Saturday, June 7, 2025
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बराक-8, हारोप, हेरोन… ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में मित्र राष्ट्र के हथियार ने भी दिखाया पराक्रम: जानिए पाकिस्तान को घुटने पर लाने में इजरायल-भारत की जुगलबंदी कितनी निर्णायक

ऑपरेशन सिंदूर में इजरायली हथियारों ने भारत की ताकत बढ़ाई। बराक-8 मिसाइल ने पाकिस्तान की फतह-II मिसाइल को हरियाणा के सिरसा में रोका, जबकि हारोप ड्रोन ने लाहौर के एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह कर दिया।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को हुए घातक आतंकी हमले में 26 हिंदू पर्यटकों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हुए। इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है, जिससे दोनों देशों के बीच सीमावर्ती संघर्ष तेज़ हो गया। जवाबी कार्रवाई में ड्रोन, लड़ाकू विमान और मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया। हालाँकि यह संघर्ष एक अनिश्चित युद्धविराम की घोषणा के साथ अचानक थम गया, लेकिन इस घटना ने भारत-पाक प्रतिद्वंद्विता को एक नए, अधिक खतरनाक चरण में प्रवेश करा दिया।

इस हमले का जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ शुरू किया। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। इस दौरान इजरायल के बनाए अत्याधुनिक हथियारों का खूब इस्तेमाल हुआ, जिसने भारत और इजरायल की गहरी दोस्ती और रक्षा सहयोग को दुनिया के सामने दिखाया।

भारत ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर हमला करने और उनकी मिसाइलों व ड्रोनों को नाकाम करने के लिए इजरायल, रूस और स्वदेशी रक्षा प्रणालियों का शानदार इस्तेमाल किया। इस ऑपरेशन में भारत ने अपनी तकनीकी ताकत का परिचय दिया। भारत, इजरायल, अमेरिका, रूस और फ्रांस जैसे देशों से हथियार खरीदने वाला दुनिया का एक बड़ा देश है।

हारोप ड्रोन

‘ऑपरेशन सिंदूर’ में इजरायल के हारोप ड्रोन ने पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणालियों पर सटीक हमले किए। इसे ‘आत्मघाती’ या ‘कामिकेज’ ड्रोन कहते हैं, जो रडार को खोजकर नष्ट करने में माहिर है। इन ड्रोनों ने पाकिस्तान के कई अहम ठिकानों पर हमला किया, जिसमें लाहौर की एक बड़ी वायु रक्षा सुविधा को तबाह कर दिया।

भारत ने पुष्टि की कि उसकी मानवरहित हवाई प्रणालियों और वायु रक्षा ग्रिड ने कई पाकिस्तानी ड्रोन, हथियारों और मिसाइलों को नष्ट किया, जो पठानकोट और श्रीनगर जैसे 15 भारतीय वायुसेना ठिकानों को निशाना बना रहे थे। भारत ने 2009 से 2019 के बीच इजरायल से कम से कम 25 हारोप ड्रोन खरीदे, जो अब सक्रिय हैं और इस ऑपरेशन में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) का हारोप ड्रोन और मिसाइल की खूबियों को विकसित किया गया है। यह वायु रक्षा इकाइयों और रडार जैसे बड़े लक्ष्यों को खुद खोजकर नष्ट कर सकता है। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (IISS) की रिपोर्ट के मुताबिक, हारोप भारत की मानव रहित सटीक हमला करने की क्षमता का अहम हिस्सा है।

हारोप एक सटीक आत्मघाती ड्रोन है, जिसे गहरे हमलों के लिए बनाया गया है। यह इलेक्ट्रो-ऑप्टिक सीकर की मदद से अलग-अलग दिशाओं से लक्ष्य को पहचान सकता है और नौ घंटे तक हवा में रह सकता है। यह सैटेलाइट जैमिंग (GNSS) और युद्धक्षेत्र में मानवीय दखल के खिलाफ मजबूत है, जिससे मुश्किल हालात में भी यह काम करने में सक्षम बना रहा है।

50 पाउंड के वारहेड से लैस हारोप, कैमरा और ऑपरेटर की मदद से चलते लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है या रेडिएशन सीकर से रडार साइट्स को खुद निशाना बना सकता है। अगर रडार पहले सक्रिय होकर बंद हो जाए, तो हारोप उसकी आखिरी जगह पर जाकर इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल तकनीक से उसे खोजकर नष्ट कर देता है। यह स्थिर और गतिशील दोनों तरह के जमीन पर मौजूद लक्ष्यों को निशाना बना सकता है।

हारोप को ट्रक, मोबाइल प्लेटफॉर्म या नौसैनिक जहाजों से लॉन्च किया जा सकता है और यह 600 किलोमीटर की दूरी या छह घंटे तक उड़ सकता है। इसे ऑपरेटर नियंत्रित कर सकता है या यह पूरी तरह आटोमेटिक तरीके से भी काम कर सकता है।

हेरोन एमके 2 यूएवी

हेरॉन Mk2 एक उन्नत मध्यम-ऊँचाई, लंबी उड़ान वाला (MALE) ड्रोन है, जिसे इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) ने विकसित किया है। यह भारतीय वायुसेना और सेना की निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाने में मदद करता है। नवंबर 2022 में भारतीय सेना ने दो हेरॉन Mk2 शामिल किए, जबकि सितंबर 2023 तक पूर्वोत्तर में दो और तैनात किए। अगस्त 2023 में भारतीय वायुसेना ने चार और नवंबर में दो और खरीदे।

यह ड्रोन 32,000 फीट की ऊंँचाई पर उड़ सकता है और 35,000 फीट तक जा सकता है। यह 40 घंटे से ज्यादा उड़ान भर सकता है, जिससे सीमा पर दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने और खुफिया जानकारी जुटाने में बहुत प्रभावी है। इसकी पेलोड क्षमता 500 किलोग्राम है, जिसमें उन्नत सेंसर, कैमरे और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरण लगाए जा सकते हैं।

यह ड्रोन दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने, समय से चेतावनी देने और युद्ध क्षति का आकलन करने में अहम भूमिका निभाता है। इसकी ऊँची उड़ान और लंबी अवधि की क्षमता इसे ज्यादातर जमीन आधारित खतरों से दूर रखती है, जिससे यह भारतीय वायुसेना की रणनीतिक ताकत बन गया है।

स्काईस्ट्राइकर के घूमते हथियार

स्काईस्ट्राइकर ड्रोन को इजरायल की एल्बिट सिक्योरिटी सिस्टम्स ने भारत की अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज के साथ मिलकर बनाया है। इसे 2021 में भारतीय सेना में शामिल किया गया। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में इन ड्रोनों का इस्तेमाल हुआ। इसे लोइटरिंग मुनिशन कहते हैं और इसे बेंगलुरु के पश्चिमी हिस्से में बनाया गया है।

यह ड्रोन मिसाइल की तरह हमला करता है, लेकिन यूएवी (UAV) की तरह उड़ता है। यह सटीक हथियार है, जिसे मैन्युअल या स्वायत्त रूप से चलाया जा सकता है। यह लक्ष्य क्षेत्र में मंडराकर लक्ष्यों को खोजता और नष्ट करता है। इसका कम शोर और कम ऊँचाई पर सीक्रेट तरीके से उड़ान इसे खुफिया कामों के लिए आदर्श बनाती है। इसकी रेंज 100 किलोमीटर है और इसमें 5 से 10 किलोग्राम का बम होता है।

स्काईस्ट्राइकर का इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन इसे सीक्रेट ऑपरेशनों के लिए बेहतर बनाता है। यह ऑपरेटर द्वारा बताए गए लक्ष्यों को खोजकर उन पर हमला कर सकता है। जीपीएस या कनेक्टिविटी न होने पर भी यह सटीक हमले कर सकता है। अगर कोई लक्ष्य न मिले, तो यह ऑपरेटर को सुरक्षित वापस लौटने या हमला रोकने की सुविधा देता है।

यह ड्रोन लंबी दूरी के सटीक हमलों के लिए किफायती यानी सस्ता भी है और जमीनी सेना को एयर फायर मिशनों में मदद करता है। बालाकोट हमले के बाद भारतीय सेना ने इमरजेंसी खरीदी के तहत 100 स्काईस्ट्राइकर ड्रोन खरीदे।

बराक-8

पाकिस्तान ने दिल्ली पर फतह-II बैलिस्टिक मिसाइल दागी, लेकिन भारत की बराक-8 मिसाइल रक्षा प्रणाली ने इसे हरियाणा के सिरसा में रोक दिया। बराक-8 को भारत और इजरायल ने मिलकर बनाया है। यह लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जिसकी रेंज 70 किलोमीटर है और इसे 100 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है।

बराक को DRDO और इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने मिलकर संयुक्त रूप से विकसित किया। ‘बराक’ का मतलब हिब्रू में ‘बिजली’ होता है। यह मिसाइल मोबाइल लॉन्चर से नौसेना के जहाजों या जमीन पर इस्तेमाल हो सकती है। 275 किलोग्राम की यह मिसाइल 60 किलोग्राम का वारहेड ले जाती है, जो लक्ष्य के पास विस्फोट करता है। इसमें दोहरी पल्स रॉकेट मोटर और थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल है, जो इसे मैक 2 की गति देता है।

बराक-8 में दोतरफा डेटा लिंक, डिजिटल रडार, RF सेंसर और सिस्टम वाइड कम्युनिकेशन जैसी आधुनिक तकनीकें हैं। IAI ने 2021 में बताया कि इसने हवाई लक्ष्यों को रोकने और नष्ट करने में सफलता पाई। यह 360 डिग्री कवरेज देती है और दिन-रात, किसी भी मौसम में कई लक्ष्यों को निशाना बना सकती है।

बराक-8 मिसाइल प्रणाली लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, क्रूज मिसाइलों, बैलिस्टिक मिसाइलों, एंटी-शिप मिसाइलों और मानव रहित हवाई वाहनों (UAVs) से सुरक्षा प्रदान करती है। इसका दूसरा संस्करण, एमआरएसएएम, एक भूमि-आधारित मिसाइल प्रणाली है, जिसमें मोबाइल लॉन्चर, ट्रैकिंग रडार, और कमांड और कंट्रोल सिस्टम शामिल हैं।

सीकर, एंडगेम एवियोनिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी भारत में विकसित तकनीकों के साथ, प्रणोदन रॉकेट सिस्टम और थ्रस्ट वेक्टर सिस्टम सहित कुछ अन्य घटक DRDO प्रयोगशालाओं द्वारा निर्मित किए गए हैं। इस प्रणाली को भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 17 (ए) फ्रिगेट और विक्रमादित्य विमान वाहक नौका पर तैनात किया गया है, जिसमें रेंज 70 किलोमीटर तक है।

स्पाइस-2000 बम

इजरायल की स्पाइस-2000 किट आम बमों को सटीक स्टैंड-ऑफ हथियारों में बदल देती है, जो आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हैं और नागरिकों को कम नुकसान पहुँचाते हैं। इन्हें लड़ाकू विमानों से छोड़ा जाता है।

इन्हें इजरायल की राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स की अमेरिकी इकाई ने बनाया है। इसमें INS/GPS सिस्टम और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सीकर है, जो जीपीएस की गैर-मौजूदगी में भी सटीक हमले करता है। राफेल के मुताबिक, यह किट 1000 और 2000 पाउंड के बमों को सटीक हथियारों में बदल देती है।

राफेल वेबसाइट के आनुसार, “अत्यधिक परिष्कृत और युद्ध-सिद्ध स्पाइस गाइडेंस किट आज के जटिल होते युद्धक्षेत्रों की ज़रूरतों को पूरा करते हैं। वे 1000 पाउंड और 2000 पाउंड वर्ग के सामान्य उद्देश्य और प्रवेश वारहेड को सटीक स्टैंड-ऑफ स्ट्राइक हथियारों में बदल देते हैं जो जीपीएस-रहित वातावरण में सटीक सटीकता के साथ एक साथ हमले करते हैं।”

