Wednesday, May 14, 2025
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कारगिल हो या 26/11… बरखा दत्त जैसों ने खतरे में डाल दी थीं जिंदगियाँ, मीडिया को सैन्य मूवमेंट के लाइव कवरेज से रोकने का फैसला यूँ ही नहीं

इस चेतावनी का मकसद देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और शत्रुओं को किसी भी तरह का फायदा न पहुँचने देना है। मंत्रालय ने साफ कहा कि रक्षा और सुरक्षा से जुड़े अभियानों की रिपोर्टिंग में मौजूदा कानूनों और नियमों का सख्ती से पालन करना होगा।

पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के चार दिन बाद शनिवार (26 अप्रैल 2025) को भारत सरकार के सूचना एवँ प्रसारण मंत्रालय ने एक सख्त चेतावनी जारी की है। मंत्रालय ने सभी मीडिया चैनलों को साफ निर्देश दिए हैं कि वे किसी भी सैन्य अभियान या सुरक्षा बलों की गतिविधियों की लाइव कवरेज न करें। इस चेतावनी का मकसद देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और शत्रुओं को किसी भी तरह का फायदा न पहुँचने देना है। मंत्रालय ने साफ कहा कि रक्षा और सुरक्षा से जुड़े अभियानों की रिपोर्टिंग में मौजूदा कानूनों और नियमों का सख्ती से पालन करना होगा।

मंत्रालय ने अपने पत्र में कहा कि रियल-टाइम कवरेज, विजुअल्स का प्रसारण या सूत्रों के हवाले से खबरें चलाना पूरी तरह बंद करना होगा। ऐसा करना शत्रुओं की मदद कर सकता है और सैन्य अभियानों को नुकसान पहुँचा सकता है।

बता दें कि कारगिल युद्ध, 26/11 मुंबई हमले और कंधार हाईजैकिंग जैसी घटनाओं के दौरान मीडिया की लाइव कवरेज ने देश को भारी नुकसान पहुँचाया था। इन घटनाओं से सबक लेते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है। मंत्रालय ने यह भी साफ किया कि किसी भी आतंक-विरोधी अभियान की लाइव कवरेज नहीं होनी चाहिए। खबरों को सिर्फ सरकारी प्रेस ब्रीफिंग तक सीमित रखने का निर्देश दिया गया है। ऐसा न करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।

मंत्रालय ने कहा कि मीडिया एक जिम्मेदार भूमिका निभाए, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल है। संवेदनशील जानकारियों को सार्वजनिक करना सैनिकों की जान को खतरे में डाल सकता है। मंत्रालय ने केबल टेलीविजन नेटवर्क्स (संशोधन) नियम, 2021 का हवाला देते हुए कहा कि सभी टीवी चैनलों को इन नियमों का पालन करना होगा। इसमें साफ लिखा है कि आतंक-विरोधी अभियानों की लाइव कवरेज नहीं होनी चाहिए और खबरें सिर्फ सरकारी ब्रीफिंग तक सीमित रहें। मंत्रालय ने सभी हितधारकों से सतर्कता और संवेदनशीलता बरतने की अपील की है।

आपको याद ही होगा कि 26/11 मुंबई हमले के लाइव कवरेज ने आतंकियों को मदद पहुंचाई थी। 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई को चार दिनों तक बंधक बनाए रखा। इस हमले में 166 लोग मारे गए, जिनमें कई विदेशी नागरिक भी शामिल थे। नौ आतंकी मारे गए, जबकि अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया। इस हमले की साजिश हाफिज सईद और जकीउर्रहमान लखवी ने रची थी, जो आज भी पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे हैं। उस वक्त की मनमोहन सिंह सरकार ने पाकिस्तान को कई डोजियर सौंपे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

इस हमले के दौरान मीडिया की भूमिका पर सवाल उठे थे। खासतौर पर पत्रकार बरखा दत्त की रिपोर्टिंग को लेकर काफी विवाद हुआ। उस समय बरखा एनडीटीवी के लिए काम करती थीं और उनकी लाइव कवरेज पर गंभीर सवाल खड़े हुए। 2012 में न्यूजलॉन्ड्री को दिए एक इंटरव्यू में बरखा ने खुद स्वीकार किया कि उनकी और अन्य पत्रकारों की रिपोर्टिंग की वजह से सैकड़ों लोगों की जान खतरे में पड़ गई थी। उन्होंने यह भी माना कि उनकी कवरेज से सुरक्षा बलों को भी नुकसान हुआ। न्यूजलॉन्ड्री की मधु त्रेहान ने इंटरव्यू में बरखा से इस बारे में सवाल किए थे।

मुंबई हमले के दौरान बरखा पर आरोप लगा कि उन्होंने एक फंसे हुए व्यक्ति के रिश्तेदार को फोन करके उसकी लोकेशन लाइव टीवी पर उजागर कर दी। इससे आतंकियों को उसकी जगह का पता चल गया और उसकी जान चली गई। ब्लॉगर चैतन्य कुंते ने बरखा से पत्रकारिता की नैतिकता पर सवाल उठाए, जिसके जवाब में बरखा ने उन्हें लीगल नोटिस भेज दिया। चैतन्य ने यह भी आरोप लगाया कि बरखा की वजह से हेमंत करकरे की मौत हुई, हालांकि बरखा ने इससे इनकार किया और कहा कि उस वक्त वे दिल्ली में थीं।

बरखा ने इंटरव्यू में यह भी बताया कि उन्हें और अन्य पत्रकारों को अपनी गलती का एहसास हुआ, जिसके बाद उन्होंने दूसरे दिन से लाइव विजुअल्स को 15 मिनट की देरी से दिखाना शुरू किया। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें नहीं पता था कि आतंकी भी टीवी देख रहे हैं। एक अन्य घटना में बरखा पर आरोप लगा कि उन्होंने ओबेरॉय होटल के मैनेजर को कॉल किया, जिससे आतंकियों को पता चल गया कि वहाँ कई लोग बंधक हैं। इन सभी घटनाओं ने मीडिया की लाइव कवरेज के खतरों को उजागर किया।

इसी तरह, कारगिल युद्ध के दौरान भी मीडिया की लाइव रिपोर्टिंग ने सेना की रणनीति को प्रभावित किया था। 1999 में हुए इस युद्ध में पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कारगिल की चोटियों पर कब्जा कर लिया था। भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय चलाकर उन्हें खदेड़ा, लेकिन इस दौरान मीडिया की पल-पल की कवरेज ने सेना की मुश्किलें बढ़ा दी थीं। कंधार हाईजैकिंग की घटना में भी यही हुआ। 1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 को हाईजैक कर लिया गया था। इस दौरान मीडिया की कवरेज ने हाईजैकर्स को यात्रियों की स्थिति और सरकारी रणनीति की जानकारी दी, जिससे बातचीत और ऑपरेशन में दिक्कत हुई।

इन सभी घटनाओं से सबक लेते हुए सरकार ने अब सख्त रुख अपनाया है। मंत्रालय ने कहा कि मीडिया को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखना होगा। यह कदम भविष्य में होने वाले किसी भी नुकसान को रोकने के लिए उठाया गया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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