भारत में लगातार बांग्लादेशी घुसपैठियों को पहचान कर वापस भेजने की प्रक्रिया जारी है। देश के अलग-अलग हिस्सों से घुसपैठिए पकड़ कर ‘ऑपरेशन पुश-बैक’ में वापस भेजे जा रहे हैं। इसी बीच सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने बताया है कि उन्होंने पिछले तीन सालों से लगातार 5,000 घुसपैठिए सीमा पर पकड़े हैं। यह चोरी-छिपे भारत में घुसने की कोशिश कर रहे थे।
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, BSF के अधिकारियों ने बताया कि 2023 में 2406 लोगों को पकड़ा गया और वापस भेजा गया। अगले साल 2024 में यह संख्या थोड़ी बढ़ी और 2425 लोगों को वापस भेजा गया। वहीं मई 2025 तक 557 ऐसे लोगों को पकड़ कर वापस भेजा जा चुका है।
रिपोर्ट बताती है कि BSF ने अधिकांश घुसपैठिए पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्यों में पकड़े हैं। इसमें भी सबसे अधिक घुसपैठ पश्चिम बंगाल में दर्ज की गई है। यहाँ पिछले 3 सालों में 2688 लोगों को पकड़ा गया। इनमें से 90% पश्चिम बंगाल के सीमाई इलाकों में पकड़े गए थे।
पश्चिम बंगाल के अलावा मिजोरम जैसे राज्यों में भी काफी घुसपैठ देखी गई। वहीं असम और त्रिपुरा में ऐसे मामले कम मिले। हालाँकि, बीते दिनों में घुसपैठिए त्रिपुरा से भी अंदर आने का प्रयास कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, त्रिपुरा में पिछले तीन सालों में घुसपैठ की कोशिशों की संख्या 771 रही।
पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी घुसपैठियों के बड़ी संख्या में आने का मुद्दा गृह मंत्री अमित शाह भी हाल ही में उठा चुके हैं। उन्होंने कहा था कि पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी घुसपैठियों को TMC सरकार का आशीर्वाद मिला हुआ है। उन्होंने कहा था कि CM ममता बनर्जी ने घुसपैठियों के लिए सीमाएँ खोल हैं।
ऑपरेशन पुश-बैक भी जारी
जहाँ BSF ने बताया है कि वह सीमा पर पकड़ घुसपैठियों को वापस भेज रही है, वहीं इसी दौरान ‘ऑपरेशन पुश-बैक’ भी चल रहा है। इसके तहत अब तक 2000 अवैध घुसपैठियों को वापस बांग्लादेश भेजा जा चुका है। इसके अलावा देश के अलग-अलग जगहों पर छुपकर रह रहे लगभग 2000 घुसपैठिए अब सामने से वतन वापसी के लिए तैयार हो गए हैं।
सुरक्षा एजेंसियाँ अब घुसपैठियों की जानकारी बॉयोमेट्रिक के जरिए भी सहेज रही है। इसे राष्ट्रीय डेटाबेस से भी जोड़ा जाएगा। इससे दोबारा देश में घुसपैठियों के घुसने पर जानकारी निकालना और कार्रवाई करना आसान हो जाएगा।
ऑपरेशन पुश-बैक क्या है?
‘ऑपरेशन पुश-बैक’ अप्रैल 2025 से चल रहा है। ये भारत सरकार की एक नई रणनीति है, जिसका उद्देश्य अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्याओं से त्वरित रूप से निपटना है। ये वे लोग हैं जो कई वर्षों से अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं।
इस ऑपरेशन के तहत अब पुलिस को सौंपना, FIR दर्ज करना, अदालत में पेश करना, मुकदमा चलाना और फिर निर्वासन प्रोटोकॉल की लंबी प्रक्रिया से भारत सरकार ने किनारा कर लिया है।
भारत के गृह मंत्रालय (MHA) ने अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की पहचान और राष्ट्रीयता की पुष्टि के लिए 30 दिन की समय सीमा तय की है। इसके बाद भारतीय सुरक्षाबल घुसपैठियों को तुरंत सीमा पार बांग्लादेश की ओर धकेल रहे हैं।