Wednesday, April 24, 2024
Homeरिपोर्टमीडियापार्था-अर्पिता मामले में ममता बनर्जी को पाक साफ़ साबित करने में जुटा 'इंडिया टुडे'...

पार्था-अर्पिता मामले में ममता बनर्जी को पाक साफ़ साबित करने में जुटा ‘इंडिया टुडे’ का पत्रकार: बंगाल CM पर लिख चुका है किताब, सरकार में मिला था खास पद

इस बीच पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने जयंत घोषाल को 25 जुलाई 2022 को बंग भूषण सम्मान से नवाजा। ये पुरस्कार इंडिया टुडे पर डिबेट में शामिल होने से ठीक तीन पहले दिया गया। बंग भूषण पुरस्कार विभिन्न क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियों को सम्मानित करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा स्थापित एक पुरस्कार है।

पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले के मामले में ‘इंडिया टुडे’ के कंसल्टिंग एडिटर जयंत घोषाल पश्चिम बंगाल सरकार का बचाव किया है। 28 जुलाई ,2022 को चैनल पर एक डिबेट के दौरान इस घोटाले के मामले में घोषाल ने सीएम ममता बनर्जी को डिफेंड करने की कोशिश की। डिबेट के दौरान होस्ट राजदीप सरदेसाई थे और उसी दौरान जयंत घोषाल ने दावा किया कि उन्हें इस बात का पूर्ण विश्वास है कि ममता बनर्जी इस घोटाले से पूरी तरह से अनजान थीं।

अपने दावे को सही ठहराते हुए घोषाल ने कहा, “मैं कल कोलकाता में था और उनसे इस बारे में बात की और समझने की कोशिश की। वो बहुत परेशान थीं। उन्होंने पार्था के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए इसलिए समय लिया क्योंकि वो ये समझना चाहती थीं कि ये क्या हो रहा है।” घोषाल दावा करते हैं कि ममता बनर्जी को इस बात का बिल्कुल भी पता नहीं ता कि आखिर शिक्षक भर्ती घोटाले की आरोपित अर्पिता मुखर्जी कौन है। इस दावे के उलट ऐसी कई तस्वीरें और वीडियो हैं, जो कि कुछ और ही बयाँ करते हैं। वहीं घोषाल के दावों का खंडन करते हुए बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने एक वीडियो दिखाया जिसमें सीएम बनर्जी अर्पिता मुखर्जी की उनके “अच्छे काम” के लिए प्रशंसा कर रही थीं।

कौन हैं जयंत घोषाल?

1962 में जन्मे जयंत घोषाल ने 40 साल से भी अधिक समय से राजनीतिक पत्रकार के रूप में काम किया है। उनका मुख्य जुड़ाव बंगाली समाचार पत्र ‘आनंद बाजार पत्रिका’ से रहा है, जहाँ वे एक पत्रकार के तौर पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा वो इंडिया टीवी, बार्टमैन, एबीपी न्यूज और अन्य के लिए लिखते है। वो ‘इंडिया टुडे समूह’ के लिए सलाहकार संपादक के रूप में भी काम कर रहे हैं।

ममता सरकार के लिए करते हैं पीआर का काम

गौरतलब है कि जयंत घोषाल को टीएमसी चीफ ममता बनर्जी के करीबी माने जाते हैं। ममता सरकार ने सितंबर 2020 में उन्हें सूचना एवं विकास अधिकारी (IDO) बनाया था। आईडीओ के तौर पर उनका मुख्य काम राज्य और केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के बीच संपर्क स्थापित करना था।

पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा 18 सितंबर 2020 को जारी आदेश के अनुसार, राज्य सरकार के लिए पीआर के तौर पर उनकी प्रोफ़ाइल उन्हें अन्य गतिविधियों में शामिल होने से रोकेगी। आदेश में कहा गया है, “जब से वो इस प्रकार के संपर्क, समन्वय और सूचना प्रसार के लिए पश्चिम बंगाल सरकार के लिए काम करते रहेंगे, तब तक को उन्हें अन्य कार्यों की इजाजत नहीं होगी। अगर वो ऐसे कोई भी अन्य कार्य करते हैं तो उन्हें पहले इसके बारे में राज्य सरकार को बताना होगा।”

इस पद के तहत उन्हें प्रधान आवासीय आयुक्त कार्यालय और कोलकाता सूचना केंद्र के ऑफिस में स्थान दिया गया था। 1.5 लाख रुपए की सैलरी के अलावा दिल्ली-कोलकाता-दिल्ली सेक्टर में ड्यूटी पर हवाई यात्रा खर्च जैसे भत्ते भी दिए गए थे। उल्लेखनीय है कि यह पद विशेष रूप से पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा बनाया गया था।

