढ़ने की कोशिश करता है, जिसका पीड़िता के घर की स्थिति से कोई संबंध नहीं है।

आपको बता दें इंडिया टुडे के लिए यह हरकत कोई नई बात नहीं है। मीडिया दिग्गज का नाम हाल ही में टीआरपी घोटाले में भी उजागर हुआ है। जहाँ इंडिया टुडे पर चैनल को देखने के लिए लोगों को रिश्वत देने आरोप लगा है।

गौरतलब है कि आज ही एक हत्या के मामले में लोगों को गुमराह करने की कोशिश की थी। चैनल ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें कहा गया कि एक 18 वर्षीय लड़के को एक ‘महिला’ के साथ उसकी ‘दोस्ती’ के लिए पीटा गया था। मीडिया हाउस ने युगल के बीच प्रेम संबंध को ‘मित्रता’ के रूप में दर्शाया। हालाँकि यह रिपोर्ट एकमात्र उदाहरण नहीं है जहाँ इंडिया टुडे ने एक मुस्लिम लड़की के प्यार में एक हिंदू लड़के की भीषण हत्या को छुपाने का प्रयास किया।

इंडिया टुडे ने अपनी पूरी रिपोर्ट में घटना के विवरणों का विस्तार से वर्णन किया है, दोषियों के खिलाफ लगाए गए आरोप, तनाव कम करने के लिए पड़ोस में पुलिस बल की तैनाती, मृतक के चाचा की गवाही, कारण पीड़ित की मौत, घटना पर पुलिस का बयान आदि।

हालाँकि इन सबके बीच इंडिया टुडे की रिपोर्ट से एक चीज गायब थी- हिंदू लड़के और मुस्लिम लड़की के बीच अंतरधार्मिक प्रेम संबंध का जिक्र। चैनल ने बड़े ही शातिर तरीके से किसी तरह के प्रेम संबंध का उल्लेख न करते हुए इसे दोस्ती करार दिया, ताकि ‘अंतरधार्मिक प्रेम संबंध’ का विवरण देने से आसानी बचा जा सके।

इंडिया टुडे ने अंकित सक्सेना हत्या मामले में भी छिपाया धर्म

फरवरी 2018 में अंकित सक्सेना को उसकी प्रेमिका शहज़ादी के परिवार वालों ने सिर्फ़ इसीलिए मार डाला क्योंकि वो दोनों के रिश्ते से नाराज़ थे। शहज़ादी की माँ ने अपनी स्कूटी से धक्का देकर अंकित को गिराया और फिर शहज़ादी के पिता ने चाक़ू से उनके गले को रेत डाला। तब भी इंडिया टुडे की रिपोर्ट में हत्या पर पर्दा डालने की कोशिश की थी।

ऐसा अक्सर देखा गया है कि जब एक भीषण कृत्य का शिकार बहुसंख्यक समुदाय से होता है और अपराधी अल्पसंख्यक समुदाय से होता है तो इंडिया टुडे जैसे ही मीडिया गिरोह धार्मिक एंगल को दबाने का हरसंभव प्रयास करती है और इसे ‘दोस्ती’ का नाम देती है। हालाँकि जब पीड़ित अल्पसंख्यक समुदाय से होता है और हमला करने वाला बहुसंख्यक समुदाय से, तो माहौल इसके विपरीत होता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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