लंबे समय से हिंसा की आग में जल रहे मणिपुर में शांति बहाल करने को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अधिकारियों को साफ संदेश दे दिया है। मणिपुर फिलहाल सेना के हवाले है और वहाँ राष्ट्रपति शासन लागू है। नई दिल्ली में शनिवार (1 मार्च 2025) को एक उच्चस्तरीय बैठक में अमित शाह ने 8 मार्च से मणिपुर की सभी सड़कों पर मुक्त आवाजाही सुनिश्चित का निर्देश दिया है।
गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता की। इसमें उन्होंने कहा कि सड़कों पर अवरोध पैदा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मणिपुर में स्थायी शांति बहाल करने और इस संबंध में सभी आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
म्यांमार से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए फेंसिंग लगाने की गति को बढ़ाने के लिए कहा। उन्होंने कहा, “(आम लोगों से) जबरन वसूली के सभी मामलों में सख्त कार्रवाई जारी रहनी चाहिए। मणिपुर की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर निर्धारित प्रवेश बिंदुओं के दोनों ओर बाड़ लगाने का काम जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए।”
उन्होंने मणिपुर को नशामुक्त बनाने के लिए अधिकारियों से पूरे नशीली दवाओं के व्यापार को खत्म करने और ड्रग नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने के लिए कहा है। केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने बैठक के मणिपुर की सुरक्षा स्थिति का जायजा लिया और राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर उन्हें विस्तृत जानकारी दी गई। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद इस तरह की यह पहली समीक्षा बैठक थी।
बैठक में मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला, राज्य के शीर्ष अधिकारी, सेना के अधिकारी, अर्धसैनिक बल के अधिकारी शामिल हुए। सुरक्षा समीक्षा राज्यपाल भल्ला द्वारा 20 फरवरी को जारी किए गए अल्टीमेटम के मद्देनजर की गई है। राज्यपाल ने अवैध रखे गए और पुलिस एवं सुरक्षाबलों से लूटे गए हथियारों को लोगों से सरेंडर करने के लिए कहा था।
राज्यपाल के अल्टीमेटम के बाद सात दिनों की अवधि में 300 से अधिक हथियार समर्पित कर दिए गए। इनमें से अधिकतर हथियार घाटी के जिलों में थे। मैतेई समूह अरम्बाई टेंगोल द्वारा लगभग 246 हथियार जमा किए गए। राज्यपाल ने लोगों के अनुरोधों पर अवैध और लूटे गए हथियारों को जमा करने की समय सीमा 6 मार्च को शाम 4 बजे तक बढ़ा दी है।
दरअसल, मणिपुर मई 2023 से जातीय हिंसा से त्रस्त है। कुकी और मैतेई समुदाय के बीच जारी हिंसा में अब तक बच्चों एवं महिलाओं सहित 250 से अधिक लोगों अपनी जान गँवा चुके हैं। हिंसा की शुरुआत मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने को लेकर हुआ था। कोर्ट ने इस संबंध में सरकार को आदेश दिया था। इसका कूकी समुदाय ने विरोध किया।
इस हिंसा को लेकर ही मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन ने 13 फरवरी 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उनके विकल्प की खोज की गई। हालाँकि, राजनीतिक सहमति नहीं बनने पर आखिरकार विधानसभा को भंग कर दिया गया और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया। मणिपुर विधानसभा का कार्यकाल अभी 2027 तक है।