साल 2020 में पीटीआई के पत्रकार सौम्यजीत मजूमदार ने एक ट्वीट में कहा था, “पश्चिम बंगाल सरकार ने सूचना एवं विकास अधिकारी का एक पद सृजित किया है जो राज्य की ओर से केंद्र से संपर्क करेगा। वरिष्ठ पत्रकार जयंत घोषाल को इस पद पर नियुक्त किया गया है।”

ममता ने दिया बंग भूषण सम्मान

इस बीच पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने जयंत घोषाल को 25 जुलाई 2022 को बंग भूषण सम्मान से नवाजा। ये पुरस्कार इंडिया टुडे पर डिबेट में शामिल होने से ठीक तीन पहले दिया गया। बंग भूषण पुरस्कार विभिन्न क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियों को सम्मानित करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा स्थापित एक पुरस्कार है। पुरस्कारों की शुरुआत राज्य सरकार ने 2011 में की थी।

घोषाल ने सीएम बनर्जी पर लिखी किताब

यहीं नहीं घोषाल के ममता बनर्जी का समर्थन करने को इस तरह से समझा जा सकता है कि उन्होंने ममता बनर्जी को लेकर ‘ममता: बियॉन्ड 2021’ नामक एक पुस्तक लिखी है, जो कि फरवरी 2022 में जारी हुई थी। ये किताब पूरी तरह से ममता बनर्जी के इर्द-गिर्द ही घूमती है। इस किताब में इस बात को जानने की कोशिश की गई है कि पिछले विधानसभा चुनावों में टीएमसी की जीत में किन कारकों ने योगदान दिया था।

इसमें लिखा था, “भाजपा की बंगाली पहचान की समझ में भारी अंतर था, जिसका ममता फायदा उठा सकीं। अर्धसैनिक बलों, खुफिया एजेंसियों से लेकर प्रमुख टीएमसी नेताओं को निशाना बनाने तक केंद्र सरकार के हस्तक्षेप ने भाजपा को मतदाताओं को अलग कर दिया। इस कारण से प्रदेश के लोगों को लगा कि नई दिल्ली और बंगाल के बीच खाई बढ़ती जा रही है।” इस किताब में उन सवालों पर भी प्रकाश डाला गया है कि क्या ममता बनर्जी खुद को पीएम पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार मानती हैं।

घोषाल ने ममता बनर्जी के जीवन पर ‘ममता: बियॉन्ड 2021’ नामक पुस्तक लिखी है

उन्होंने लिखा, “बीजेपी और आरएसएस के कई नेता इस बात को मानते हैं कि 2021 की तरह ही 2024 में ममता को कम करके आँकना मोदी सरकार के लिए बड़ी भूल होगी। ममता बनर्जी को खुद को व्यापक तौर पर स्वीकार्य नेता बनाने के लिए कई और अभिनव कदम उठाने होंगे, जो नरेंद्र मोदी का विकल्प हो सकते हैं। इस मोर्चे पर निष्क्रियता तो दूर वह चुपचाप तैयारी कर रही हैं। उनका मिशन ‘नई दिल्ली 2024’ देखने लायक होगा।”

उन्होंने आगे बताया है कि बंगाल की सीएम रहते हुए ममता बनर्जी मुस्लिम तुष्टिकरण करती रही हैं, लेकिन खुद को एक राष्ट्रीय नेता के रूप में चित्रित करने के लिए वो अपनी इस छवि को पीछे छोड़ने की कोशिश करेंगी। यहीं नहीं, अगर क्षेत्रीय दल 2024 के चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो वो अरविंद केजरीवाल को राष्ट्रीय छवि के नेता के तौर पर पीछे छोड़ देंगी। बता दें कि जयंत घोषाल की डिबेट लेख और ऑप-एड ज्यादातर ममता बनर्जी को राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करने की उच्च संभावना के साथ एक प्रिय नेता के रूप में चित्रित करने का प्रयास करते हैं।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

आपकी मौत के बाद जब्त हो जाएगी 55% प्रॉपर्टी, बच्चों को मिलेगा सिर्फ 45%: कॉन्ग्रेस नेता सैम पित्रोदा का आइडिया

कॉन्ग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने मृत्यु के बाद सम्पत्ति जब्त करने के कानून की वकालत की है। उन्होंने इसके लिए अमेरिकी कानून का हवाला दिया है।

‘नरेंद्र मोदी ने गुजरात CM रहते मुस्लिमों को OBC सूची में जोड़ा’: आधा-अधूरा वीडियो शेयर कर झूठ फैला रहे कॉन्ग्रेसी हैंडल्स, सच सहन नहीं...

पहले ही कलाल मुस्लिमों को OBC का दर्जा दे दिया गया था, लेकिन इसी जाति के हिन्दुओं को इस सूची में स्थान पाने के लिए नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने तक का इंतज़ार करना पड़ा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe