Tuesday, June 24, 2025
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जिसका नाम ‘मुबारिक मंसूरी’, जो पढ़ता है ‘इस्लाम और सेक्स’, जो करता है हिंदू महिलाओं का शोषण… उसे बताया ‘तांत्रिक’: कब सुधरोगे दैनिक भास्कर?

मेनस्ट्रीम मीडिया बस यही चाहता है पाठक को भ्रमित करके अपना ऐसा एजेंडा चलाना जिसमें हिंदू संस्कार और उससे जुड़ी परंपराएँ सिर्फ धूमिल होती रहें। फिर चाहें उसके लिए उन्हें एक मजहब और नाम सब छिपाना पड़े। सोचने वाली बात ये है कि ये कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जिसपर हिंदुओं को अभी से आपत्ति हो।

शब्दों का हेरफेर करके लोगों को भ्रम में डालना मीडिया का पुराना काम है। सामान्य पाठक तो शायद समझ भी न पाए जो शब्द उसे परोसा जा रहा है उसके पीछे क्या खेल होगा और उसका असर उसकी मानसिकता पर कैसे पड़ेगा। ‘मुस्लिम आलिमों/मौलवियों/मौलानाओं’ को रिपोर्ट में ‘तांत्रिक/साधु/पुजारी’ लिखते आना इसी बात का एक उदाहरण है जिसपर मीडिया सालों से प्रोपगेंडा चलाता आया है।

इस बार भी यही हुआ है। दैनिक भास्कर ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसका शीर्षक है- “मंदसौर में 40-50 महिलाएँ बनीं तांत्रिक का शिकार: महिला के पति को पागल बताकर किया यौन शोषण, गाँव में दहशत।”

इस खबर में जिस आरोपित को ‘तांत्रिक’ बताया जा रहा है उसका नाम मुबारिक मंसूरी है। रिपोर्ट के भीतर स्थानीयों के हवाले से बताया गय है कि मध्य प्रदेश के मंदसौर में मुबारिक मंसूरी ने 40-50 महिलाओं को अपना शिकार बनाया था। ये झाड़-फूँक, वशीकरण आदि का झांसा देकर उन्हें अपने अड्डे पर बुलाता और फिर उन्हें नशीला पदार्थ सुंघाकर उनसे गंदी हरकत करता, उनका रेप करता और उनकी वीडियो बनाता था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है।

पुलिस पड़ताल में उसके पास से फर्जी पहचान पत्र मिला और साथ में अश्लील साहित्य भी मिला है। बरामद किताबों की जो सामने जो तस्वीर आई है उसमें साफ-साफ शीर्षक ‘शाम-ए-करबला’ ,’इस्लाम और सेक्स’ लिखा है। बावजूद इन सब सबूतों के मीडिया इसे ऐसे दिखा रहा है जैसे ये कारनामा किसी ‘हिंदू तांत्रिक’ ने किया हो।

दैनिक भास्कर की खबर का स्क्रीनशॉट

दैनिक भास्कर की हेडलाइन पढ़िए। अगर एक अंजान व्यक्ति इसे एकदम से पढ़े तो क्या उसके मन में तांत्रिक की एक छवि नहीं बनेगी। क्या वो ये नहीं सोचेगा कि ये कांड किसी ऐसे व्यक्ति ने किया होगा जिसके माथ पर विभूति, हाथ में कपाल, मुख पर मत्रोंच्चार और सामने अग्रि होगी… लेकिन, अब असली आरोपित की तस्वीर देखिए।

मुबारिक मंसूरी की फोटो

क्या इसका भेष तांत्रिक का है। नहीं, मगर पाठक अपने मन में ये सोच चुका होगा कि 40-50 महिलाओं का रेप वैसे ही तांत्रिक ने किया होगा जिसकी उसने कल्पना की।