स्पाइस-2000 बम में एडवांस नेविगेशन, मार्गदर्शन और होमिंग Dopamine एल्गोरिदम है, जो सटीकता के साथ कई लक्ष्यों पर हमला करता है। यह ‘फायर एंड फॉरगेट’ तकनीक पर काम करता है, यानी पायलट बम को मिशन सौंपता है और यह खुद लक्ष्य तक पहुँचता है। 900 किलोग्राम के वारहेड के साथ, यह कठोर लक्ष्यों को भेद सकता है।

26 फरवरी 2019 को बालाकोट हमले में भारतीय वायुसेना ने इन बमों का इस्तेमाल कर जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को नष्ट किया। चार बम छतों से इमारतों में घुसे और सटीक हमला किया।

जब आतंकवादी सो रहे थे, भारतीय वायुसेना के विमानों ने पाँच स्पाइस-2000 बमों को दागा, जिनमें से कम से कम चार बम छतों के जरिए इमारत में घुस गए। इस सटीक हमले के दौरान, भारतीय वायुसेना के विमानों ने अपने लक्ष्यों पर बम गिराने के बाद तुरंत अपने ठिकानों पर वापसी की।

टैवोर X95 असॉल्ट राइफलें

2010 के दशक में भारत ने अपने विशेष बलों के लिए टैवोर X95 राइफलें शामिल कीं। बाद में इन्हें अन्य अर्धसैनिक बलों के लिए भी खरीदा गया। इजरायल वेपन्स इंडस्ट्रीज ने पुँज लॉयड रक्षा सिस्टम को इनके निर्माण का लाइसेंस दिया।

भारतीय सेना के विशेष बल, नौसेना के MARCOS, वायुसेना के गरुड़ कमांडो और सीमा सुरक्षा बल इन राइफलों का इस्तेमाल करते हैं। ये छोटी, बुलपप डिज़ाइन वाली राइफलें नजदीकी लड़ाई के लिए बेहतर हैं।

इन असॉल्ट राइफलों को पहले IWI से आयात किया जाता था, जो एक पूर्व इज़राइली सरकारी कंपनी थी, जिसे 2005 में निजीकरण के बाद स्वामित्व में लिया गया था। बाद में, ‘आत्मनिर्भर भारत’ कार्यक्रम के तहत इन्हें भारत में उत्पादित किया गया और हाल ही में एयरो इंडिया 2021 में प्रदर्शित किया गया, जहाँ इन हथियारों पर ‘मेड इन इंडिया’ का टैग लगा था।

ऑपरेशन सिंदूर

भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों से जुड़े 9 ठिकानों पर हमला करने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया। यह ऑपरेशन 7 मई को सुबह 1:05 बजे शुरू हुआ और 23 मिनट तक चला। इस दौरान आर्मेमेंट एयर-सोल मॉड्यूलेयर (AASM) हैमर बम और स्कैल्प मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया। इसके अतिरिक्त, विशेष लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए स्काईस्ट्राइकर ड्रोन का भी उपयोग किया गया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, करीब 100 आतंकी मारे गए, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मुहम्मद मसूद अजहर अल्वी के परिवार के लोग और कंधार अपहरण कांड के मास्टरमाइंड अब्दुल रऊफ अजहर शामिल थे। लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर मुदस्सर (अबू जुंदाल) को भी ढेर कर दिया गया। पाकिस्तान ने जवाबी हमला करने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने उसे नाकाम कर दिया।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ में इजरायली हथियारों का इस्तेमाल भारत और इजरायल के बीच मजबूत रक्षा सहयोग का प्रतीक है। बराक-8, हारोप, हेरॉन Mk2, स्काईस्ट्राइकर, स्पाइस-2000 और टैवोर X95 जैसे हथियारों ने भारत की सैन्य ताकत को बढ़ाया। यह दोस्ती न सिर्फ रक्षा क्षेत्र में, बल्कि तकनीक और रणनीति के आदान-प्रदान में भी गहरी होती जा रही है, जो दोनों देशों को और मजबूत बनाएगी।

मूल रूप से ये रिपोर्ट अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित की गई है। इसे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

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