मेनस्ट्रीम मीडिया बस यही चाहता है पाठक को भ्रमित करके अपना ऐसा एजेंडा चलाना जिसमें हिंदू संस्कार और उससे जुड़ी परंपराएँ सिर्फ धूमिल होती रहें। फिर चाहें उसके लिए उन्हें एक मजहब और नाम सब छिपाना पड़े। सोचने वाली बात ये है कि ये कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जिसपर हिंदुओं को अभी से आपत्ति हो।

स्वयं ऑपइंडिया इस मुद्दे पर 2019 से लगातार खबरें लिख रहा है, इस दौरान तमाम बार ये हाईलाइट किया जा चुका है कि अगर झाड़-फूँक करने वाला मुस्लिम है तो उसे तांत्रिक तो बिलकुल नहीं कहा जाएगा, क्योंकि वो अपना टोना में न मंत्र पढ़ता है और तंत्र विद्या इस्तेमाल करता है।

इतनी आपत्तियों के बाद भी दैनिक भास्कर जैसा अखबर, जिन्होंने इस मुद्दे पर जाकर ग्राउंड रिपोर्टिंग की, वो अपनी एक खबर में जान-बूझकर हेडलाइन में ‘हिंदू तांत्रिक’ शब्द लिखते हैं। देखिए, इसी मामले में 3 दिन पहले भी दैनिक भास्कर ने रिपोर्ट पब्लिश की थी, जिसका शीर्षक था- गरोठ में हिंदू तांत्रिक बना मुबारक मंसूरी, गिरफ्तार:हिंदू महिलाएं थी टारगेट पर, 10 साल से कर रहा था तंत्र-मंत्र का धंधा

दैनिक भास्कर की खबर का स्क्रीनशॉट

बाद में इसी मुद्दे पर की गई दूसरी खबर में भास्कर खुद बताता है कि स्थानीयों ने उन्हें जानकारी दी है कि करीब 30 साल पहले एक मुस्लिम परिवार उनके यहाँ आया था, जिनका का बेटा मुबारिक खान है।

दैनिक भास्कर की खबर में मुबारिक मंसूरी पर स्थानीय का बयान

अब अगर ये भी माना जाए कि पड़ताल के दौरान संस्थान को मुबारिक के मजहब के बारे में पता चला और पहले उन्हें गलत सूचना थी, तो क्या पूर्व में प्रकाशित खबर में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए था।

ये कोई पहली बार नहीं है जब किसी मीडिया संस्थान ने ऐसी हरकत की हो। सिर्फ दैनिक भास्कर की बात करें तो इससे पहले जब मेरठ में नाबालिग के अपहरण और ठगी का मामला आया था। उस समय भी हेडलाइन में ‘तांत्रिक’ शब्द लिखा हुआ था जबकि आरोपित राशिद खान था।

इसी तरह सीतापुर में भी जब एक इश्तियाक नाम के आलिम ने एक किशोरी को झाड़-फूँक के नाम पर सिर से लेकर पाँव तक अगरबत्ती से दाग दिया था और बेल्ट से पीटा तक था उस समय भी मीडिया ने उसे तांत्रिक बनाया था।

इसके बाद अगला मामला सुल्तानपुर का था। तब भी हिंदू महिला को एक मौलवी ने ठगा था, मगर भास्कर ने हेडलाइन में शब्द इस्तेमाल किया था ‘तांत्रिक।’

2019 की खबरों में और 2025 की खबरों में कोई अंतर नहीं है। आज भी खबरों में ‘तांत्रिक’ शब्द धड़ल्ले से लिखा जा रहा है। अनुवाद के नाम ‘प्रीस्ट’ को उस जगह भी पुजारी लिख दिया जाता है जहाँ अपराध किसी ईसाई पादरी ने किया हो…। कोई सवाल उठता है तो उसे गंगा-जमुनी तहजीब से जोड़कर सही साबित करने के प्रयास होते हैं, फिर इसी क्रम में पाठकों का ब्रेनवॉश होता है और उनके जहन में बसाया जाता है कि अपराध करने वाला किसी अन्य मजहब नहीं हिंदू है।

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